रतलाम 23 सितंबर । स्वच्छता से मनुष्य ही नही स्वच्छ वातावरण का भी निर्माण होता है। यह मानव के जीवन की दिनचर्या और स्वास्थ्य पर अनुकुल प्रभाव डालता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में शुरू किया गया स्वच्छता अभियान अब आन्दोलन बन गया है। जो प्रत्येक भारतवासी के जीवन में गहरा प्रभाव पैदा कर रहा है।
उक्त विचार शिक्षण अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. नागेश शिंदे ने जीवन पर्यन्त शिक्षा, जनस्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय पर शिक्षा अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं सेंट स्टीफेंस शिक्षा महाविद्यालय रतलाम के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय में आयोजित महाविद्यालयीन विद्यार्थी अभिमुखीकरण कार्यक्रम में मुख्य वक्ताके रूप में व्यक्त किए।
प्रो. शिंदे ने कहा कि स्वच्छता अभियान अब मनुष्य की सोच बदलने का अभियान बनता जा रहा है, जिसने अब प्रभावी रूप ले लिया है। जैसे स्वच्छता पखवाड़ा हम चलाते है तो वह स्वभाविक आदत में बदल रहा है और खुले शोच की प्रवृति में भी बदलाव इसी अभियान का हिस्सा बनते जा रहे है।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैनके पूर्व कुलपति प्रो. एम.एम. हाड़ा ने कहा कि प्रवृति और प्रकृति को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला कारक स्वच्छता माना गया है। यदि इसका संतुलन बिगड़ जाए तो मनुष्य की प्रवृति बदल जाती है और वातावरण की प्रकृति बिगड़ जाती है। इसलिए जीवन पर्यन्त जनस्वास्थ्य में स्वच्छता का महत्वपूर्ण प्रभाव हैै।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन शिक्षा सकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. ब्रजेन्दसिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान में जनस्वास्थ्य ही शिक्षा का मुख्य आधार बन रहा है। क्यों कि बढ़ती जनसंख्या और बदलते वातावरणसे स्वस्थ्य रहने के विभिन्न उपायों की आवश्यकता के अनुरूप ही हमें सचेत रहना अनिवार्य हो गया है।
कार्यक्रम को महाविद्यालय के डॉ. डी.एन. पचौरी ने संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य युगों से बदलता आ रहा है जो इस प्रभावी वातावरण का प्रतिफल है और आज हमें इसके प्रति शिक्षित होना आवश्यक है।
इस अवसर पर संस्था के संजय उपाध्याय, राजेश उपाध्याय, राखी कौशल, तेजकुंवर राठौर, संगीता उपाध्याय आदि मौजूद थे।
संचालन लोकेन्द्रसिंह गौर ने किया। आभार सोमा उपाध्याय ने माना।attacknews.in