नयी दिल्ली, 30 जुलाई।: बलात्कार के मामलों में दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक को आज लोकसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने समर्थन दिया, साथ ही इस सख्त कानून के क्रियान्वयन, व्यवस्था में ढांचागत खामियों से जुड़े विषयों पर ध्यान देने एवं विधेयक के दायरे में बालकों के खिलाफ ऐसे अपराधों को लाने की भी मांग की ।
लोकसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा की किरण खेर ने कहा कि यह संशोधन विधेयक बालिकाओं से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम है जो लड़कियों के लिये सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करेगा ।
उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष 2..3 वर्ष की बच्चियों से बलात्कार की खबरें आ रही हैं, ऐसे में एक जनप्रतिनिधि के तौर पर हम असंवेदनशील नहीं रह सकते । कानून को सख्त बनाना अत्यंत जरूरी है और ऐसे अपराधियों के संबंध में मृत्यु दंड महत्वपूर्ण प्रावधान है।
खेर ने कहा कि इसमें छह महीने में अपील की सुनवाई पूरी होने की बात कही गई है क्योंकि हमने निर्भया मामले में देखा कि मामले में 4 वर्ष लग गए । सरकार ने विशेष अदालत गठित करके मामले का निपटारा करने की बात कही है।
भाजपा सदस्य ने कहा कि यह विधेयक नारी का सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
कांग्रेस की रंजीत रंजन ने कहा कि कोई भी कानून तब तक प्रभावी नहीं हो सकता है जब तक व्यवस्था कारगर नहीं हो और समाज जागरूक नहीं हो ।
उन्होंने कहा कि बलात्कार के मामले में जांच का विषय आता है तब छह..सात राज्यों में ही फोरेंसिक लैब हैं। बलात्कार के मामले में पुलिस थाने पर लोगों को भरोसा नहीं होता है। रंजीत रंजन ने कहा कि बलात्कार का मामला राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है और इस सिलसिले में कठुआ, मंदसौर ही नहीं निठारी और अन्य मामलों का भी वह जिक्र करना चाहेंगी ।
उन्होंने कहा कि थाना या डॉक्टर सहित अगर किसी अन्य ने अपना काम ठीक से नहीं किया है, तब इनके खिलाफ कार्रवाई का क्या प्रावधान है । यह भी स्पष्ट हो । अगर एक बार बलात्कार की पुष्टि होती है तब बच्ची को दुबारा पड़ताल के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए ।
अन्नाद्रमुक के पी जी वेंकटेश ने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने में काफी शोध किया गया है। इसमें मृत्युदंड को प्रतिरोधक के तौर पर रखा गया है। ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को कोई रियायत नहीं मिलनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के आयामों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही यौन शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए । जारी
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयका समर्थन करते हुए कहा कि बच्चियों के खिलाफ ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों पर कोई दया नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कुछ राज्यों में बलात्कार की घटनाओं का आंकड़ा पेश किया और कहा कि सख्त कानून बनाने के साथ ही इसका सही क्रियान्वयन होना चाहिए।
बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि ढांचागत खामियों के चलते पॉक्सो नाकाम होता दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दायरे में लड़कों के साथ होने वाले जघन्य अपराधों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
मिश्रा ने कड़ी सजा के प्रावधान का समर्थन किया, हालांकि मौत की सजा पाने वालों में अधिकतर गरीब लोग होते हैं।
टीआरएस कोंडा विश्वेश्वरा रेड्डी ने कहा कि बलात्कार की घटनाओं को लेकर विदेशी मीडिया में भारत के छवि खराब की जा रही है। इस तरह की घटनाओं के लिए समाज भी आंशिक जिम्मेदारी है।
माकपा के ए. संपत ने कहा कि वह मृत्युदंड की व्यवस्था के खिलाफ हैं, लेकिन इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
राकांपा सुप्रिया सुले ने कहा कि इस विधेयक के दायरे में लड़कों के खिलाफ होने वाले अपराधों को भी लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस तरह के अपराध के मामलों में सभी यह ध्यान रखना चाहिए कि पीड़ित की पहचान उजागर नहीं हो।
वाईएसआर कांग्रेस की रेणुका बुट्टा ने कहा कि मौत की सजा के प्रावधान से ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपराध को जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर नहीं देखना चाहिए और ऐसे में मामलों में सिर्फ अपराधियों को सजा दिलाने पर ध्यान देने पर बात होनी चाहिए।
तेलगू देशम पार्टी के रवींद्र बाबू ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए।attacknews.in