नई दिल्ली 2 अप्रैल । अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार रोकथाम अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आयोजित भारत बंद के दौरान देश के कई हिस्से में प्रदर्शन हिंसक हुए, जिससे 8 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
इस बीच केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी दलितों को शांत करने के लिए कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिससे न्यायालय के 20 मार्च के फैसले की समीक्षा हो सके। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अनुसूचित जाति अत्याचार मामले में तत्काल गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी।
पंजाब, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, बिहार और ओडिशा नें प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ भिड़ गए। हिंसा और आगजनी के कारण राज्यों में सामान्य हालात बिगड़ते दिखाई दिए।
अकेले मध्यप्रदेश में ही 6 लोगों की मौत हो गई। वहीं, यूपी और राजस्थान में भी एक-एक युवक की मौत की खबर है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल जिलों में कई स्थानों पर भडक़ी हिंसा में कम से 6 लोगों की मौत हो गई। राज्य में सर्वाधिक हिंसा ग्वालियर, मुरैना और भिंड में देखने को मिली है।
ग्वालियर के कलेक्टर राहुल जैन ने जिले में तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा, दो लोगों की मौत ग्वालियर शहर में और एक व्यक्ति की मौत डबरा कस्बे में आपसी संघर्ष के दौरान हुई है।
जैन से साफ किया कि तीनों मौतें आपसी संघर्ष में हुई है, जिसमें पुलिस की कोई भूमिका नहीं है।
चंबल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) संतोष सिंह ने मुरैना और भिंड में हिंसक सघर्षो में तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।
सिंह ने बताया, मुरैना में दो और भिंड में एक व्यक्ति की मौत हुई है। लेकिन मौत के कारणों का पता अभी नहीं चल पाया है। प्रदर्शनकारियों ने रेल ट्रैक पर रेलों को रोका और वाहनों में आग लगा दी। खाली सडक़ों पर आग की लपटें और धुआं दिखाई दिया।
मध्य प्रदेश सरकार ने भिंड, मुरैना और ग्वालियर में हालात पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाया है।
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी हिंसा भडक़ गई। प्रदर्शनकारियों ने हापुड़, आगरा, मेरठ और सहरानपुर में पुलिस पर पत्थर बरसाएं और दुकानों पर हमला कर उन्हें लूटा।
यूपी के डीआईजी ने कहा, हिंसा में 1 व्यक्ति की मौत हो गई और 3 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। करीब 35 लोगों को मामूली चोट आई है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों की जांच की जाएगी। कानूनी कार्रवाई के लिए 448 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने कई गाडिय़ों को अपना निशाना बनाया और उनकी खिड़कियां तोड़ दीं। कुछ जगहों पर सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
मेरठ में पुलिस दल पर कुछ लोगों ने कथित रूप से गोलियां चलाईं जबकि एक यात्री बस को आग के हवाले कर दिया।
आरक्षण समर्थक समूहों ने मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर तोडफ़ोड़ की और कोच्चि एक्सप्रेस पर पथराव किया। मेरठ में भी 500 दलित युवकों ने मीडिया को निशाना बनाया और प्रदर्शन की तस्वीरें खींचने का प्रयास कर रहे पत्रकारों के कैमरे तोड़ दिए।
राजस्थान के अलवर में भारत बंद के दौरान हिसंक प्रदर्शन में एक युवक की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। यह घटना खैरथल कस्बे में हुई। मरने वाले युवक का नाम पवनसिंह है। वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ किए जा रहे प्रदर्शन में शामिल था।
इस दौरान भीड़ उग्र हो गई। यह हादसा तब हुआ जब पुलिस और प्रदर्शनकारियो के बीच खैरथल में झड़प हो रही थी। प्रदर्शनकारी यहां पुलिस पर पथराव कर रहे थे। गाडिय़ों में आग लगा रहे थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस का हवाई फायरिंग करना पड़ा। भीड़ ने थाने में गाडिय़ों में आग लगाना जारी रखा।
इसी बीच पवन नाम के एक युवक को पुलिस की गोली लग गई। पंजाब और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखे गए। राज्य में दुकानें, शैक्षिक संस्थान व अन्य प्रतिष्ठान बंद रहे।
पंजाब में 10वीं व 12वीं कक्षाओं को स्थगित कर दिया गया। राज्य की करीब 2.8 करोड़ की आबादी में सबसे ज्यादा 32 फीसदी दलित हैं। जालंधर, अमृतसर और भठिंडा में सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने तलवारों, डंडों, बेसबॉल के बल्लों और झंडों के साथ दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों को जबरन बंद कराया। रोहतक और पड़ोसी राज्य हरियाणा के अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए।
वहीं बिहार में पुलिस ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने रेल और सडक़ यातायात को रोका। भीड़ ने बाजारों, दुकानों के साथ-साथ शिक्षा संस्थानों को बंद करवाया।
भीम सेना और अन्य दलित संगठनों के समर्थकों ने तीन दर्जन लंबी दूरी वाली और स्थानीय रेलों को रोक दिया, जिससे हजारों यात्री परेशान रहे।
पूर्वी मध्य रेलवे के अधिकारी ने बताया, प्रदर्शन के कारण रेल सेवा बहुत बुरी तरह से बाधित हुई। इसके साथ ही वैशाली, मुजफ्फरपुर, नवादा, पटना और भागलपुर में हिंसा की सूचना मिली।
यहां भी प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए।
बड़े पैमाने पर हिंसा और गुस्से के बीच केंद्र ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं करने के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि पुलिस इस अधिनियम के तहत दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए जांच करेगी।
केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार पूरे सम्मान के साथ शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए तर्क से सहमत नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार के वरिष्ठ वकील इस मामले में अपनी सभी कानूनी तैयारी और अधिकार के साथ दलील देंगे और इस फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता की बात कहेंगे।attacknews.in