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CBI निदेशक को लेकर विवाद फिर शुरू: ॠषि कुमार शुक्ला की अनुभवहीनता पर आपत्ति,नियमों को ताक पर रखा attacknews.in

नयी दिल्ली, दो फरवरी । ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई निदेशक नियुक्त किए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को जांच एजेंसी के प्रमुख के चयन में पहले से तय मापदंडों को पालन नहीं किए जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि ऐसा करना ‘दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना’ (डीएसपीई) कानून तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगुवाई वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की एक फरवरी की बैठक के संदर्भ में अपने असहमति पत्र में कहा है कि समिति ने सहमति जताई थी कि पैनल में नामों के शामिल करने के लिए वरिष्ठता क्रम, एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) और भ्रष्टाचार विरोधी जांच का कम से कम 100 महीने के अनुभव तीन प्रमुख आधार बनाए गए थे, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ।

खड़गे भी इस समिति के सदस्य हैं। उन्होंने अपना असहमति पत्र शनिवार दोपहर प्रधानमंत्री के पास भेजा है।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के ‘विनीत नारायण मामले’ से जुड़े आदेश भी हवाला दिया जिसमें इन तीन बिंदुओं पर जोर दिया गया था।

खड़गे ने शुक्ला और पैनल में शामिल कुछ अन्य अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी जांच का अनुभव नहीं रखने वाले अधिकारियों को पैनल में शामिल करके डीएसपीई कानून और न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया गया है।

खडगे ने कहा है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच का अनुभव न होने वाले व्यक्ति को इस तरह की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए।

श्री खडगे ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को मंजूरी देने वाली समिति के सदस्य हैं। इस समिति में लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के अलावा प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा है कि श्री शुक्ला अनुभवहीन हैं। उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच का अनुभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस पद के लिए जिन लोगों के नाम पैनल में रखे गये हैं उनमें अनुभवहीन व्यक्ति को शामिल करना नियमों का उल्लंघन है तथा इस पद पर नियुक्ति के लिए
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अवमानना है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में जो प्रतिक्रिया दी है बैठक के मिनट्स में उनका उल्लेख है।
उन्होंने कहा कि इन सब स्थितियों को देखते हुए वह सीबीआई निदेशक के पद पर श्री शुक्ला की नियुक्ति के खिलाफ हैं। उनकी नियुक्ति नियमों की अनदेखी तथा उच्च्तम न्यायालय के फैसले के विरुद्ध हैं।
विवादों के बीच हुई नियुक्ति:
विवादों के चलते पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में रही देश की शीर्ष जांच एजेन्सी केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रिषी कुमार शुक्ला के रूप में नया प्रमुख मिल गया है।
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की दो बार हुई बैठक में किसी एक अधिकारी के नाम पर सहमति नहीं बन सकी। समिति ने शुक्रवार शाम हुई बैठक में इस पद के लिए कुछ नामों का पैनल तैयार किया था।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति मामलों की समिति ने चयन समिति द्वारा भेजे गये नामों के पैनल के आधार पर श्री शुक्ला की नियुक्ति को मंजूरी दी है। श्री शुक्ला की नियुक्ति दो वर्ष के लिए की गयी है जो उनके पदभार संभालने के दिन से प्रभावी होगी। सीबीआई निदेशक का पद 10 जनवरी से खाली था।
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी श्री शुक्ला सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा का स्थान लेंगे। श्री वर्मा को विवादों के चलते पहले छुट्टी पर भेजा गया था और फिर उन्हें गत 10 जनवरी को पद से हटा दिया गया था। उनके स्थान पर जांच एजेन्सी के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सीबीआई का प्रभारी निदेशक बनाया गया था।
श्री वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना के बीच विवाद को देखते हुए सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था। श्री वर्मा ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय ने उन्हें बहाल करने का आदेश देते हुए कोई नीतिगत फैसला न करने की हिदायत दी थी। साथ ही न्यायालय ने श्री वर्मा के बारे में अंतिम फैसला करने का अधिकार सीबीआई निदेशक के चयन संबंधी समिति पर छोड दिया था।
चयन समिति की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गत 10 जनवरी को हुई बैठक में श्री वर्मा को बहुमत के आधार पर पद से हटाने का फैसला किया था। बाद में श्री वर्मा को अग्नि शमन सेवा और होम गार्ड्स का महानिदेशक बनाने का आदेश जारी किया गया लेकिन श्री वर्मा ने इस पद को संभालने से इंकार करते हुए 11 जनवरी को इस्तीफा दे दिया। कार्मिक मंत्रालय के सचिव को भेजे गये इस्तीफे में उन्होंने कहा कि उन्हें 11 जनवरी से ही सेवानिवृत माना जाये। पत्र में उन्होंने कहा था कि वह सीबीआई निदेशक के पद पर 31 जनवरी 2019 तक के लिए नियुक्त किये गये थे। साथ ही उन्होंने कहा कि वह 31 जुलाई 2017 को ही सेवा निवृत हो गये होते। अग्नि शमन सेवा , सिविल डिफेंस और होम गार्डस के महानिदेशक के पद की सेवा निवृति की जो आयु है वह उसे पहले ही पार कर चुके हैं। अत: उन्हें 11 जनवरी से ही सेवा निवृत माना जाये।
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