जैसलमेर, 09 अगस्त । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार के कई मंत्रियों का नाम लेते हुए कहा है कि देश का दुर्भाग्य हैं कि ऐसे लोग सत्ता में बैठे हुए हैं जो लोकतंत्र को कमजोर करने में लगे हैं।
बाड़ेबंदी में रह रहे अपने समर्थक विधायकों से आज यहां पहुंचे श्री गहलोत ने हवाई अड्डे के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा के षड़यंत्र की पोल खुल गई। भाजपा अब बाड़ेबंदी कर रही है। मुझे लगता है भाजपा में जोरदार फूट पड़ गई।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सत्ता में सरकार हमारी है और बाड़ेबंदी भाजपा कर रही है। इससे साफ लगता है कि उनका षड़यंत्र सफल नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि मैने चुनी हुई सरकार को गिराने के प्रयासों का हमेशा विरोध किया।
सरकार को अस्थिर करने के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके-गहलोत
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी राजनेतिक दलों के विधायकों से लोकतंत्र को बचाने एवं जनता का विश्वास बरकरार रखने के लिए चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की गलत परम्पराओं से बचने की अपील की है।
श्री गहलोत ने राज्य के सभी विधायकों के नाम जारी अपील में कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद पिछले डेढ साल में राज्य सरकार ने प्रदेश के विकास एवं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का हर संभव प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासन देते हुये शिक्षा,उच्च शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, सडक एवं आभारभुत सुविधाओं के विकास के साथ साथ पंचायत समिति एवं उपखंड स्तर पर उल्लेखनीय फैसले किए जिनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई।
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के कारण अचानक स्थितियां विकट हो गई। कोरोना की भयावता और इसकी गंभीरता को समझते हुए हमलने सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों, चिकित्सकों, धर्मगुरूओं, स्वयंसेवी संस्थाओं , सामाजिक कार्यकर्ताओं, उध्मियों, भामाशाओं, पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों, पुलिस,प्रशासन, राज्य कर्मचारियों एवं आमजन को साथ लेकर शानदार प्रबंधन किया जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है।
श्री गहलोत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में भी हमारे कुछ साथी और विपक्ष के कतिपय नेता मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई हमारी सरकार को अस्थिर करने के षडयंत्र में लगे हुए है यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा वर्ष 1993-96 के दरम्यान विधायकों की खरीद फरोख्त कर भैंरोसिंहजी शेखावत की सरकार को गिराने के प्रयास किए गए थे। उस समय मैंने (श्री गहलोत) केन्द्रिय राज्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेसअध्यक्ष के नाते तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत एवं प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव से मिलकर विरोध किया था कि चुनी हुई सरकार को गिराना लोकतांत्रिक मूल्यों के विरूद्व है और मैं इसे राजनीतिक महापाप की श्रेणी में मानता हूं।
श्री गहलोत ने कहा कि वर्तमान में प्रदेशवासियों ने इस घटनाक्रम को लेकर इस षडयंत्र में शामिल जनप्रतिनिधियों के प्रति भयंकर आक्रोश है।
उन्होंने अपील में विधायकों से कहा कि लोकतंत्र को बचाने, हम में जनता का विश्वास बरकरार रखने एवं गलत पम्पराओं से बचने के लिए आपको जनता की आवाज सुननी चाहिये। आप चाहे किसी भी राजनीतिक पार्टी के विधायक हो, आप अपने साथियों, परिवारजनों और अपने क्षेत्र के मतदाताओं की भावनाओं को समझकर सुनिश्चित करने का फैसला करे कि किस प्रकार राजस्थान प्रदेश के हितों के लिए जनता द्वारा चुनी हुई बहुमत प्राप्त सरकार मजबूती के साथ कार्य करती रहे और सरकार को अस्थिर करने के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके।