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रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा, रुख को उदार बनाये रखा ताकि नीतिगत दर में कटौती की जा सके,2021-22 में जीडीपी 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान attacknews.in

मुंबई, 5 फरवरी ।भारतीय रिजर्व बैंक (#RBI) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया और रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा। इसका मतलब है कि लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य कर्ज की किस्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।

हालांकि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत उदार रुख को बनाये रखा है। जिसका मतलब है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर कोविड-19 संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिये मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए नीतिगत दर में कटौती की जा सकती है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी के निर्णय की जानकारी देते हुए अपने ‘ऑनलाइन’ संबोधन में कहा, ‘‘नीतिगत दर रेपो को एमपीसी के सदस्यों ने आम सहमति से 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया।’’

इस निर्णय के बाद रेपो दर 4 प्रतिशत, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बनी रहेगी। रेपो वह दर है, जिसपर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन का उधार देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक अपना जमा राशि केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही एमपीसी के सभी सदस्यों ने उदार रुख को जब तक जरूरी है और कम-से-कम चालू वित्त वर्ष तथा अगले वित्त वर्ष में इसे बनाये रखने का निर्णय किया।’’

दास ने कहा, ‘‘यह निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मध्यम अवधि में 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (#CPI) आधारित मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के लक्ष्य के अनुरूप है।’’

आर्थिक वृद्धि के बारे में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बयान में कहा गया है, ‘‘अन्य उपायों के साथ वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, नवप्रवर्तन और अनुसंधान समेत विभिन्न क्षेत्रों पर दिये गये जोर को देखते हुए 2021-22 में जीडीपी #GDP(सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’

इसमें अगले वित्त वर्ष पहली छमाही में वृद्धि दर 26.2 प्रतिशत से 8.3 प्रतिशत के बीच रहने और तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

रिजर्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों (एनबीएफसी इकाइयों) को संकटग्रस्त क्षेत्र तक कर्ज पहुंचाने के लिए दीर्घकालिक लक्षित रेपो सुविधा (टीएलटीआरओ) के तहत बैंकों से धन सुलभ कराने का प्रस्ताव भी किया है।

बयान के अनुसार, ‘‘कृषि क्षेत्र में बेहतर संभावना को देखते हुए गांवों में मांग मजबूत बने रहने की उम्मीद है। कोविड-19 मामलों में कमी और टीकाकरण अभियान के साथ शहरों में भी मांग अच्छी रहने की संभावना है जिससे वृद्धि को गति मिलेगी।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘उपभोक्ताओं में भरोसा बढ़ रहा है और विनिर्माण, सेवा तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र में व्यापार को लेकर अपेक्षाएं उत्साहजनक हैं।’’

‘‘इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत दो और तीन के तहत सरकर की घोषित योजनाओं से सार्वजनिक निवेश में तेजी आएगी। हालांकि निजी निवेश कम क्षमता उपयोग से धीमा बना हुआ है।’’

मुद्रास्फीति के बारे में मौद्रिक नीति बयान में कहा गया है, ‘‘दिसंबर महीने में सब्जियों के दाम में नरमी से सकल मुद्रास्फीति लक्ष्य के करीब आयी है और आने वाले समय में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर निकट भविष्य के परिदृश्य को निर्धारित करेगी।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘आपूर्ति व्यवस्था बेतहर होने से मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है। हालांकि सेवा क्षेत्र और विनिर्माण में औद्योगिक कच्चे माल के दाम में वृद्धि से लागत दबाव पड़ सकता है।’’

इन सबके आधार पर आरबीआई ने 2020-21 की चौथी तिमाही के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को संशोधित कर 5.2 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही 2021-22 की पहली छमाही के लिये इसे 5.2 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही के लिये 4.3 प्रतिशत कर दिया है।

आरबीआई के बयान में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को दो चरणों में पूर्व स्तर पर लाने की भी बात कही गयी है।

बैंकों को कोविड-19 संकट से उत्पन्न समस्या से राहत देने के लिये सीआरआर को एक प्रतिशत कम कर 3 प्रतिशत कर दिया गया था। 28 मार्च, 2020 को लागू यह व्यवस्था एक साल 26 मार्च, 2021 तक के लिये थी।

इसमें कहा गया है, ‘‘मौद्रिक और नकदी की स्थिति की समीक्षा के बाद सीआरआर को दो चरणों में पूर्व स्तर पर लाने का निर्णय किया गया है। इसके तहत बैंकों को 27 मार्च, 2021 से शुरू पखवाड़े से एनडीटीएल (शुद्ध मांग और समय देनदारी) का 3.5 प्रतिशत और 22 मई, 2021 से शुरू पखवाड़े से 4 प्रतिशत के स्तर पर लाना है।’’

आरबीआई के बयान के अनुसार, देश में बढ़ते डिजिटल भुगतान को देखते हुए सुरक्षा के कई उपाय किये गये हैं। केंद्रीय बैंक के भुगतान प्रणाली दृष्टिकोण दस्तावेज के तहत 24 घंटे काम करने वाला हेल्पलाइन स्थापित करने पर जोर दिया गया है, जो ग्राहकों की विभिन्न डिजिटल भुगतान से जुड़े सवालों का समाधान करेगा।

इसमें कहा गया है, ‘‘भुगतान प्रणाली से जुड़े बड़े परिचालकों को केंद्रीयकृत 24 घंटे सातों दिन काम करने वाली हेल्पलाइन व्यवस्था सितंबर 2021 तक करने की जरूरत है। इसका मकसद विभिन्न डिजिटल भुगतान के संदर्भ में ग्राहकों के सवालों के जवाब देना और शिकायतों की स्थिति के बारे में जानकारी देनी है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘आने वाले समय में इस हेल्पलाइन के जरिये ग्राहकों की शिकायतों के पंजीकरण और उसके समाधान पर विचार किया जाएगा।’’

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह 27वीं बैठक थी। इसके सदस्य आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे (बाह्य सदस्य), डा. मृदुल के सागर, डा. माइकल देबव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास हैं। समिति की यह तीन दिवसीय बैठक तीन फरवरी को शुरू हुई थी।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी।

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