नई दिल्ली, 27 सितंबर । उच्चतम न्यायालय ने अपने इस फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है-
*1528-मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण किया।
* 1885: महंत रघुवीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़ी भूमि के बाहर छत्र बनाने की अनुमति मांगी, अदालत ने याचिका खारिज की।
* 1949: विवादित ढांचे के बाहर मध्य गुम्बद के नीचे राम लला की मूर्तियां रखी गईं।
* 1950: गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर राम लला की मूर्तियों की पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी।
* 1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा तथा मूर्तियों को लगातार बनाए रखने की मांग को लेकर वाद दायर किया।
* 1959: निर्मोही अखाड़े ने वाद दायर कर स्थल का कब्जा मांगा।
* 1981: उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने स्थल का कब्जा मांगने के लिए वाद दायर किया।
* 1 फरवरी 1986: स्थानीय अदालत ने सरकार को हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए स्थल को खोलने का आदेश दिया।
* 14 अगस्त 1989: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
* 6 दिसंबर 1992: कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिराया।
* 3 अप्रैल 1993: केंद्र ने विवादित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए विशेष क्षेत्र अधिग्रहण अयोध्या कानून पारित किया।
* 1993: कानून के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देने के लिए इस्माइल फारुकी की याचिका सहित विभिन्न याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर।
* 24 अक्तूबर 1994: उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक इस्माइल फारुकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है।
* अप्रैल 2002: उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की।
* 13 मार्च 2003: उच्चतम न्यायलय ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा कि अधिगृहीत भूमि पर किसी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाए।
* 14 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पारित अंतरिम आदेश सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दीवानी वादों के निपटारे तक जारी रहना चाहिए।
* 30 सितंबर 2010: उच्च न्यायालय ने दो-एक के बहुमत से विवादित स्थल को राम लला, निर्मोही अखाड़े और वक्फ बोर्ड के बीच तीन हिस्सों में बॉंटने का आदेश दिया।
* 9 मई 2011: उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाई।
*26 फरवरी 2016: सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की मांग की।
*21 मार्च 2017: प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहड़ ने प्रतिद्वंद्वी पक्षों को मामला अदालत से बाहर निपटाने की सलाह दी।
* 7 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 1994 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की।
* 8 अगस्त : उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मस्जिद विवादित क्षेत्र से दूर किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बनाई जा सकती है।
* 11 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने विवादित भूमि का अनुरक्षण देखने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 10 दिन के भीतर पर्यवेक्षक के रूप में दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नामांकित करने का निर्देश दिया।
* 20 नवंबर: उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अयोध्या में मंदिर बनाया जा सकता है और लखनऊ में मस्जिद।
* 1 दिसंबर 2010: मामले में 32 कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की।
* 8 फरवरी 2018: उच्चतम न्यायालय ने दीवानी अपीलों पर सुनवाई शुरू की।
* 14 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने सभी अंतरिम याचिकाएं खारिज कीं, सिवाय स्वामी की याचिका के जिन्होंने मामले में खुद के हस्तक्षेप का अनुरोध किया।
* 6 अप्रैल: राजीव धवन ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अग्रह किया कि वह 1994 के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला बड़ी पीठ को भेजे।
* 6 जुलाई: उप्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कुछ मुस्लिम संगठन 1994 के एक फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर मामले की सुनवाई में देरी कराने की कोशिश कर रहे हैं।
* 20 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा।
* 27 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने से इनकार किया।
मामले पर तीन न्यायाधीशों की नवगठित पीठ 29 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।attacknews.in