अहमदाबाद 14 मार्च। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने पीएनबी घोटाले पर बोलते हुए कहा कि ये फ्रॉड ऑपरेशनल फेल्योर का नतीजा है.जो आरबीआई के दिशानिर्देशों के बावजूद पीएन के इंटरनल प्रोसेस की नाकामी से हुआ है.
उन्होंने कहा कि कोई भी बैंकिंग रेग्युलेटर सभी फ्रॉड्स को पकड़ या उन पर रोक नहीं लगा सकता है. क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन और फाइन जैसी कार्रवाई से फ्रॉड्स पर लगाम लगाई जा सकती है.
आपको बता दें कि पीएनबी ने फरवरी में सीबीआई को बैंक में 11,400 करोड़ के फ्रॉड की जानकारी दी थी. बाद में यह फ्रॉड बढ़कर 13 हजार करोड़ रुपए का हो गया. यह घोटाला मुंबई की ब्रेडी हाउस ब्रांच में हुआ. 2011 से 2018 के बीच हजारों करोड़ की रकम फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिग (LoUs) के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई. इसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी मुख्य आरोपी हैं. वे देश छोड़कर जा चुके हैं.
पटेल गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कोई भी बैंकिंग रेग्युलेटर सभी फ्रॉड्स पर रोक नहीं लगा सकता. पीएनबी फ्रॉड के संबंध में पटेल कहा कि यह ऑपरेशनल फेल्योर का नतीजा है, जो आरबीआई के दिशानिर्देशों के बावजूद इंटरनल प्रोसेस की नाकामी की वजह से हुआ. इस मामले में आरबीआई का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अपनी मौजूदा लीगल पावर्स के अंतर्गत हर संभव एक्शन लिया.
पटेल ने कहा कि बैड लोन एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर फिर से फोकस किए जाने की जरूरत है. बैंकों के बहीखातों पर फिलहाल 8.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा स्ट्रेस्ड एसेट्स दर्ज हैं. उन्होंने कहा कि पहले स्ट्रेस्ड लोन के नॉर्म्स खासे नरम थे. अब एनपीए के समयबद्ध रिजॉल्यूशन की जरूरत है, जिससे बैंकों के विशेषाधिकारों पर लगाम लग सके.
ये है मामला
फरवरी महीने में पीएनबी ने अपनी मुंबई ब्रांच में करीब 1.77 अरब डॉलर का फर्जीवाड़ा पकड़ा. बैंक ने अपने बयान में कहा है कि धोखाधड़ी के लिए अनधिकृत रूप से किए गए कुछ लेनदेन चुनिंदा खाताधारकों को फायदा पहुंचाने के लिए हुए थे. इन लेनदेन के आधार पर अन्य बैंकों ने संभवत: कुछ ग्राहकों को विदेशों में कर्ज दिया है. इस मामले में सीबीआई ने अरबपति ज्वैलरी डिजाइनर नीरव मोदी, उनकी पत्नी, भाई और एक व्यापारिक भागीदार के खिलाफ वर्ष 2017 में पीएनबी के साथ लगभग 280 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. इस मामले में बैंक ने अपने दस कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है.
बैंक का कहना है कि शाखा के दो जूनियर कर्मचारियों ने इन लोगों की मदद की और क्रेडिट लिमिट सेंक्शन और मेंटिनेंस मार्जिन के बिना ही उन्हें लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी कर दिया. यह लेटर भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं से शॉर्ट टर्म लोन लेने में काम आते हैं.
पीएनबी का कहना है कि 16 जनवरी को आरोपी कंपनियों ने मुंबई की शाखा में इम्पोर्ट डॉक्यूमेंट का एक सेट भेजा और विदेशी सप्लायरों को लोन के तहत भुगतान करने का आग्रह किया. चूंकि पहले से कोई क्रेडिट लिमिट तय नहीं थी तो अधिकारियों ने पूरा ब्यौरा मांगा ताकि लोन के लिए एलओयू जारी किया जा सके.attacknews.in