नयी दिल्ली, नौ मार्च । उच्च न्यायपालिका में खाली पड़े पदों के मुद्दे पर जारी बहस के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल से बढ़ा कर 65 साल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
विधि राज्यमंत्री पी पी चौधरी ने आज राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। इस बारे में सपा के नरेश अग्रवाल द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि सरकार के समक्ष उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
उल्लेखनीय है कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में साल 2010 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने संबंधी एक विधेयक संसद में पेश किया गया था।
इस बाबत लोकसभा में 114वां संविधान संशोधन विधेयक 2010 पेश किया गया था। साल 2014 में 15 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने तक इस विधेयक पर विचार नहीं हो पाने के कारण यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया।
संप्रग सरकार ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु (65 साल) के बराबर ही करने के लिये यह विधेयक पेश किया था।
विधि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में मौजूद 24 उच्च न्यायालयों में 406 न्यायाधीशों की कमी है। वहीं विभिन्न अदालतों में लगभग तीन करोड़ मुकदमे लंबित हैं।attacknews.in