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दिल्ली की सीमा पर डटे पंजाब के किसानों ने ठुकरायी केंद्र सरकार की बातचीत की अपील, एक दिसंबर से राज्यों में प्रदर्शन और दिल्ली को चारों ओर से घेरकर बंद करने का ऐलान attacknews.in

नयी दिल्ली ,29 दिसंबर. । नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमा पर डटे किसान संगठनों ने सरकार की बातचीत की अपील ठुकरा दी है और एक दिसंबर से सभी राज्यों में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

विरोध कर रहे किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि सरकार को उच्च स्तर पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए।

समिति ने कहा कि किसानों ने एक दिसंबर से सभी राज्यों में भी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। कल देर शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से बातचीत करने की अपील करते हुए कहा था कि तीन दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसान संगठनों के साथ बैठक करेंगे।

बयान में कहा गया है कि किसान एकजुट हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों और तथा बिजली विधेयक 2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक व संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या कुसान में सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है।

किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों और सवालों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार की कार्यप्रणाली ने अविश्वास और भरोसे की कमी पैदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगानी बंद कर देनी चाहिए ।

किसानों ने सरकार का प्रस्ताव खारिज किया

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज किया और सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए आने वाले दिनों में दिल्ली की सभी पांचों सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन तेज करने की बात कही है।

किसान संगठनों ने बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव भी आज ठुकरा दिया है, जिसमें उन्होंने बुराड़ी में मुहैया कराई गई जगह पर सभी किसानों के इकट्ठा होने के बाद बातचीत शुरू करने की बात कही थी। इतना ही नहीं किसान संगठनों ने यह भी फैसला किया है कि बुराड़ी पहुंचे किसान भी वापस सिंघु बॉर्डर लौटेंगे। किसानों ने कहा कि टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर तो सील कर दिया गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में हापुड़, आगरा और जयपुर रोड को भी सील किया जाएगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से आए हजारों किसान सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

श्री शाह ने किसानों से धरने के लिए निर्धारित बुराड़ी स्थित संत निरंकारी मैदान में पहुंचने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि निर्धारित स्थल पर पहुंचने के अगले ही दिन वार्ता होगी वहीं, किसानों ने अमित शाह की इस शर्त को ठुकरा दिया है।

किसान नेताओं ने गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों के माध्यम से आंदोलनकारियों से वार्ता के प्रयास की निन्दा कर सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वार्ता की मांग करते हुए कहा कि सरकार तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों को तत्काल रद्द करे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान जारी कर कहा कि किसान एकताबद्ध हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों, जो कारपोरेट के हित की सेवा करते हैं और जिन्हें बिना चर्चा किए पारित किया गया तथा बिजली विधेयक-2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक और संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से किसान भारी संख्या में सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है।

उन्होंने कहा कि देश के किसानों ने तय करके दिल्ली में भारी संख्या में विरोध जताया क्योंकि सरकार ने सितम्बर से जारी किये गये उनके ‘‘दिल्ली चलो’’ आह्नान के बाद हुए देशव्यापी विरोध कार्यक्रमों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने स्थानीय स्तर पर देश भर में बहुत सारे विरोध आयोजित किये, जबकि दिल्ली के आसपास के किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

किसानों ने दिल्ली पहुंचने की बहुत विस्तारित तैयारी की हुई है पर उन्हें एक दमनकारी अमानवीय व असम्मानजनक हमलों का सामना करना पड़ा है, जिसमें सरकार ने उनके रास्ते में बहुत सारी बाधाएं डालीं, पानी की बौछारें की, आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया और राजमार्ग खोद दिये। सरकार में पैदा हुए अविश्वास और भरोसे की कमी के लिए सरकार खुद भी जिम्मेदार है।

बयान में कहा गया है कि अब तीन काले कानून और बिजली विधेयक-2020 वापस लेने की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार इस प्रयास में है कि बहस का मुद्दा यह बने कि किसान कहां रुकेंगे? पूरे शहर में पुलिस तैनात की गयी है जिससे विरोध कर रहे किसान और दिल्ली की जनता भी आतंक और संदेह के माहौल में आ गयी है। किसानों के रास्ते में लगाए गये बैरिकेड अब भी नहीं हटाए गये हैं।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगाना बंद कर देना चाहिए। किसान अपनी मांगों पर बहुत स्पष्ट  हैं ।

किसान कूच : प्रदर्शनकारी अब भी दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं

इससे पहले केंद्र द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे हजारों किसान एक और सर्द रात सड़क पर बिताने के साथ राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अब भी जमे रहे । वहीं, किसान नेता सरकार द्वारा प्रस्तावित रणनीति पर मंथन करते रहे ।

किसानों के आंदोलन की वजह से कई सड़क और दिल्ली आने वाले रास्ते बंद हैं जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है।

शाह ने कहा किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है।

सिंघू बॉर्डर पर मौजूद बृज सिंह नामक किसान ने कहा, ‘‘भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आज अहम बैठक होने वाली है। तब तक हम यहीं जमे रहेंगे बैठक के नतीजों के हिसाब से फैसला करेंगे। मांगें माने जाने तक हम प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।’’

पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी शाह के प्रस्ताव पर कहा कि किसानों से जितनी जल्दी बातचीत होगी, उतना ही वह कृषि समुदाय और दिश के हित में होगा।

आंदोलन में साथ खड़े हरियाणा और पंजाब के किसानों को हमारा पूर्ण समर्थन : हुड्डा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के उस बयान पर हैरानी जताई है जिसमें उन्होंने आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल होने से इंकार किया है।

श्री हुड्डा ने आज यहां कहा कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हरियाणा के किसान कई महीने से आंदोलनरत हैं। वो बार-बार सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने या एमएसपी का क़ानून बनाने की गुहार लगा चुके हैं।मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्या वो आंदोलनकारी किसानों को हरियाणा वासी नहीं मानते। हरियाणा के किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं है तो पिपली में सरकार ने किन लोगों पर लाठीचार्ज करवाया था। वो कौन लोग हैं जिन्हें हरियाणा पुलिस ने दिल्ली कूच से पहले हिरासत में लिया था। वो हज़ारों किसान कहां के रहने वाले हैं जिन पर हरियाणा सरकार ने मुक़दमे दर्ज किए हैं।

कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने दिखाए तीखे तेवर

हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हजारों किसानों के तेवर तीखे होते जा रहे हैं। किसान संगठनों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वह किसी वार्ता के लिए दिल्ली नहीं जाएंगे बल्कि केंद्र सरकार का प्रतिनिधि यहीं आकर उनसे बातचीत करें।

पारित तीन कृषि कानून के विरोध में कुंडली बॉर्डर पर चल रहा विभिन्न किसान संगठनों का धरना आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से यहां पहुंचने का किसानों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। रोजाना हजारों किसानों के धरना स्थल पर पहुंचने से इसका आकार विशाल होता जा रहा है।

आलम यह है कि जहां तक नजर जाती है वहां किसान ही किसान नजर आते हैं। हाईवे के बीचों बीच किसानों का धरना चलने के कारण ट्रैफिक पूरी तरह ठप्प हैं ।

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Dr.Sushil Sharma Admin/Editor

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