नयी दिल्ली, 11 जनवरी। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड :केब: बड़ी संख्या में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों की स्थिति पर विचार करेगा और उन्हें स्कूली शिक्षा व्यवस्था की मुख्यधारा में लाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा। बोर्ड की 15 और 16 जनवरी को दिल्ली में होने वाली बैठक में इस विषय से संबंधित रिपोर्ट पर विचार होगा और कोई व्यवस्था तैयार करने पर निर्णय किया जा सकता है ।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों से जुड़े विषय पर विगत में एक उप समिति का गठन किया गया था । 15 और 16 जनवरी को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में उप समिति इस विषय पर स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी। इस बैठक की अध्यक्षता मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे ।attacknews.in
इस बैठक में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, शिक्षा सचिवों समेत केंद्र के अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं । इस बैठक के दौरान शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे का विस्तार नर्सरी और दसवीं कक्षा तक करने के बारे में कोई फैसला किया जा सकता है । पिछली बैठक में इस विषय पर एक उप समिति का गठन किया गया था और इस उप समिति की रिपोर्ट पर आसन्न बैठक में विचार किया जायेगा । अभी शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में कक्षा एक से आठवीं तक आती है।
केब की बैठक में स्कूली साक्षरता की स्थिति पर भी गहन मंथन किया जायेगा । इसमें आरटीई के तहत फेल नहीं करने के प्रावधान के संदर्भ में सतत समग्र मूल्यांकन :सीसीई: की स्थिति पर केब की उप समिति की स्थिति रिपोर्ट पर भी विचार किया जायेगा ।
बैठक के दौरान स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और जवाबदेही को बेहतर बनाने के विषय पर गहन विचार विमर्श किया जायेगा और कोई समाधान निकालने का प्रयास किया जायेगा ।attacknews.in
उल्लेखनीय है कि प्रकाश जावड़ेकर ने साक्षरता दिवस पर अपने संबोधन में कहा था कि 1947 में साक्षरता दर 18 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 81 प्रतिशत हो गई है। अब हमें उन होशियार बच्चों की निशानदेही करनी चाहिए, जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे बच्चों को स्कूलों में शामिल करना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि अगले वर्ष सरकार स्कूल चलो अभियान कार्यक्रम शुरू करेगी। इस प्रयास के तहत शेष 19 प्रतिशत साक्षरता विहीन आबादी को इसके दायरे में लाकर शत-प्रतिशत साक्षरता प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य 100 प्रतिशत डिजिटल साक्षरता सहित 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है।attacknews.in
एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार के लागू होने के के बाद भी काफी संख्या में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हैं । साल 2009 में स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 81.5 लाख थी जो 2014 के अंत में घटकर 60.6 लाख रह गई है जिसमें लड़कियों की संख्या 28.9 और लड़कों की संख्या 31.7 लाख है। अभी भी यह संख्या 50 लाख से अधिक बनी हुई है ।
जावडे़कर ने हाल ही में एक समारोह में कहा था कि स्कूली शिक्षा की व्यवस्था के दायरे से बाहर रहने वाले छात्रों को जोड़ना महत्वपूर्ण है और इसके लिए शिक्षा क्षेत्र में वृहद सामुदायिक भागीदारी का आह्वान किया था । उन्होंने कहा था कि शिक्षक बदलाव के वाहक हैं । स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर के बच्चों तक पहुंचना राजग सरकार का लक्ष्य है ।attacknews.in