नयी दिल्ली 23 जनवरी । देश की ऐतिहासिक विरासत , सांस्कृतिक धरोहर और सैन्य शक्ति का आज राजपथ पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गणतंत्र दिवस परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल में प्रदर्शन किया गया।देश के 72 वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में राजपथ पर आयोजित परेड पर भी इस बार कोविड का साया दिखाई देगा और यह लाल किले के बजाय नेशनल स्टेडियम पर समाप्त हो जायेगी और कई पारंपरिक आकर्षण भी परेड से नदारद रहेंगे।
आगामी मंगलवार को 72 वें गणतंत्र दिवस समारोह की परेड से पहले शनिवार को राजपथ पर इसका पूर्वाअभ्यास किया गया। परेड के दौरान कोविड महामारी का पूरा असर दिखाई दिया। इस बार परेड में कई पारंपरिक आकर्षण नजर नहीं आये।
गणतंत्र दिवस समारोह में हर बार किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है हालाकि इस बार कोविड महामारी के कारण समारोह में कोई विदेशी हस्ती मुख्य अतिथि नहीं होगी। सरकार ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था लेकिन ब्रिटेन में कोविड के कारण भयानक स्थिति उत्पन्न होने के मद्देनजर उन्होंने आने में असमर्थता जता दी।
फुल ड्रेस रिहर्सल में परेड की शुरूआत सेना के हेलिकॉप्टरों द्वारा राजपथ पर पुष्प वर्षा के साथ और सलामी मंच पर राष्ट्रपति को प्रतिकात्मक सलामी के साथ हुई। जनरल आफिसर कमांडिंग दिल्ली एरिया लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा ने राष्ट्रपति को सलामी दी इसके बाद परेड के सेकेंड इन कमान अधिकारी मेजर जनरल आलोक कक्कड़ ने सलामी दी।
उनके पीछे परमवीर चक्र विजेताओं सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव ,सुबेदार संजय कुमार तथा अशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल डी श्रीराम कुमार सलामी मंच से गुजरे। इसके बाद परेड का मुख्य आकर्षण बंगलादेश की तीनों सेनाओं के जवानों का दस्ता कर्नल एम चौधर के नेतृत्व में कदमताल करते हुए गुजरा जिनके साथ बंगलादेश का सैन्य बैंड भी स्वर लहरी बिखेर रहा था। वर्ष 2016 में फ्रांस के सैन्य दस्ते के बाद यह दूसरा मौका है जब किसी विदेशी सेना के मार्चिंग दस्ते ने परेड में हिस्सा लिया है।
तीनों सेनाओं , सुरक्षा बलों , पुलिस बलों तथा एनसीसी और एनएसएस के मार्चिंग दस्तों ने भी अपनी उत्साह तथा जोश से भरी , कदमों के तालमेल से परिपूर्ण परेड से राजपथ को दहला दिया। कुल 18 मार्चिंग दस्तों ने परेड में कदम से कदम मिलाकर अपने अनुशासन तथा ऊर्जा तथा कौशल का परिचय दिया। इनमें घुड़सवारों तथा ऊंट पर सवार जवानों का भी एक एक दस्ता शामिल था। इनके साथ साथ सेनाओं तथा विभिन्न सुरक्षा बलों तथा पुलिस बलों के 36 बैंडों ने भी राजपथ पर स्वर लहरी का जादू बिखेरा। इन बैंडों ने हंसते गाते, सरहद के रखवाले , बलिदान और सारे जहां से अच्छा जैसे गीतों की धुन बजायी।
कोविड के कारण कई पारंपरिक आकर्षण रहेंगे परेड से नदारद
देश के 72 वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में राजपथ पर आयोजित परेड पर भी इस बार कोविड का साया दिखाई देगा और यह लाल किले के बजाय नेशनल स्टेडियम पर समाप्त हो जायेगी और कई पारंपरिक आकर्षण भी परेड से नदारद रहेंगे।
कोविड के कारण सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए परेड में हिस्सा लेने वाले मार्चिंग दस्तों का आकार छोटा किया गया है, भूतपूर्व सैनिकों को दस्ता परेड में नहीं आयेगा, मोटरसाइकिल पर हैरतअंगेज करतब दिखाने वाला दस्ता भी नहीं होगा साथ ही दर्शकों की संख्या को भी काफी कम किया गया है। हालाकि बंगलादेश की तीनों सेनाओं का मार्चिंग दस्ता इस बार की परेड का बड़ा आकर्षण रहेगा। वैसे परेड के समय में कमी नहीं की गयी है।
परेड के सेकंड इन कमान अधिकारी तथा सेना के दिल्ली एरिया के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल आलोक कक्कड़ ने आज परेड के बारे में आयोेजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस बार कोविड के चलते परेड में कई पारंपरिक आकर्षण देखने को नहीं मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो कोविड के चलते परेड की दूरी कम कर इसे लाल किले के बजाय नेशनल स्टेडियम पर समाप्त किया जायेगा। दूसरे इस बार मार्चिंग दस्तों में शामिल जवानों की संख्या 144 के बजाय कम कर 96 की गयी है। कोविड के कारण भूतपूर्व सैनिकों का दस्ता भी राजपथ पर नहीं दिखाई देगा। अपने हैरतअंगेज करतबों से दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देने वाले मोटरसाइकिल दस्ते के जांबाज जवान भी इस बार राजपथ पर परेड की शान नहीं बढायेंगे।
उन्होंने कहा कि कोविड को देखते हुए इस बार केवल 25 हजार दर्शकों को ही राजपथ पर परेड देखने की अनुमति दी गयी है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि परेड के समय में कोई कमी नहीं की गयी है।
उन्होंने कहा कि दूसरी बार किसी विदेशी सेना का दस्ता राजपथ पर कदमताल करता नजर आयेगा। इस बार बंगलादेश की तीनों सेनाओं के 122 जवानों का दस्ता भी परेड में शामिल होगा। बंगलादेश के दस्ते में जवान तथा बैंड दोनों शामिल होंगे। इससे पहले वर्ष 2016 में फ्रांस की सेना के दस्ते ने परेड की शान बढायी थी।