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प्रकाश जावड़ेकर

निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक पारित,8वी फ़ेल नहीं करने की नीति बदली Attack News

नयी दिल्ली, 18 जुलाई ।लोकसभा ने आज नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी जिसमें आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन करने की बात कही गई है। हालांकि बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को दिया गया है।

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘‘ यह महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विधेयक है और इससे स्कूलों, खासकर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा।’’ उन्होंने कहा कि इस पहल से परीक्षा के साथ जवाबदेही आयेगी, शिक्षा और सीखने को बढ़ावा मिलेगा, पढ़ने और पढ़ाने को प्रोत्साहन मिलेगा और अंतत: ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ सुनिश्चित हो सकेगी ।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि नये संशोधन विधेयक में कक्षा में अनुत्तीर्ण होने की स्थिति में बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को दिया गया है।

उन्होंने कहा कि 2009 के विधेयक में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को फेल होने पर भी कक्षा में नहीं रोकने का प्रावधान था। इससे परीक्षा का महत्व ही कम हो गया था और शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही थी । अब पांचवी और आठवीं कक्षा के स्तर पर परीक्षा लेने की बात कही गई है। हालांकि जिन राज्यों को ऐसा करना है, वे करेंगे और जिनको बदलाव नहीं करना है, वे नहीं करेंगे ।

जावड़ेकर ने कहा कि परीक्षा लेने के बारे में राज्य तय करेंगे कि उन्हें किस स्तर पर परीक्षा लेनी है ।

उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी छात्र को स्कूल से नहीं निकाला जा सकेगा ।

जावड़ेकर ने कहा कि 22 राज्यों ने इस प्रावधान को बदलने की सिफारिश की। कई सर्वेक्षणों में भी पता चला कि बच्चों को अपनी वर्तमान कक्षा से कम कक्षा के विषयों की ही जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी छात्र को उसी कक्षा में रोकने के लिए नहीं है। नये संशोधन के तहत पांचवीं और आठवीं कक्षा की मार्च में होने वाली पहली परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को मई में दूसरी बार परीक्षा का अवसर मिलेगा। दूसरी बार भी फेल होने पर ही बच्चे को उसी कक्षा में रोका जा सकेगा। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु और केरल समेत कुछ राज्य पुराने प्रावधान को ही चाहते थे। इसलिए हमने विधेयक में प्रावधान रखा है कि बच्चों को कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों को होगा।

बीजद ने बी. महताब ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आज के समय की जरूरत है और इस पहल से शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने मदद मिलेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक में बच्चों के ऊपर ज्यादा जोर दिया गया है जबकि गुणवत्ता शिक्षा के लिए शिक्षकों को भी जवाबदेह बनाना चाहिए।

महताब ने कहा कि बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने पर विचार होना चाहिए।

शिवसेना के अरविंद सांवत ने भी इस विधेयक का समर्थन किया और कहा कि देश में शिक्षा का अधिकार नहीं, बल्कि गुणवत्ता शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में भेदभाव दूर होना चाहिए और मातृभाषा को प्रमुख मिलनी चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शिक्षा को लेकर भावुक हैं और शिक्षा की स्थिति सुधारने के उनके प्रयास में सभी लोग साथ हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर राज्य इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।

रॉय ने यह भी कहा कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षा होनी चाहिए, लेकिन परीक्षा किस तरह से होगी, इसका अधिकार राज्यों को दिया जाना चाहिए। जारी

तेलंगाना राष्ट्र समिति के ए.पी. जितेंद्र रेड्डी ने कहा कि आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल होने पर कक्षा में नहीं रोकने की नीति ही जारी रहनी चाहिए। गरीब परिवारों के बच्चों के अनुत्तीर्ण होने पर उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय बच्चे के सतत मूल्यांकन पर ध्यान देना चाहिए।

राकांपा की सुप्रिया सुले ने परीक्षा को जरूरी बताते हुए सतत व्यापक मूल्यांकन की जरूरत बताई। माकपा के मोहम्मद बदरुद्दोजा खान ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचा और सुविधाएं नहीं होने से बच्चे निजी स्कूलों की ओर जा रहे हैं। लेकिन स्कूलों में सुविधाएं दी जाएं और शिक्षकों की पर्याप्त संख्या हो जिसके बाद बच्चों के असफल रहने की जवाबदेही शिक्षकों पर हो।

भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के अनुसार पांचवीं और आठवीं कक्षा में पुन: परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर बच्चों को रोकने का प्रावधान ठीक है लेकिन शिक्षकों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

शिरोमणि अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में अनियमितताओं को रोकने के लिए एक नियामक प्राधिकार होना चाहिए। शिक्षकों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

कांग्रेस के के.वी. थॉमस ने भी स्कूलों में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी का विषय उठाया।

आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने सतत मूल्यांकन को जरूरी बताते हुए कहा कि पांचवीं कक्षा तक सभी स्कूलों में बच्चों के लिए मातृभाषा और गणित की पढ़ाई अनिवार्य कर दी जाए तो आगे की कक्षाओं में सभी विषयों में वे सफल होंगे।

चर्चा में भाजपा के लखनपाल साहू, राजद के जयप्रकाश नारायण यादव, भाजपा के मनोज राजोरिया, इनेलोद के दुष्यंत चौटाला, भाजपा के सुरेश अंगडी, भाजपा के ही भैरो प्रसाद मिश्रा, रालोसपा के राम कुमार शर्मा, आईयूएमएल ई टी मोहम्मद बशीर, जदयू के कौशलेंन्द्र कुमार, एसडीएफ के पी डी राय, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन आदि ने हिस्सा लिया ।attacknews.in

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