मुंबई, 17 अप्रैल । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते रिजर्व बैंक आर्थिक हालात पर लगातार नजर रखे हुये है और वह आर्थिक तंत्र में पर्याप्त नकदी बनाये रखने के लिये हर संभव कदम उठायेगा।
केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती कर उसे 3.75 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रिवर्स रेपो दर घटने से बैंक अपनी नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखने को कम इच्छुक होंगे। इससे उनके पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी।
इससे बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने को प्रोत्साहित होंगे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार सुबह ये घोषणायें करते हुये कहा कि कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर बढ़े वित्तीय दबाव को कम करने के लिए केन्द्रीय बैंक पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा।
इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़े दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
दास ने अन्य उपायों के संबंध में कहा कि केंद्रीय बैंक लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायेगा। यह काम किस्तों में किया जायेगा।
इसके अलावा उन्होंने नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थानों के पुन: वित्त पोषणा के लिए 50,000 करोड़ रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की।
उन्होंने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक के उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता काफी बढ़ी है।
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई कोविड-19 के प्रकोप से पैदा होने वाले हालात पर नजर बनाए रखे हुए है। उन्होंने बताया कि मार्च में निर्यात 34.6 प्रतिशत घट गया, जो 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बड़ी गिरावट को दर्शाता है।
कोरोना वायरस: रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो दर घटाई, नकदी बढ़ाने को कई उपायों की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रभावों से मुकाबला करने के लिए बैंकों की रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती करने, राज्यों को उनके खर्चों के लिये उधार सीमा बढ़ाने के साथ ही अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिये कई उपायों की घोषणा की।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से पैदा हालात पर रिजर्व बैंक लगातार करीब से निगाह रखे हुये है और इससे उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये वह हर संभव कदम उठायेगा।
उन्होंने ये भी कहा कि जिन उपायों की घोषणा की जा रही है ये अंतिम घोषणाएं नहीं हैं, केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के हित में बदलती परिस्थितियों के अनुसार भविष्य में जरूरत पड़ने पर और कदम भी उठाता रहेगा।
दास ने शुक्रवार प्रात: एक वीडियो संदेश में कहा कि बैंको को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से रिवर्स रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 0.25 प्रतिशत घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया गया है।
रिवर्स रेपो के तहत वाणिज्यिक अपने पास उपलब्ध अतिरिक्त नकदी को फौरी तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख नीतिगत दर रेपो 4.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गई है, और सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर भी बिना किसी बदलाव के 4.65 प्रतिशत पर बनी रहेंगी। ’’
इसके साथ ही दास ने राज्यों पर खर्च के बढ़ते दबाव को देखते हुये उनके लिये अग्रिम की सुविधा को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। अभी तक इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा थी। इससे राज्यों को इस कठिन समय में संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
रिजर्व बैंक ने राज्यों के उनके खर्चों के लिये अग्रिम की सीमा को 31 मार्च 2020 की स्थिति के ऊपर बढ़ाते हुये उन्हें एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक बढ़ी हुई 60 प्रतिशत की सुविधा प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि सरकारी व्यय बढ़ने और आरबीआई द्वारा नकदी बढ़ाने के लिए किए गए विभिन्न उपायों से बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता बढ़ी है।
केन्द्रीय बैंक इसके साथ ही लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के जरिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की राशि आर्थिक तंत्र में उपलब्ध करायेगा। यह काम किस्तों में किया जायेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘टीएलटीआरओ 2.0 के तहत बैंकों में प्राप्त धनराशि को निवेश श्रेणी के बांड, वाणिज्यिक पत्रों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों में निवेश किया जाना चाहिए, जिसमें कुल प्राप्त धनराशि में से कम से कम 50 प्रतिशत छोटे और मझोले आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को मिलना चाहिए।’’
उन्होंने नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के लिए कुल 50,000 करोड़ रुपये की विशेष पुनर्वित्त सुविधाओं की घोषणा भी की, ताकि उन्हें क्षेत्रीय ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया जा सके।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘इस राशि में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों का नई पूंजी उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपये, ऋणों के पुन: वित्तपोषण के लिए सिडबी को 15,000 करोड़ रुपये और आवास वित्त कंपनियों की मदद करने के लिए एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।’’
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई कोविड-19 के प्रकोप से पैदा होने वाले हालात पर नजर बनाए हुए है। मार्च में निर्यात 34.6 प्रतिशत घट गया, जो 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बड़ी गिरावट को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि किसी कर्ज को फंसा कर्ज घोषित करने का 90 दिन का नियम बैंकों के मौजूदा कर्ज की किस्त वापसी पर लगाई गई रोक पर लागू नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि कर्जदारों को बैंकों के कर्ज की किस्त भुगतान पर तीन माह के लिये छूट दी गई है। इस छूट के चलते बैंकों के कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुई वित्तीय दबाव के हालात के मद्देनजर बैंकों को आगे किसी भी अन्य लाभांश भुगतान से छूट दी जाती है।
महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि उपभोक्ता सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में मार्च में गिरावट आई है और इसमें आगे और गिरावट की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक कीमतों में गिरावट की स्थिति का फायदा उठाएगा और उधार लेने वालों तक इसका लाभ पहुंचायेगा।
वित्त वर्ष 2020-21 के मध्य तक मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत से नीचे आने का अनुमान: रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख है और केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति दर घटकर उसके चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आ जायेगी।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अपने जनवरी 2020 के शीर्ष स्तर से 1.70 प्रतिशत तक नीचे आ गई है।
दास ने शुक्रवार सुबह एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘आने वाले समय में आपूर्ति पक्ष के अवरोधों के बावजूद मुद्रास्फीति और भी घट सकती है और 2020-21 की दूसरी छमाही तक यह चार प्रतिशत के उसके लक्ष्य से भी नीचे जा सकती है।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में कोविड-19 द्वारा वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के सामने पेश किए गए जोखिमों का मुकाबला करने के लिए नीतिगत गुंजाइश बनी रहेगी।
खाद्य पदार्थों के दाम में गिरावट के चलते खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.91 प्रतिशत पर आ गई।