मुंबई, 31 मार्च। छत्रपति महाराज शिवाजी के शासन को याद करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज पूछा कि बदले समय के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जहां महिलाओं की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध करने की जरूरत है।
भागवत ने कहा, ‘‘ शिवाजी महाराज उन सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत थे जो अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ना चाहते थे। शिवाजी खुद में एक मार्गदर्शक ग्रन्थ थे जिन्होंने धर्म के आधार पर किसी के खिलाफ भेदभाव नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शिवाजी की प्रत्येक घर में जरूरत है। उन्हें मेरे घर में पैदा होना चाहिए। हमें स्वयं अपने से शुरूआत करनी चाहिए।’’
उनकी इस बात में उस पुरानी मराठी कहावत की ओर इशारा है जिसमें कहा जाता है, ‘‘ शिवाजी को पैदा होना चाहिए लेकिन मेरे घर में नहीं।’’
आरएसएस प्रमुख ने पूछा, ‘‘ इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हमारी माताएं, बहनें गलियों में सुरक्षित घूम सकें, ऐसा क्यों हो रहा है? जब रायगढ़ किले की मरम्मत हुई तो काम करने वालों को सोने का एक घड़ा मिला लेकिन एक भी सिक्का नहीं चुराया गया। और इस तरह के देश में समय आ गया है कि हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ रहा है। किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?’’
इस बीच इस कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र को लेकर भी सवाल उठे जिसमें आरएसएस प्रमुख को बुलाया गया क्योंकि इसमें राकांपा के राज्य प्रमुख सुनील तटकरे की बेटी अदिति तटकरे का नाम शामिल है।
राकांपा नेता ने बाद में स्पष्ट किया कि उनकी बेटी का नाम प्रोटोकॉल के मुताबिक छापा गया क्योंकि वह रायगढ़ जिला परिषद् की अध्यक्ष है और यह एक आधिकारिक कार्यक्रम था।
तटकरे और उनकी बेटी दोनों कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।attacknews.in