जयपुर, 14 दिसम्बर । राजस्थान में सात दिसम्बर को हुए मतदान में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर और एससी / एसटी अधिनियम प्रावधानों में किये गये बदलाव के विरोध के चलते 29 सीटों का नुकसान हुआ है ।
निर्वाचन विभाग से प्राप्त आंकडों के अनुसार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित 59 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐसी केवल 21 सीटों पर जीत मिली है ।
2018 के चुनाव परिणामों में भाजपा ने अनुसूचित जाति श्रेणी में 12 सीटें और अनुसूचित जन जाति श्रेणी में नौ सीटों पर जीत दर्ज की है वहीं कांग्रेस ने अनूसूचित जाति की श्रेणी में 19 सीटें और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12 सीटों पर दर्ज हांसिल की है।
भाजपा विरोधी हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोक तांत्रिक पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित दो सीटों पर जीत दर्ज की है वहीं एक सीट निर्दलीय के खाते में गयी है । दो अनुसूचित जनजाति सीटों पर निर्दलीयों ने और दो सीटों पर भारतीय ट्राइबल पार्टी ने चुनाव जीता है।
राजनैतिक पर्यवक्षकों ने एससी / एसटी अधिनियम प्रावधानों में किये गये बदलाव के विरोध में दो अप्रैल को ‘भारत बंद’ और सत्ता विरोधी तत्वों के कारण भाजपा को हुए नुकसान के लिये जिम्मेदार ठहराया है।
राज्य में एससी / एसटी अधिनियम प्रावधानों में किये गये बदलाव के विरोध में दलित समूहों ने रेल/सडक यातायात को जाम करने के साथ साथ सम्पत्ति का नुकसान किया था। इसके कुछ दिन बाद राज्य के कई हिस्सों में सवर्ण समाज के लोगों ने शांतिपूर्वक बंद का आयोजन किया था।
जनता की नाराजगी झेल रही कांग्रेस ने राज्य के पूर्वी जिलों में अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर दर्ज की है । इस चुनाव में भाजपा ने अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, और टोंक जिले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई।।
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