चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान,रेपो दर 4% और रिवर्स रेपो दर 3.35% और एमएसएफ 4.25% व बैंक दर 4.25% पर यथावत, चालू वित्त वर्ष की खुदरा महंगाई 6.8 प्रतिशत, रहने का अनुमान
मौद्रिक नीति की मुख्य बातें
मुंबई 09 अक्टूबर । रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की शुक्रवार को संपन्न चालू वित्त वर्ष की तीसरी समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णय की मुख्य बातें इस प्रकार है:
.. रेपो दर 4.00 प्रतिशत पर यथावत
.. रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर यथावत
.. मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (एमएसएफ) 4.25 प्रतिशत पर यथावत
.. बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर यथावत
..वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में रियल जीडीपी में 20.6 फीसदी की बढोतरी का अनुमान
..चालू वित्त वर्ष में रियल जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान
.. दूसरी तिमाही में यह 9.8 फीसदी नीचे रह सकता है
.. तीसरी तिमाही में रियल जीडीपी में 5.6 फीसदी की कमी आने का अनुमान
.. चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में रियल जीडीपी में 0.5 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद
.. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में खुदरा महंगाई 6.8 प्रतिशत, दूसरी छमाही में 5.4 से 4.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान
.. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई के 4.3 प्रतिशत पर रहने की संभावना
.. टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा, बैंकों में एक लाख करोड़ की तरलता बढ़ाना लक्ष्य
त्योहारी सीजन में सस्ते ऋण की उम्मीद नहीं, रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरें यथावत रखी:
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में गिरावट और त्योहारी सीजन के मद्देनजर माँग बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कमी किये जाने की उम्मीद लगाये लोगों को शुक्रवार को उस समय निराशा हाथ लगी जब रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने निकट भविष्य में महँगाई की आशंका के मद्देनजर नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया। इससे घर और कार की किस्तों में कमी की संभावना तत्काल समाप्त हो गयी है।
समिति के बयान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा महँगाई दर 5.4 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। हालांकि समिति ने चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में एकोमोडेटिव रुख बनाये रखने का फैसला किया है जिससे आगे ब्याज दरों में कटौती किये जाने की उम्मीद है।
नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने के साथ ही टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपेरशन (टीएलटीआरओ) 2.0 के माध्यम से 31 मार्च 2021 तक बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये तक उपलब्ध कराने के निर्णय का शेयर बाजार ने जोरदार स्वागत किया जिससे बीएसई के 30 शेयरों वाले संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में करीब 300 अंकों की तेजी दर्ज की गयी। इससे बैंकिंग और वित्त समूह में तेजी रही।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में समिति ने नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया।
श्री दास ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, बैंक दर को 4.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैस्लीलिटी (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया है।
मौद्रिक नीति समिति की यह तीसरी बैठक पहले 29 सितंबर से 01 अक्टूबर तक होनी थी लेकिन समिति के तीन बाहरी सदस्यों के रूप में नियुक्त डॉ़ चेतन घाटे, डॉ़ पम्मी दुआ और डॉ़ रवीन्द्र ढोलकिया का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा था जिसके कारण इनके स्थान पर नये सदस्यों की नियुक्ति तक बैठक टाल दी गई थी।
मुंबई के इंदिरा गाँधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की प्रोफेसर डॉ़ असीमा गोयल, अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान के वित्त प्रोफेसर डाॅ़ जयंत आर. वर्मा और दिल्ली के नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाईड इकोनॉमी रिसर्च के अनुसंधान कार्यक्रम के वरिष्ठ सलाहकार डॉ़ शशांक भिडे की चार वर्षाें के लिए नियुक्ति के बाद समिति की तीन दिवसीय बैठक 07 अक्टूबर को शुरू हुई थी।
टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा, बैंकों को एक लाख करोड़ की तरलता
रिजर्व बैंक ने कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट से उबारने के उद्देश्य से टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपेरशन (टीएलटीआरओ) 2.0 की घोषणा करते हुये शुक्रवार को कहा कि इसके तहत 31 मार्च 2021 तक तीन वर्ष के लिए बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने टीएलटीआरओ 1.0 की घोषणा की थी और इसके तहत बड़ी सरकारी और निजी कंपनियों को वित्त उपलब्ध कराने के उपाय किये गये थे।
केन्द्रीय बैंक की माैद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय तीसरी बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांता दास ने अपने बयान में कहा कि तरलता बढ़ाने के मद्देनजर रिजर्व बैंक अब विशेष क्षेत्रों की गतिविधियों में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि टीएलटीआरओ 2.0 शुरू करने का निर्णय लिया गया है जिसकी अवधि तीन वर्ष की होगी। नीतिगत रेपो दर पर आधारित कुल एक लाख कराेड़ रुपये इसके माध्यम से उपलब्ध करायें जायेंगे और यह स्कीम 31 मार्च 2021 तक जारी रहेगी। इसकी समीक्षा के बाद आवश्यकता अनुसार इस राशि और अवधि में बढोतरी करने का विकल्प भी है।
उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत बैंकों द्वारा ली गयी तरलता का उपयोग कार्पोरेट बाँड, व्यावसायिक पत्रों और गैर परिवर्तनीय ऋण पत्रों के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग उन क्षेत्रों को बैंक ऋण देने में भी उपयोग किया जा सकता है।
श्री दास ने कहा कि इस स्कीम का उद्देश्य मांग बढ़ने पर बैंकों के पास पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मदद देने में गैर बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर की बड़ी भूमिका है। देश की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र को मदद देने में भी इसकी बड़ी भूमिका सामने आई है। छोटे एवं मझोले कारोबार को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रिजर्व बैंक ने नई पहल की है। इसके तहत समग्र खुदरा ऋण की सीमा में बढोतरी की गयी है। 50 करोड़ रुपये तक की वार्षिक आय या कारोबार के लिए पांच करोड़ रुपये की ऋण सीमा थी जिसे अब बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे छोटे कारोबारियों के लिए पूंजी प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है।
गवर्नर ने कहा कि अब तक व्यक्तिगत आवास ऋण के लिए ऋण और आवास की कीमत के अनुपात पर जोखिम वितरित है लेकिन आर्थिक गतिविधियों और रोजगार सृजन में रियल एस्टेट क्षेत्र की महत्ती भूमिका को देखते हुये जोखिम निर्धारण को तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया गया है। एकतीस मार्च 2022 तक के सभी नये आवास ऋण को सिर्फ ऋण और आवास की कीमत अनुपात से जोड़ा जायेगा जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में तेज बढोतरी होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने विदेशी खरीदारों से मोलभाव करने के लिए उन्हें अधिक सुविधा देने की घोषणा की है। सिस्टम आधारित ऑटोमेटिक कॉशन लिस्टिंग की मदद से इस तरह के जोखिम को कम करने की कोशिश की जाएगी।