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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में खाप पंचायत ने वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाने वाले 3 परिवारों को गांव से बाहर करने का तुगलकी फरमान सुनाया attacknews.in

जोधपुर 27 जून । राजस्थान में जोधपुर जिले के बिलाड़ा में खाप पंचायत के फरमान के बाद तीन परिवारों का हुक्का पानी बंद कर देने का मामला सामने आया है ‌।

इस मामले पर जैन मुनि श्रमण डॉक्टर पुष्पेंद्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने खाप पंचायत के तुगलकी फरमान को निरस्त करने की बात कही है।

उन्हाेंने कहा है कि वन्यजीवों के प्रति हिंसा को रोकने का इससे बुरा परिणाम अब तक नहीं देखा है। ऐसे में राज्य सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कर पीड़ित परिवार तक जल्द से जल्द राहत पहुंचाए। ताकि, भविष्य में कोई भी इस तरह का तुगलकी फरमान जारी ना करें।

यह हैं मामला:

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में खाप पंचायत ने तीन परिवारों को गांव से बाहर करने का तुगलकी फरमान सुना दिया. इन परिवारों के लोगों ने वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाई थी. यही बात कुछ लोगों को रास नहीं आई तो गांव में खाप पंचायत बुला ली गई और इन्हें गांव से बहिष्कृत करवा दिया गया.

दरअसल, ये मामला जोधपुर के बिलाड़ा उपखंड के बाला गांव का है. जहां तीन परिवार आज भी घरों में कैद हैं. ये तीन परिवार कोरोना की पहली लहर के बाद से क्षेत्र में भूखे प्यासे वन्यजीवों के चारे पानी की व्यवस्था का सहयोग कर रहे थे. इन्होंने वन्य जीव तारबंदी से उलझ कर वन्यजीवों का शिकार होने के खिलाफ आवाज उठाई थी. यह बात गांव के कुछ लोगों को रास नहीं आई और गांव में खाप पंचायत बुलाई गई. खाप पंचायत के फरमान के बाद लोगों को गांव से बहिष्कृत करवा दिया गया.

गौरतलब है कि जिन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए काम किया हो ऐसे लोगों के खिलाफ ही खाप पंचायत ने तुगलकी फरमान सुना दिया. जिसको लेकर अब पीड़ित परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सुनील के पंवार ने बताया कि दोनो पक्षों ने क्रॉस मुकदमें करवाएं हैं. खाप पंचायत को लेकर बिलाड़ा थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है.

पीड़ित सुरेश की रिपोर्ट के अनुसार 5 जून को गांव में ग्रामीणों को एकत्रित किया गया, वहीं सरपंच नाथूराम और कालू सिंह व अन्य कई लोगों ने तीन परिवार को गांव से बहिष्कृत करने का निर्णय सुनाया. किसी ने भी निर्णय के खिलाफत की तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने की भी धमकी दी गई. इससे गांव के दुकानदार पीड़ित परिवार को राशन-पानी तक का सामान नहीं दे रहे।

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