नईदिल्ली 22 नवम्बर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि सूचना देने के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून उच्चतम न्यायालय नियमों (एससीआर) से ऊपर नहीं है.
न्यायमूर्ति मनमोहन ने यह भी कहा कि न्यायिक कामकाज के संबंध में सूचना मांगने के लिये आरटीआई कानून का प्रयोग नहीं किया जा सकता जिसे किसी कानूनी कार्यवाही के जरिये चुनौती दी जा सकती है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, उच्चतम न्यायालय के न्यायिक कामकाज के संबंध में उच्चतम न्यायालय नियम लागू होंगे. जबकि उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक कामकाज के लिए आरटीआई कानून लागू होगा और इसके तहत सूचना उपलब्ध कराई जा सकती है.
अदालत ने कहा, उच्चतम न्यायालय नियमों (एससीआर) के तहत सूचना देना न्यायिक कामकाज के अधीन आता है, जिसका प्रयोग किसी कानून द्वारा छीना नहीं जा सकता. यह स्थापित कानूनी स्थिति है कि विधायिका को वैधानिक प्रतिबंध द्वारा अदालत की न्यायिक शक्तियों को छीनने का अधिकार नहीं है.
अदालत ने उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार के जरिये दायर याचिका पर यह आदेश दिया. रजिस्ट्रार ने इस याचिका में केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के मई 2011 के आदेश को चुनौती दी थी. सीआईसी ने अपने आदेश में शीर्ष अदालत को याचिकाकर्ता आर एस मिश्रा के इस सवाल का जवाब देने के लिये कहा था कि उनकी विशेष अनुमति याचिका क्यों खारिज कर दी गई.
सीआईसी के आदेश को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों को पत्र लिखने के याचिकाकर्ता के आचरण की निंदा की. इस पत्र में उन्होंने पूछा था कि शिक्षक के रूप में उनकी सेवाएं समाप्त करने से जुड़ी विशेष अनुमति याचिका खारिज क्यों की गई.attacknews