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रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर यथावत 4 प्रतिशत रखी,दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि के रास्ते पर लौटने की उम्मीद,दिसंबर तिमाही में 6.8 प्रतिशत खुदरा मुद्रास्फीति रहने का अनुमान attacknews.in

मुंबई, 4 दिसंबर । रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार मुख्य नीतिगत दर को शुक्रवार को यथावत रखा। इससे अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया शुरुआती कारोबार में 16 पैसे मजबूत होकर 73.77 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

कारोबारियों ने कहा कि विदेशी निवेश की आवक, घरेलू शेयर बाजारों की सकारात्मक शुरुआत और विदेशी बाजारों में डॉलर की नरमी से रुपये को मदद मिली है।

रुपया मजबूती के साथ 73.81 प्रति डॉलर पर खुला और थोड़ी ही देर में 73.77 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।

इससे पहले बृहस्पतिवार को रुपया 73.93 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखने का निर्णय लिया। हालांकि, रिजर्व बैंक ने जरूरत पड़ने पर कटौती की गुंजाइश बनाये रखने के लिये मौद्रिक रुख को नरम रखा है।

इस बीच छह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के बास्केट में डॉलर का सूचकांक 0.02 प्रतिशत गिरकर 90.69 पर रहा।

विदशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने खरीदारी का रुख जारी रखा और उन्होंने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 3,637.42 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

इस बीच कच्चा तेल का अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड का वायदा 1.93 फीसदी बढ़कर 49.65 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

रिजर्व बैंक को दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि के रास्ते पर लौटने की उम्मीद:

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि उसे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के वृद्धि की राह पर लौट आने का अनुमान है।

कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी है।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘दूसरी छमाही में कुछ सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा कि पूरे वित्तीय वर्ष 2020- 21 के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत तक गिरावट रहने का अनुमान है। हालांकि, इससे पहले बैंक ने वर्ष के दौरान 9.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया था।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में जारी पूर्वानुमान में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।

दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट सकती है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में 0.1 प्रतिशत और चौथी व अंतिम तिमाही में 0.7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है।

इस तरह चालू वितत वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर के सकारात्मक रहने की उम्मीद है।

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर के मौद्रिक नीति समीक्षा बयान में कहा था कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में 9.5 प्रतिशत गिरावट रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने इस गिरावट के 9.8 प्रतिशत तक नीचे जाने की आशंका व्यक्त की थी। रिजर्व बैंक ने तब तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत गिरावट और चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था।

रिजर्व बैंक का अनुमान दिसंबर तिमाही में 6.8 प्रतिशत रह सकती खुदरा मुद्रास्फीति:

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है। केन्द्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रह सकती है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है।

हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़कर सितंबर में 7.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 7.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढ़ने से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम अधिक बने रहने की आशंका है। इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है।

दास ने कहा, ‘‘इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है।’’

मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति दबाव के मद्देनजर नरम रुख के साथ रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखा है।

दास ने कहा, ‘‘वित्तीय स्थिरता बने रहना और हर समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करते हुए हमारा सबसे प्रमुख्स उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को सहारा देते रहना है।’’

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