नयी दिल्ली 10 दिसंबर । अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की समयसीमा 2020 से दस साल और बढ़ाने तथा एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए संसद एवं विधानसभाओं आरक्षण समाप्त करने संबंधी संविधान (126वां संशोधन) विधेयक 2019 को लोकसभा ने आज पारित कर दिया।
सदन में हुए मतदान में सदन में मौजूद सभी 352 सदस्यों ने पक्ष में मत दिया और विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा।
इससे पहले सदन में करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और इसे कभी नहीं हटाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री श्री मोदी की ओर से साफ करते हैं कि अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर की बात करना गलत है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले जानबूझ कर आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाया जाता है। पर वह प्रामाणिकता से बात कहते हैं कि ये सब गलत एवं भ्रामक है।
श्री प्रसाद ने चर्चा में भाग लेने वाली महिला सदस्याें खासतौर पर श्रीमती हिना गावित संघमित्रा मौर्य, शर्मिष्ठा सेठी आदि का जिक्र करते हुए कहा कि आरक्षण से आयीं इन सदस्यों ने आज अपने शानदार भाषण से साबित कर दिया है कि आरक्षण कितना उपयोगी है और इसका कितना लाभ है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि वे कॉलेजियम के माध्यम से अनुसूचित जाति और जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के नामों की सिफारिशें करें ताकि इन समुदायों के लोग भी न्यायाधीश बन कर आयें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक सेवा में भी सरकार आरक्षण का प्रावधान करेगी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के एक दलित जज को उच्चतम न्यायालय में लाया गया है और वह आगे चल कर मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे।
भाजपा की हिना गावित ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण तथा उत्थान के लिए काम कर रही है। इन समुदायों को राजनीति में प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण मिलने से पूरे समुदाय को लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर स्थिति बहुत खराब रही है लेकिन आयुष्मान योजना से इन समुदायों को न्याय मिला है।
गावित ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के लिए बजट हर साल बढ़ रहा है।
द्रमुक की कनिमोई ने सरकार से पूछा कि विधेयक में एंग्लो-इंडियन समुदाय के बारे में स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्री यह क्यों नहीं कह रहे हैं कि इस समुदाय का आरक्षण भी बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों की संख्या मात्र 296 बताई है जो पूरी तरह गलत है। अकेले तमिलनाडु में करीब 50 हजार लोग इस समुदाय के रहते हैं।
द्रमुक सांसद ने कहा कि सरकार बहुमत में है, इसलिए अल्पसंख्यकों को आहत नहीं कर सकती। कल नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कराके मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कदम उठाया गया और आज का विधेयक ईसाई समुदाय के खिलाफ है।
उन्होंने सरकार पर ‘बौद्धिक अहंकार’ का आरोप लगाते हुए कहा कि यह देश को कहां ले जाएगा। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह और उनकी पार्टी संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के आरक्षण को 10 साल बढ़ाये जाने का स्वागत करते हैं लेकिन एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व को समाप्त करने के सरकार के प्रयासों का पूरी तरह विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार गलत आंकड़े दे रही है जबकि देश में लाखों की संख्या में एंग्लो-इंडियन हैं। राय ने आरोप लगाया कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने जो अधिकार इस समुदाय को दिये, यह सरकार उन्हें ले रही है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की जी माधवी ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय को आरक्षण मिलने से लोकतंत्र में उन्हें प्रतिनिधित्व मिलता है।
शिवसेना के कृपाल तुमाने ने इस विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रयासरत है लेकिन इस दिशा में पर्याप्त निधि आवंटित नहीं की जाती।
जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने विधेयक को समर्थन जताते हुए सरकार से मांग की कि एससी-एसटी समुदाय के खाली पड़े पदों को भी भरा जाए।
बीजू जनता दल के बी महताब ने कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से केवल एससी-एसटी समुदाय के आरक्षण का विस्तार कर रही है, लेकिन क्या मान लिया जाए कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व को नहीं बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने पूछा कि क्या सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिए दूसरा संशोधन इसी सत्र में लाएगी।
महताब ने कानून मंत्री से स्पष्ट करने को कहा कि सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय को आरक्षण का विस्तार करने वाली है या नहीं।
बसपा के गिरीश चंद्र ने एससी-एसटी के संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण को बढ़ाने का स्वागत किया। उन्होंने मांग की कि इन वर्गों के खाली पड़े पदों को भी निश्चित समयसीमा में भरा जाए। उन्होंने निजी क्षेत्र में नौकरियों में भी एससी-एसटी को आरक्षण दिये जाने की वकालत की।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने विधेयक का समर्थन किया।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को बढ़ाते रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए तय प्रतिनिधत्व की व्यवस्था बरकरार रखनी चाहिए।
भाजपा की संघमित्रा मौर्या ने कहा कि आरक्षण की अवधि 10 साल के लिए बढ़ाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का प्रमाण है।
द्रमुक के डी. रविकुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए।
तेलुगू देसम पार्टी के राम मोहन नायडू ने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था की मांग की।
बसपा की संगीता आजाद ने कहा कि सरकार को पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था शुरू करनी चाहिए।
अन्नाद्रमुक के रवींद्रनाथ कुमार, बीजद की शर्मिष्ठा सेठी और कई अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया