जयपुर/नईदिल्ली 27 जुुलाई । राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाने के मुद्दे पर राज्य सरकार और राजभवन में टकराव हो गया है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल द्वारा सत्र आहूत करने के प्रस्ताव की फाइल राजभवन ने संसदीय कार्य विभाग को वापस भेज दी है।
राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति देने का सशर्त प्रस्ताव रखा
विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत हो – मिश्र
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है।
श्री मिश्र ने आज जारी बयान में कहा कि राजस्थान विधानसभा का पांचवां सत्र बुलाने के लिये राज्य सरकार द्वारा उनके परामर्श के अनुसार सुधार करके भेजा गया पत्र 25 जुलाई की रात को प्राप्त हुआ।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है।
श्री मिश्र ने कहा कि राजस्थान विधानसभा का पांचवां सत्र बुलाने के लिये राज्य सरकार द्वारा उनके परामर्श के अनुसार सुधार करके भेजा गया पत्र 25 जुलाई की रात को प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 31 जुलाई से सत्राहूत करने का प्रस्ताव भेजा है। राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में यह वर्णित किया है कि ‘राज्यपाल महोदय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 में मंत्रिमण्डल की सलाह मानने को बाध्य हैं एवं राज्यपाल स्वयं के विवेक से कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि लेकिन परिस्थितियाँ विशेष हों, ऐसी स्थिति में राज्यपाल को विधानसभा का सत्र संविधान की भावना के अनुरूप आहूत करने का हक है कि विधानसभा के सभी सदस्यों को उपस्थिति के लिये उचित समय एवं उचित सुरक्षा एवं उनकी मुक्त एवं स्वतन्त्र इच्छा, स्वतन्त्र आवागमन, सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिये प्रक्रिया को अपनाया जावे।
उन्होंने बताया कि मीडिया के जरिए राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है, परन्तु सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका कोई उल्लेख नहीं है।
श्री मिश्र ने कहा कि इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ‘नाबाम रबिया एवं बमांग फेलिक्स बनाम विधानसभा उपाध्यक्ष, अरूणाचल प्रदेश एक अप्रैल 2016 1⁄2 8 एसीसी एक के पैरा 162 का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने बताया कि मंत्रिमण्डल के पुनः प्राप्त प्रस्ताव के संबंध में विधिक विशेषज्ञों से राय ली गई। जिसमें ‘‘नाबाम रबिया एवं बमांग फेलिक्स बनाम विधानसभा उपाध्यक्ष, अरूणाचल प्रदेष 1⁄420161⁄2‘‘ मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पैरा 150 से 162 का अध्ययन किया गया है। इसमें यह तथ्य सामने आया कि संविधान के अनुच्छेद 174 1⁄411⁄2 के अन्तर्गत माननीय राज्यपाल साधारण परिस्थिति में मंत्रिमण्डल की सलाह के अनुरूप ही कार्य करेंगे और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1741⁄411⁄2 की पालना के लिये भी मंत्रिमण्डल की सलाह मान्य है।
श्री मिश्र ने कहा कि यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्प अवधि में सत्र बुलाये जाने का युक्तियुक्त आधार बन सकता है। चूंकि वर्तमान में परिस्थितियाँ असाधारण है इसलिए राज्य सरकार को तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही किये जाने का परामर्श देते हुए पत्रावली पुनः प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
उन्होंने कहा कि पहला विधानसभा का सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाये, जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अन्तर्गत सभी को समान अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। दूसरा किसी भी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कार्यवाही की जाती है, तब ऐसी परिस्थितियों में जबकि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की है।
तीसरा विश्वास मत प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाये तथा सम्पूर्ण कार्यवाही की वीडियों रिकॉर्डिंग करायी जावे। ऐसा विश्वास मत केवल हाँ या ना के बटन के माध्यम से ही किया जाये। यह भी सुनिष्चित किया जाये कि ऐसी स्थिति में विश्वास मत का सजीव प्रसारण किया जाय।
श्री मिश्र ने कहा कि यदि विधानसभा का सत्र आहूत किया जाता है तो विधानसभा के सत्र के दौरान सामाजिक दूरी का पालन किस प्रकार किया जाएगा। क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 माननीय विधायकगण और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों को एकत्रित होने पर उनको संक्रमण का कोई खतरा नहीं हो और यदि उनमें से किसी को संक्रमण हुआ तो उसे अन्य में फैलने से कैसे रोका जायेगा।
श्री मिश्र ने कहा है कि राजस्थान विधानसभा में 200 विधायकगण और 1000 से अधिक अधिकारी/कर्मचारियों के एक साथ सामाजिक दूरी की पालना करते हुए बैठने की व्यवस्था नहीं है जबकि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आपदा प्रबन्धन अधिनियम एवं भारत सरकार के दिशा निर्देशों की पालना किया जाना आवयक है।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 174 का निरपेक्ष अर्थ मंत्रिमण्डल की आज्ञा में उल्लेखित किया गया है। यह राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है कि ऐसी विपरीत परिस्थिति में बिना किसी विशेष आकस्मिकता के विधानसभा का सत्र आहूत करके 1200 से अधिक लोगों के जीवन को खतरे में डाला जाए। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 174 के अन्तर्गत उपरोक्त परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किये जाने के लिये कार्यवाही किये जाने के निर्दे राज्य सरकार को दिये हैं।
इससे पहले उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 31 जुलाई से सत्राहूत करने का प्रस्ताव भेजा, जिसमें कहा गया है कि ‘राज्यपाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 में मंत्रिमण्डल की सलाह मानने को बाध्य हैं एवं राज्यपाल स्वयं के विवेक से कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि लेकिन विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल को विधानसभा का सत्र संविधान की भावना के अनुरूप आहूत करने का हक है।
राजस्थान में राज्यपाल की रही स्तब्ध करने वाली भूमिका : कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा है कि राजस्थान के राज्यपाल की भूमिका हैरान और स्तब्ध करने वाली रही है और भारतीय जनता पार्टी की ओर से नियुक्त राज्यपालों की इसी तरह की भूमिका के विरोध में पार्टी ने सोमवार को पूरे देश में राज भवनों के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसदीय लोकतंत्र के संचालन में राज्यपालों की भूमिका अहम है। राज्यपाल विधानसभा का सत्र कब आयोजित करने के साथ ही विधायकों को समन जारी कर सकते हैं और यदि मुख्यमंत्री बहुमत साबित करना चाहते है तो राज्यपाल विधान सभा की बैठक बुला सकते हैं।
श्री चिदंबरम ने कहा कि राजस्थान में कैबिनेट के फैसले को लेकर राज्यपाल ने जो भूमिका निभाई है वह हैरान और स्तब्ध करने वाली है तथा उसकी इसी भूमिका के खिलाफ कांग्रेस ने आज राजभवनो के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर जनता का ध्यान भाजपा की गैरसंवैधानिक नियमों के उल्लंघन की तरफ आकर्षित किया।
उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यपाल शीघ्र ही विधान सभा का सत्र बुलाएंगे और संविधान का सम्मान करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद भाजपा ने जितने राज्यपाल नियुक्त किए हैं उनमें ज्यादातर ने पद का दुरुपयोग कर संवैधानिक प्रक्रियाओं का मजाक उड़ाया है।
कांग्रेस में अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर और खलनायक हैं गहलोत – पूनियां
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस में जारी अंतकर्लह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर, खलनायक खुद श्री अशोक गहलोत हैं।
डा़ पूनिया ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस के जो 19 विधायकों की नाराजगी की बात सामने आ रही है, उनको अशोक गहलोत कांग्रेस से बाहर करने का षडयंत्र रच रहे हैं। यह श्री गहलोत का ही षडयंत्र है कि 19 विधायकों को पार्टी से बाहर कैसे निकाला जाये, यह सारी व्यूहरचना उन्होंने ही रची है।