मुंबई, 31 जनवरी । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा आम बजट 2021-22 पेश होने के चार दिन बाद यानी पांच फरवरी को की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बदलाव से बचेगा। हालांकि, वह अपना नरम रुख कायम रखेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी। ऐसे में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति बजट प्रस्तावों से भी दिशा लेगी।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि एमपीसी ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगी। मुद्रास्फीति की दर में गिरावट की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं के दाम घटना है। मुख्य मुद्रास्फीति नीचे नहीं आई है। अत्यधिक तरलता पर नजर रखने की जरूरत है। वैक्सीन की उपलब्धता से वृहद अर्थव्यवस्था तत्काल प्रभावित नहीं होगी।’’
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक तीन फरवरी से शुरू होगी। बैठक के नतीजों की घोषणा पांच फरवरी को होगी।
अभी रेपो दर चार प्रतिशत है। रिजर्व बैंक जिस दर पर बैंकों को धन उपलब्ध करता है, उसे रेपो दर कहते हैं।
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर, 2020 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नीचे आई है, लेकिन इसका रुख ‘सख्त’ है। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि केंद्रीय बैंक अभी रेपो दर को यथावत रखेगा। अगस्त, 2021 या उससे आगे रिजर्व बैंक अपने रुख को बदलकर तटस्थ करेगा।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री एवं निदेशक सार्वजनिक वित्त सुनील कुमार सिन्हा का भी मानना है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
सिन्हा ने कहा कि वृद्धि को मौद्रिक नीति के जरिये समर्थन मिलना चाहिए। यही वजह है कि रिजर्व बैंक का नरम रुख जारी रहेगा।
मनीबॉक्स फाइनेंस के सह-संस्थापक मयूर मोदी की भी राय है कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में नरम रुख जारी रखेगा क्योंकि अभी अर्थव्यवस्था उबर नहीं पाई है।
जेएलएल इंडिया के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमेश नायर ने कहा कि महामारी और कई तरह के अंकुशों से रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में कटौती करनी चाहिए, जिससे आवास ऋण सस्ता होगा। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।