नयी दिल्ली, आठ मार्च । उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामला शुक्रवार को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। न्यायालय ने शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला को मध्यस्थता के लिये गठित तीन सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि पैनल के अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में होगी और यह प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जानी चाहिए।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि मध्यस्थता करने वाली यह समिति चार सप्ताह के भीतर अपनी कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट दायर करेगी। पीठ ने कहा कि यह प्रक्रिया आठ सप्ताह के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता कार्यवाही की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘‘अत्यंत गोपनीयता’’ बरती जानी चाहिए और प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस कार्यवाही की रिपोर्टिंग नहीं करेगा।
पीठ ने कहा कि मध्यस्थता समिति इसमें और अधिक सदस्यों को शामिल कर सकती है और इस संबंध में किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में समिति के अध्यक्ष शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को इसकी जानकारी देंगे।
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 याचिकाएं दायर हुई हैं। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बांट दी जाए।
श्री श्री रविशंकर ने कहा:
अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने शुक्रवार को उत्तराखंड के पंतनगर में कहा कि अगर राम जन्म भूमि का मामला किसी मध्यस्थता से सुलझता है तो यह देश के लिए बहुत अच्छा होगा।
नैनीताल जिले के हल्द्वानी में आज आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा आयोजित महासत्संग में शामिल होने आये श्री श्री रविशंकर ने पंतनगर हवाई अड्डे पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राम जन्म भूमि विवाद अगर किसी भी मध्यस्थता से सुलझता है तो यह देश के लिए काफी अच्छा होगा।
उन्होंने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा उन पर (श्री श्री रविशंकर) राम मंदिर का हिमायती कहे जाने पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने श्री श्री रविशंकर सहित तीन लोगों को राम मंदिर विवाद सुलझाने हेतु मध्यस्थता के लिए नामित किया है।
सभी चाहते हैं कि: समाधान हो :
राम मंदिर मुद्दे के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति बनाने के वास्ते मध्यस्थता समिति गठित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को कमोबेश सभी ने उचित कदम बताते हुए इस समस्या का सौहार्दपूर्ण हल निकलने की उम्मीद जतायी है।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा विवाद को सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के गठन के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में अब वह सिर्फ समिति के समक्ष अपनी बात रखेंगे और बाहर कुछ प्रतिक्रिया नहीं देंगे।
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा, “मध्यस्थता के लिए जिन नामों का चयन उच्चतम न्यायालय ने किया है उस पर मैं कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करूंगी, लेकिन एक हिंदू होने के नाते मुझे लगता है कि श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण होना चाहिए।”
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। पहले भी इस मुद्दे को सुलझाने के प्रयास हुए हैं, लेकिन कोई भी प्रयास कभी सफल नहीं हुआ। उनका कहना था कि श्रीराम का कोई भी श्रद्धालु मंदिर निर्माण में अब और देरी नहीं चाहता।
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