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अर्नब गोस्वामी द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर बाम्बे हाईकोर्ट ने बिना आगे की अगली तारीख तय किये अपना आदेश सुरक्षित रख लिया attacknews.in

मुंबई 07 नवंबर । बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शनिवार को 2018 के आत्महत्या के मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक टीवी के प्रमुख संपादक अर्नब गोस्वामी को तत्काल राहत देने से इन्कार कर दिया लेकिन बिना आगे की अगली तारीख तय किये अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।

श्री अर्नब गोस्वामी के अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई के तीसरे दिन दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की एक खंडपीठ ने कहा वे बिना किसी नयी तारीख के बिना जल्द से जल्द आदेश पारित करेंगे

इससे पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गुरुवार की शाम रिपब्लिक टीवी के प्रमुख संपादक अर्नब गोस्वामी को राहत देने से इंकार करते हुए कहा धा कि अदालत मामले को विस्तार से सुनना चाहती है और इसके लिए शुक्रवार अपराह्न तीन बजे का समय दिया गया था जिसमें अदालत ने सुनवाई जारी रखी थी।

श्री गोस्वामी को बुधवार को, वर्ष 2018 में एक वास्तुकार और उसकी माँ की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर अलीबाग के एक स्थानीय अदालत में पेश किया था जहां उन्हें 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

अर्नब गोस्वामी को जिस मामले में गिरफ्तार किया उसमें आत्महत्या करने वाले इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की कम्पनी के खाते में जुलाई 2019 में पूरी बकाया राशि जमा करा दी गई थी और मई 2018 में पुलिस ने सम्पूर्ण जांच के बाद ही मामला बंद करके कोर्ट को सूचित कर दिया था

रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपनी गिरफ्तारी को ‘‘गैरकानूनी’’ बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की थी।

उन्होंने महाराष्ट्र में अलीबाग पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने की अपील की ।

न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की एक खंडपीठ बृहस्पतिवार दोपहर इस मामले पर सुनवाई की।

आर्किटेक्ट एवं इंटिरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी को मुम्बई के लोअर परेल स्थित उनके घर से बुधवार को गिरफ्तार कर पड़ोसी रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया था।

इसके बाद, अलीबाग की एक अदालत ने इस मामले में गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 18 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

गोस्वामी को एक स्थानीय स्कूल में रखा गया , जिसे अलीबाग कारागार का कोविड-19 केन्द्र बनाया गया है।

गोस्वामी ने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए, उसे ‘‘गैरकानूनी’’ बताया और मामले की जांच पर तुंरत रोक लगाने के साथ ही, पुलिस को उन्हें तत्काल रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

याचिका में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की भी मांग की गई ।

उसमें यह भी आरोप लगाया कि बुधवार को पुलिस उनके घर में घुसी और पुलिस दल ने उन पर हमला भी किया।

याचिका में कहा, ‘‘ उन्हें एक प्रेरित, झूठे और बंद किए जा चुके मामले में गलत और गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया। यह याचिकाकर्ता और उनके चैनल की राजनीतिक रूप से छवि खराब करने और प्रतिशोध का मामला है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ गिरफ्तारी याचिकाकर्ता (गोस्वामी) के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों और उनकी गरिमा का उल्लंघन करते हुए की गई । जब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया तो याचिकाकर्ता और उनके बेटे पर हमला किया गया और पुलिस वैन में धकेला गया।’’

याचिका के अनुसार, मामले की जांच पिछले साल ही बंद कर दी गई थी और उसकी रिपोर्ट दाखिल की गई थी, जिसे 16 अप्रैल, 2019 के एक आदेश द्वारा अलीबाग अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।

याचिका में कहा, ‘‘ यह चौंकाने वाली बात है, कि एक ऐसा मामला जो निर्णायक रूप से बंद कर दिया गया था, उसे शक्ति के दुरुपयोग, तथ्यों को मनमाने तरीके से पेश करने तथा प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता से महाराष्ट्र में सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने वाली उनकी समाचार कवरेज का बदला लेने और उनकी गिरफ्तारी के लिए दोबारा खोला गया।’’

याचिका में दावा किया गया कि मई 2018 में पुलिस ने गोस्वामी और ‘रिपब्लिक टीवी’ के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए थे और सम्पूर्ण जांच के बाद ही मामला बंद किया गया था।

याचिका में कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता ने उस समय मृतक की कम्पनी के साथ व्यापारिक लेनदेन के सभी दस्तावेज मुहैया कराए थे और मामले में पूरा सहयोग किया था।’’

उसने यह भी कहा कि गोस्वामी की कम्पनी ‘एआरजी आउटलियर प्राइवेट लिमिटेड’ ने अन्वय नाइक की कम्पनी ‘कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स’ को अनुबंध के तहत बकाया राशि का 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया था।

याचिका में कहा, ‘‘ जुलाई 2019 में, नाइक की कम्पनी के खाते में पूरी बकाया राशि जमा करा दी गई थी, लेकिन खाते के निष्क्रिय होने की वजह से वह राशि हमारे खाते में वापस आ गई।’’

उसने कहा कि याचिकाकर्ता ने पूर्व में पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया और आगे भी करते रहेंगे।

अर्नब गोस्वामी रातभर स्कूल में बनाए गए जेल कोविड-19 केन्द्र में रहे

अलीबाग (महाराष्ट्र) से खबर है कि, गिरफ्तार ‘रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को रात भर एक स्कूल में रखा गया जिसे अलीबाग जेल का कोविड-19 केन्द्र निर्दिष्ट किया गया है।

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग की एक अदालत ने इस मामले में गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 18 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

पुलिस ने गोस्वामी की 14 दिन की हिरासत का अनुरोध किया था, लेकिन अदालत ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है।

अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि चिकित्सकीय जांच के लिए गोस्वामी को बुधवार रात एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया।

उन्होंने बताया कि चिकित्सकीय जांच के बाद उन्हें अलीबाग नगर परिषद स्कूल ले जाया गया, जहां उन्होंने रात बिताई। इस स्कूल को अलीबाग जेल का कोविड-19 केन्द्र बनाया गया है।

आर्किटेक्ट एवं इंटिरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी और दो अन्य के खिलाफ भादंवि की धारा 306 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस ने बताया कि ‘कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक अन्वय नाइक ने कथित ‘सुसाइड नोट’ में दावा किया था कि गोस्वामी, ‘आईकास्टएक्स/स्कीमीडिया’ के फिरोज मोहम्मद शेख और ‘स्मार्ट वर्क्स’ के नीतीश सारदा ने उनके बकाया रुपये का भुगतान नहीं किया जिसकी वजह से वह आत्महत्या कर रहे हैं।

शेख और सारदा को भी बुधवार को अलीबाग की अदालत में पेश किया गया और उन्हें भी 18 नवम्बर तक हिरासत में भेज दिया गया है। अदालत का फैसला रात्रि 11 बजे के तुरंत बाद आया।

नाइक के कथित ‘सुसाइड नोट’ को पुणे में एक हस्तलेखन विशेषज्ञ के पास भेजा गया है और उसकी रिपोर्ट का इंतजार है।

अधिकारी ने बताया कि गोस्वामी की जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई ।

गोस्वामी ने मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने का अनुरोध करते हुए दो नवम्बर को बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया था।

अधिकारी ने बताया कि मुम्बई पुलिस ने ड्यूटी पर एक पुलिस अधिकारी के काम में ‘‘बाधा डालने, उस पर हमला करने, अभद्र शब्द कहने तथा धमकाने’’ और उनके घर पर ‘‘सरकारी दस्तावेजों’’ (जिसमें गिरफ्तारी की सूचना दी गई थी) को फाड़ने के मामले में गोस्वामी की पत्नी, उनके बेटे और दो अन्य के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई है।

उन्होंने बताया कि एन.एम. जोशी मार्ग पुलिस थाने में बुधवार को भादंवि की धारा 353, 504,506 और सार्वजनिक सम्पत्ति को क्षति पुहंचाने से संबंधित अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

अर्नब ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें एक मामले में गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया था जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

गोस्वामी के वकील गौर पार्केर ने हिरासत का विरोध करते हुए अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल के साथ दो पुलिस अधिकारियों ने मारपीट की और उनके घर को तीन घंटे के लिए घेर लिया गया। श्री पार्केर ने अदालत में अपने मुवक्किल गोस्वामी का पूरा घटनाक्रम बताया था ।

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