मुंबई 27 दिसंबर ।रिजर्व बैंक ने वृहद आर्थिक परिदृश्य में बदलाव, जोखिम में फँसे ऋण में वृद्धि और ऋण उठाव में सुस्ती के कारण अगले वर्ष सितंबर तक वाणिज्यिक बैंकों की सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (जीएनपीए) के बढ़कर 9.9 प्रतिशत पर पहुँचने की आशंका जतायी है।
केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी वित्तीय स्थरिता रिपोर्ट में कहा कि सितंबर 2019 में वाणिज्यिक बैंकों का जीएनपीए 9.3 प्रतिशत रहा है जिसके अगले वर्ष इसी महीने में बढ़कर 9.9 प्रतिशत पर पहुँचने का अनुमान है।
उसने कहा कि इन बैंकों के जीएनपीए में इस वर्ष मार्च से सितंबर के दौरान कोई बदलाव नहीं हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2019 में 24 बैंकों का जीएनपीए पाँच प्रतिशत से कम रहा है जबकि चार बैंकों में यह 20 प्रतिशत से अधिक रहा है।
इसमें कहा गया है कि सरकारी बैंकों के जीएनपीए के अगले वर्ष सितंबर तक बढ़कर 13.2 प्रतिशत पर पहुँचने का अनुमान है जबकि निजी बैंकों में यह 4.2 प्रतिशत और विदेशी बैंकों में यह 3.1 प्रतिशत रह सकता है।
उसने कहा कि वाणिज्यिक बैंकों के सितंबर 2019 में ऋण उठाव में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है जबकि निजी बैंकों में यह 16.5 प्रतिशत रही है। इसमें कहा गया है कि मार्च 2019 में बैंकों का प्रावधान अनुपाल 60.5 प्रतिशत रहा था जो सितंबर तिमाही में बढ़कर 61.5 प्रतिशत हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में माँग में आयी सुस्ती से विकास प्रभावित हुआ है। हालाँकि पूँजी प्रवाह को सकारात्मक बताते हुये कहा गया है कि वैश्विक मंदी की वजह से भारतीय निर्यात पर विपरीत असर पड़ सकता है लेकिन चालू खाता घाटा के नियंत्रण में रहने की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर कई तरह से अनिश्चितता बनी हुयी है जिसमें ब्रैक्जिट में देरी, व्यापार तनाव, मंदी के गहराने, तेल बाजार में गतिरोध और भू-राजनैतिक जोखिम के कारण विकास प्रभावित हो रहा है। इसके कारण उपभोक्ता धारणा और कारोबारी धारणा प्रभावित हो रही तथा निवेश पर विपरीत असर पड़ रहा है।