नयी दिल्ली, 17 मार्च । पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर नौसेना ने उत्तरी अरब सागर में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य, परमाणु पनडुब्बी चक्र, 60 पोत और करीब 80 विमान तैनात किए थे।
नौसेना अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नौसेना पहले से ही एक बड़ा अभ्यास कर रही थी लेकिन 14 फरवरी के पुलवामा हमले के बाद पोतों को अभ्यास के बदले कार्रवाई के लिए तैनात कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि नौसेना के करीब 60 पोतों के साथ ही भारतीय तटरक्षक बल के 12 पोतों और करीब 80 विमानों को तैनात कर दिया गया।
नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा ने कहा कि नौसेना ‘ट्रॉपेक्स’’ अभ्यास में जुटी थी और इससे उसे जल्दी ही बदलती स्थिति में जवाब देने के लिए पोतों को तैनात करने में मदद मिली।
उन्होंने कहा कि सतह, समुद्र के अंदर और हवा में भारतीय नौसेना की श्रेष्ठता के कारण पाकिस्तानी नौसेना की गतिविधियां मकरान तट तक ही सीमित रहीं और वे खुले सागर में नहीं आए।
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा सोमवार को कोच्चि नौसेना बेस में ट्रॉपेक्स के नतीजों का आकलन करेंगे।
नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि कमांडरों के साथ एडमिरल लांबा की दिन भर की समीक्षा का मकसद अभ्यास के संचालन की जांच करना और भारतीय नौसेना की तैयारियों का जायजा लेना है
पुलवामा हमले के कारण पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने के बाद वायु सेना और थल सेना के साथ-साथ भारतीय नौसेना भी किसी भी स्थिति का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार थी ।
नौसेना के अनुसार, अरब सागर में उसकी भारी भरकम तैनाती और समूचे क्षेत्र पर कड़ी निगरानी के कारण पाकिस्तानी नौसेना की गतिविधियाँ अरब सागर से लगे मकराना के छोटे से तटीय क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गयी थी और उनके युद्धपोत तथा अन्य प्लेटफॉर्म अरब सागर में खुले तौर पर आने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे।
दरअसल गत 14 फरवरी को जब पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ उस समय नौसेना एक बड़े युद्धभ्यास ट्रोपेक्स-19 में जुटी थी जिसमें उसके युद्धक बेड़े के तमाम युद्धपोत हिस्सा ले रहे थे।
यह अभ्यास 07 जनवरी को शुरू हुआ था और 10 मार्च तक चलना था। लेकिन, दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर नौसेना ने तुरंत अपने इस युद्धक बेड़े का रुख उत्तरी अरब सागर की ओर कर दिया। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य, परमाणु पनडुब्बियों, युद्धपोतों तथा विमानों को ऑपरेशन मोड में तैनात किया गया जिससे समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर नजर रखी जा सके और उसका करारा जवाब दिया जा सके।
गत 28 फरवरी को तीनों सेनाओं के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भी नौसेना ने अपना सख्त रुख को स्पष्ट करते हुए कड़ा संदेश दिया था कि वह समुद्री क्षेत्र में किसी भी तरह के दुस्साहस का जोरदार जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उस समय नौसेना का विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अपने लड़ाकू बेडे, परमाणु पनडुब्बियां, 60 युद्धपोतों, तटरक्षक बल के 12 जलपोतों और विमानों के साथ उतरी अरब सागर में मोर्चे पर तैनात था। नौसेना ने वायु सेना और थल सेना के साथ भी पूरा तालमेल बना रखा था। इसे देखते हुए पाकिस्तानी नौसेना ने अपनी गतिविधियाें को मकराना के तटीय क्षेत्र तक ही सीमित रखने में भलाई समझी और उसका कोई भी प्लेटफॉर्म अरब सागर में खुले में विचरण करने का साहस नहीं जुटा सका।
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