मुंबई, पांच फरवरी । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक अप्रैल से शुरू अगले वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा। यह अनुमान केंद्रीय बजट में जतायी गयी संभावना के अनुरूप है।
मुद्रास्फीति के बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ने कहा कि निकट भविष्य में सब्जियों के दाम नरम बने रहने की उम्मीद है। इसको देखते हुए खुदरा मुद्ररस्फीति चालू तिमाही में कम होकर 5.2 प्रतिशत पर आने की संभावना है। वहीं अगले वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.3 प्रतिशत पर रह सकती है।
उन्होंने कहा कि वृद्धि परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और टीकाकरण अभियान से आर्थिक पुनरूद्धार को गति मिलेगी।
दास ने कहा ककि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में सुधरकर 10.5 प्रतिशत पर आने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट की घोषणा के बाद आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 10 से 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि सरकार मार्च अंत तक मुद्रास्फीति लक्ष्य की समीक्षा करेगी।
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति को सालाना महंगाई दर 31 मार्च 2021 तक 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गयी हुई है।
एनबीएफसी को दीर्घकालिक रेपो सुविधा के तहत बैंकों से मिलेगा कर्ज
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) व्यवस्था के तहत बैंकों से कर्ज सुविधा दिलाने का प्रस्ताव किया।
टीएलटीआरओ योजना संकट ग्रस्त क्षेत्रों को कर्ज सुविधा के लिए पिछले साल अक्टूबर में विशेष रूप से शुरू की गयी है। इसके तहत केंद्रीय बैंक मुश्किल में फंसे क्षेत्र की इकाइयों की वित्तीय मदद के लिए बैंकों को रेपो दर से जुड़ी परिवर्तनशील ब्याज दर पर दीर्घकालिक कर्ज सुलभ कराने की व्यवस्था की है।
इसमें तीन साल तक के लिए वितीय सुविधा ली जा सकती है। आरबीआई ने इसमें एक लाख करोड़ रुपये तक धन सुलभ कराने का लक्ष्य रखा है। योजना 31 मार्च 2021 तक खुली है।
मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चाली बैठक के बाद जारी नीतिगत वक्तव्य में कहा गया है कि एनबीएसफी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज वितरण की आखिरी कड़ी की भूमिका निभाती है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है, ‘‘अब प्रस्ताव है कि चिह्नित संकटग्रस्त क्षेत्रों को अतिरिक्त कर्ज सुविधा पहुंचाने के लिए एनबीएफसी को मांग होने पर टीएलटीआरओ-आन-टैप (सदा सुलभ) व्यवस्था के तहत बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया जाए।’’
बैंकों को पूंजी संरक्षण कवच के आखिरी हिस्से को पूरा करने को छह माह का अतिरिक्त समय
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को पूंजी संरक्षण कवच (सीसीबी) के नियम के तहत न्यूनतम पूंजी कोष के प्रबंध के लिए आखिरी भाग की 0.625 प्रतिशत पूंजी की व्यवस्था करने को छह माह का समय और दिया है।
रिजर्व बैंक के गवर्ननर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक समीक्षा बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि बैंकों को सीसीबी के लिए आखिरी हिस्से की 0.625 प्रतिशत टीयर1 (शेयर) पूंजी का प्रबंध करने की समय सीमा 01 अप्रैल 2021 से बढ़ा कर 01 अक्टूबर 2021 कर दी गयी है।
कोविड-19 से पैदा परेशानियां अभी बनी हुई है। बैंकों को इसी करण यह मोहलत दी गयी है।
बैंकों को विवेकपूर्ण बैंकिंग के बारे में बेसल-तीन नियमों के तहत सीसीबी के लिए 2.5 प्रतिशत के बराबर पूंजी का प्रावधान करने का नियम तय किया गया है। इसके लिए प्रारंभ में 31 मार्च 2021 तक का समय दिया गया था।
यह नियम 2008 के वैश्विक बैंकिंग संकट के बाद लागू किया गया था।
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए अपने कारोबार के परिचालन हेतु शुद्ध स्वस्थ धन के अनुपात (एनएसएफआर) की व्यवस्था लागू करने की सीमा भी आगामी पहली अप्रैल से खिसका कर 21 अक्टूबर 2021 कर दी है।