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NEW DELHI, FEB 20 (UNI):-Prime Minister Narendra Modi and Mohammed Bin Salman Bin Abdulaziz Al-Saud, Crown Prince of Saudi Arabia addressing newsmen after the Exchange of Agreements in New Delhi on Wednesday. UNI PHOTO-53U

सऊदी अरब के शहजादे ने भारत आकर माना; पुलवामा आतंकवादी हमले का मास्टर माइंड पाकिस्तान है और भारत के अभियान में साथ देने की सहमति जताई attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 फरवरी । भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद को भावी पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए आज इस बात पर सहमति जतायी कि मानवता विरोधी इस खतरे को बढ़ावा देने वाले देशों पर दबाव बढ़ाने आतंकवाद का ढांचा ध्वस्त करने तथा आतंकियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के शाहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में सहमति जतायी गयी। दाेनों देशों ने निवेश, पर्यटन, आवास एवं सांस्कृतिक एवं मीडिया आदान प्रदान के पांच करारों पर हस्ताक्षर किये गये।

बैठक के बाद श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने सामरिक वातावरण के संदर्भ में, हमने आपसी रक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उसका विस्तार करने पर भी सफल चर्चा की है। पिछले हफ्ते पुलवामा में हुआ बर्बर आतंकवादी हमला, इस मानवता विरोधी खतरे से दुनिया पर छाए कहर की एक और क्रूर निशानी है।

उन्होंने कहा, “इस खतरे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार का समर्थन दे रहे देशों पर सभी संभव दबाव बढ़ाने की आवश्यकता है। आतंकवाद का ढांचा नष्ट करना, इसको समर्थन समाप्त करना और आतंकवादियों एवं उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “साथ ही अतिवाद के खिलाफ सहयोग और इसके लिए एक मज़बूत कार्ययोजना की भी ज़रूरत है, ताकि हिंसा और आतंक की ताकतें हमारे युवाओं को गुमराह न कर सकें। मुझे खुशी है कि सऊदी अरब और भारत इस बारे में साझा विचार रखते हैं।”

शाहजादा सलमान ने अपने वक्तव्य में कहा, “जहां तक आतंकवाद एवं उग्रवाद का सवाल है। ये हम दोनों देशों के लिए समान रूप से चिंता का कारण है। हम अपने मित्र भारत को बताना चाहेंगे कि हम इस दिशा में हर प्रकार से सहयोग करेंगे, चाहे वह खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान हो या अन्य कदम। हमारी अाने वाली पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम मिल कर काम करेंगे।”

भारत एवं सऊदी अरब के नेताओं के इन बयानों को पाकिस्तान पर बड़े प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। इससे पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद पर कार्रवाई किये जाने को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने की संभावना है।

पुलवामा में पाक की भूमिका मानी, प्रतिबंधों का समर्थन किया सऊदी अरब ने:

भारत एवं सऊदी अरब के बीच बुधवार यहां हुई बैठक में पुलवामा हमले में पाकिस्तान की मिलीभगत के बारे में भी चर्चा हुई और सऊदी अरब सरकार पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों एवं आतंकवादी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है।

विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) टी. एस. तिरुमूर्ति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के बीच यहां हुई बैठक के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बातचीत में न केवल अातंकवादियों बल्कि आतंकवादी संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा व्यापक प्रतिबंध लगाने के बारे में चर्चा हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा;

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि उनकी यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में मदद मिलेगी ।

प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ भारत सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत करता है। इस यात्रा से भारत और सऊदी अरब के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में मदद मिलेगी ।

मंगलवार को सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज के आगमन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोटोकाल से अलग हटते हुए स्वयं उनकी आगवानी की । सऊदी अरब के शहजादे भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा पर आए हैं ।

मोहम्मद बिन सलमान का आज सुबह राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक स्वागत किया गया जहां उन्होंने सलामी गारद का निरीक्षण किया । इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी मौजूद थे ।

इस अवसर पर सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि वह भारत की यात्रा पर आकर बहुत प्रसन्न हैं । भारत और सऊदी प्रायद्वीप का रिश्ता काफी पुराना है जो 2000 वर्षो से भी पहले से शुरू होता है।

उन्होंने कहा कि भारत और सऊदी प्रायद्वीप का रिश्ता हमारे डीएनए में बसा है ।

सऊदी अरब के शहजादे ने कहा कि भारत के लोग हमारे मित्र हैं और पिछले 70 वर्षो से सऊदी अरब को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं । दो दिवसीय इस यात्रा के दौरान इस बात पर ध्यान होगा कि सऊदी :अरब: भारत के लिये किस प्रकार से काम कर सकता है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोनों देशों की खातिर हम इस संबंध को किस प्रकार बनाये रखेंगे और बेहतर बनायेंगे ।

इस यात्रा के दौरान  दोनों देश रक्षा संबंधों में बढ़ोतरी पर भी चर्चा करेंगे जिसमें संयुक्त नौसेना अभ्यास शामिल है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दक्षिण एशिया के दौरे की शुरुआत में रविवार को इस्लामाबाद पहुंचे शहजादे सोमवार को सऊदी अरब लौट गए थे। भारत ने उनके पाकिस्तान से यहां के दौरे पर आने को लेकर आपत्ति जताई थी।

सऊदी अरब के शहजादे की भारत यात्रा से कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला किया था जिसमें 40 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सऊदी अरब के शहजादे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर भारत आए हैं। भारत का यह उनका पहला सरकारी दौरा है।

सऊदी अरब ने आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए भारत का समर्थन किया:

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि सऊदी अरब ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। हम सुरक्षा और आतंकवाद निरोधक मामलों में उनके सहयोग की सराहना करते हैं।

इसमें कहा गया है कि सऊदी अरब ने आतंकवाद से जुड़ी हमारी चिंताओं के प्रति गहरी समझ दिखायी है और उसने इस वैश्विक बुराई से निपटने में भारत के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जतायी है।

बयान में कहा गया है कि रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग संबंधों का एक महत्वपूर्ण आयाम है। दोनों देश संयुक्त उत्पादन और संयुक्त अभ्यास खास तौर पर संयुक्त नौसेना अभ्यास की संभावना तलाश रहे हैं ।

इसमें कहा गया है कि दोनों देश मंत्रालय स्तर पर ‘सामरिक गठजोड़ परिषद’ स्थापित करने को अंतिम रूप दे रहे हैं जिससे सामरिक संबंधों को गति देने में मदद मिलेगी ।

भारत और सऊदी अरब का द्विपक्षीय कारोबार साल 2017..18 में 27.48 अरब डालर का रहा है। सऊदी अरब, भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। सऊदी अरब ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भारत के लिये एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो कच्चे तेल के संबंध में 17 प्रतिशत जरूरतों की आपूर्ति करता है।

दोनों देश खाद्य सुरक्षा, आधारभूत ढांचा, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्वरक जैसे क्षेत्रों में संयुक्त गठजोड़ बढ़ाने को इच्छुक हैं।

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