नयी दिल्ली, 20 मई । कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने सारदा चिटफंड घोटाला मामले में गिरफ्तारी से राहत के लिए सक्षम अदालत में जाने के लिये दी गई सात दिन की अवधि बढ़ाने का सोमवार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष राजीव कुमार के वकील ने इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
वकील ने कहा कि न्यायालय ने 17 मई को कुमार को सात दिन का समय दिया था ताकि वह गिरफ्तारी से कानूनी तौर पर राहत के लिए सक्षम अदालत जा सकें। लेकिन राजीव कुमार चाहते हैं कि सात दिन की यह अवधि बढ़ाई जाए क्योंकि कोलकाता की अदालतों में इन दिनों वकील हड़ताल पर हैं।
कुमार के वकील ने कहा कि इस आदेश के बाद चार दिन पहले ही बीत चुके हैं और उन्हें कोलकाता में अदालत में जाने के लिए समय चाहिए।
बहरहाल, पीठ ने कहा कि चूंकि 17 मई को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश पारित किया था, इसलिए उचित पीठ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करने के लिए वह रजिस्ट्री से संपर्क कर सकते हैं।
पीठ ने कुमार के वकील से कहा ‘‘आप एक वकील हैं और आप जानते हैं कि रोस्टर का अधिकार प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के पास है।’’
साथ ही पीठ ने वकील से कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री से संपर्क करें।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 17 मई को राजीव कुमार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करने वाला पांच फरवरी का आदेश वापस ले लिया था।
पीठ ने हालांकि कहा था कि कुमार के लिए यह संरक्षण 17 मई से सात दिन जारी रहेगा ताकि वह राहत के लिए सक्षम अदालत में जा सकें।
राजीव कुमार को सात दिन का समय देते हुये न्यायालय ने इस मामले को लेकर सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच टकराव और मनमुटाव की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। न्यायालय ने कहा था कि इसका खामियाजा छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के लाखों निवेशक भुगत रहे हैं जिनकी जमा पूंजी लुट गयी है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि स्थिति काफी चिंताजनक है क्योंकि दोनों ही पक्षों ने अपना रूख कड़ा कर रखा है और इस तरह के टकराव को टालने तथा मतभेदों के समाधान के लिये कोई प्रशासनिक व्यवस्था नहीं है।
न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य का भी जिक्र किया था कि सीबीआई ने राजीव कुमार को उसके समक्ष पेश होने तथा जांच में शामिल होने के लिये 18 और 23 अक्टूबर, 2017 और आठ दिसंबर, 2018 को नोटिस भेजे थे लेकिन उन्होंने इनका जवाब नहीं दिया था।
इससे पहले, कुमार ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में आरोप लगाया था कि चिटफंड मामले में सीबीआई उन्हें दुर्भावनापूर्ण मंशा से निशाना बना रही है क्योंकि नोटबंदी के बाद मुखौटा कंपनियों द्वारा मोटी रकम लेने और जमा करने के मामलों की जांच के दौरान ब्यूरो के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव के परिवार के सदस्य भी जांच के दायरे में आ गये थे।
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