मुंबई, एक अक्टूबर । केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में उसके तय अनुमान से कहीं आगे निकल सकता है। वर्ष के दौरान राज्यों तथा केंद्र का कुल राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 प्रतिशत को छू सकता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इस साल बाजार मूल्य पर आधारित जीडीपी के वित्त वर्ष 2018-19 के स्तर से नीचे रहने के अनुमान हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘मौजदा रुझानों को देखते हुये हमें केंद्र और राज्यों के राजकोषीय घाटे के चालू रुझानों से इसके जीडीपी के 13 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।’’
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राजकोषीय घाटा (व्यय और राजस्व के बीच का अंतर) अप्रैल से अगस्त के दौरान 8,70,347 करोड़ रुपये यानी बजट में अनुमानित वार्षिक लक्ष्य के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इन आंकड़ों को देखते हुए कि राजकोषीय घाटा अगस्त तक पहले ही 8.7 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान के 109.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है, सरकार को 12 लाख करोड़ रुपये के नये उधारी लक्ष्य पर टिके रहने के लिये खर्च में बड़ी कटौती करने की आवश्यकता होगी, जो आर्थिक वृद्धि के लिये नकारात्मक होगा।’’
इस रिपोर्ट में केंद्र तथा राज्यों के लिये आंकड़े अलग-अलग करके नहीं बताये गये।
एसबीआई रिसर्च ने इससे पहले अनुमान व्यक्त किया था कि केंद्र का राजकोषीय घाटा सरकार के 3.8 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में दोगुना से कुछ अधिक होकर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि उधार लेने के कार्यक्रम पर टिके रहने से ऋण बाजार को खुशी मिलेगी, लेकिन सरकार की मौजूदा खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को देखते हुए ऐसा कर पाना चुनौतीपूर्ण लग रहा है।
एसबीआई रिसर्च ने कहा, ‘‘आबकारी शुल्क में वृद्धि (जो कि अगस्त तक 32 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है), कर व गैर कर राजस्व संग्रह में कमी तथा विनिवेश प्राप्तियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र के राजकोषीय घाटे का चालू वित्त वर्ष में करीब सात लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।’’