नईदिल्ली 18 जुलाई। उपासना करना महिलाओं का भी संवैधानिक अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पांबदी को खारिज किया है.
केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है. मंदिर प्रशासन की ओर से लगे इस प्रतिबंध के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “उपासना करने का अधिकार महिलाओं को भी उतना ही है जितना पुरुषों को और यह किसी ऐसे कानून पर निर्भर नहीं करता है जो आपको ऐसा करने दे.”
अदालत का नजरिया सामने रखते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा, “हर महिला भी ईश्वर की ही रचना है और उनके खिलाफ रोजगार में या उपासना में भेदभाव क्यों होना चाहिए.”
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. मंदिर प्रशासन को फटकार लगाते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, “किस आधार पर आप (मंदिर प्रशासन) एंट्री से इनकार कर सकते हैं. यह संवैधानिक शासनादेश के विरुद्ध है. जैसे ही आपने इसे लोगों के लिए खोला, वैसे ही हर कोई आ सकता है.”
केरल सरकार के मंत्री के सुरेंद्रम के मुताबिक राज्य सरकार मंदिर में महिलाओं का प्रवेश चाहती है. सुरेंद्रम ने कहा, “राज्य सरकार का रुख यह है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रार्थना करने की अनुमति मिलनी चाहिए. हमने सुप्रीम कोर्ट में अपने रुख को साफ करते हुए एक हलफनामा दायर किया है. अब सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना है.”
महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता लंबे समय से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर विवाद लंबे समय से बना हुआ है. बीच में इस तरह की रिपोर्टें भी आईं कि कुछ महिलाएं पाबंदी को धता बताकर मंदिर के भीतर पहुंचीं. ऐसी रिपोर्टों के बाद जनवरी 2018 में सबरीमाला मंदिर को चलाने वाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड ने महिला श्रद्धालुओं के लिए आधिकारिक जन्मतिथि दस्तावेज पेश करने का नियम लागू कर दिया।attacknews.in