सियोल, 21 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही दुनिया के लिए महात्मा गांधी की जीवनशैली एक महत्वपूर्ण सबक है। दरअसल, उन्होंने ऐसा जीवन जिया जिसने कोई ‘‘कार्बन फुटप्रिंट’’ नहीं छोड़ा।
महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का यहां प्रख्यात योनसेई विश्वविद्यालय में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जेई – इन और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून के साथ अनावरण करने के दौरान मोदी ने कहा कि 20 वीं सदी में महात्मा गांधी शायद मानव जाति को सबसे बड़ा तोहफा थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछली सदी में अपनी शख्सियत, अपने जीवन एवं मूल्यों के जरिए महात्मा गांधी ने हमें दिखाया कि भविष्य क्या होगा। वह कहा करते थे कि मेरा जीवन मेरी सीख है।’’ मोदी दो दिनों की यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी कहा करते थे कि ईश्वर और प्रकृति ने मानव की जरूरत को पूरा करने के लिए हर चीज दी है लेकिन लालच के लिए नहीं दी है। यदि हम अपने लालच को संतुष्ट करना चाहते हैं तो प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त नहीं होंगे। वह कहा करते थे कि हमारा जीवन जरूरत आधारित होना चाहिए, ना कि लालच आधारित। ’’
मोदी ने कहा कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन वह दो बड़ी चुनौतियां हैं जिसका मानव जाति सामना कर रही है । वहीं, महात्मा गांधी की शिक्षाएं दुनिया को इन दोनों मुद्दों का हल करने में मदद कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी के जीवनकाल में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन उन्होंने ऐसा जीवन जिया जिसने कोई कार्बन फुटप्रिंट नहीं छोड़ा। उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरित ग्रह (पृथ्वी) छोड़ना महत्वपूर्ण है।’’
गौरतलब है कि ‘‘कार्बन फुटप्रिंट’’ को किसी व्यक्ति, संगठन या उत्पाद द्वारा किए गए कार्बन डाइऑक्साइड के कुल उत्सर्जन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘गांधी कहा करते थे कि हमें भावी पीढ़ी से प्राकृतिक संसाधनों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है। हम उनके लिए एक बेहतर दुनिया छोड़ सकते हैं ताकि वे स्वच्छ हवा में सांस ले सकें, स्वच्छ जल प्राप्त कर सकें। ’’
मोदी राष्ट्रपति मून जेई – इन के न्यौते पर दक्षिण कोरिया की यात्रा पर हैं। 2015 से उनकी दक्षिण कोरिया की यह दूसरी यात्रा और राष्ट्रपति मून जेई – इन के साथ दूसरी बैठक है।
महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण के बाद प्रधानमंत्री दक्षिण कोरियाई शहर गिमहाई के मेयर से मिले और दोनों देशों के बीच करीबी संबंधों को प्रदर्शित करते हुए उन्हें बोधि वृक्ष का एक पौधा उपहार में दिया।
अयोध्या और गिमहाई को सिस्टर सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 2000 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत की अर्थव्यवस्था 5 हजार अरब डॉलर की होने वाली है:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण कोरिया के निवेशकों को भारत में निवेश की संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और यह जल्द ही पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
मोदी यहां भारत-कोरिया व्यापार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत ‘अवसरों की भूमि’ है।
मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती की ओर रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘दुनिया की कोई और बड़ी अर्थव्यवस्था इस समय साल दर साल सात प्रतिशत की वृद्धि दर से नहीं बढ़ रही है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हुंदै, सैमसंग और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स समेत 600 से अधिक कोरियाई कंपनियों ने भारत में निवेश किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम निवेश के लिए और भी अधिक संख्या में कंपनियों का स्वागत करते हैं। कार विनिर्माता किआ मोटर्स जल्द इस क्लब में शामिल होने वाली है।’’
मोदी ने कहा कि कारोबारी दौरों को आसान बनाने के लिए पिछले साल अक्टूबर से हमने कोरियाई लोगों को आगमन पर वीजा की सुविधा दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था का बुनियादी आधार मजबूत है। हम निकट भविष्य में पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं।’’
मोदी ने कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) जैसे कड़े नीतिगत निर्णय और अधिक क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलने से भारत को विश्वबैंक की कारोबार सुगमता सूची में 65 स्थान की छलांग लगाकर 77वें स्थान पर पहुंचने में मदद मिली है। उन्होंने अगले साल तक भारत को शीर्ष 50 कारोबार सुगमता वाले देशों की सूची में शामिल कराने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए अब हम पहले से अधिक खुली अर्थव्यवस्था है। हमारे 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में स्वत: मंजूरी मार्ग से एफडीआई करना अब संभव है। इससे भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है और पिछले चार साल में देश में 250 अरब डॉलर काएफडीआई आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में ढाई हजार अरब डॉलर के आकार के साथ भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब हम कृषि प्रधान देश से उद्योग और सेवा आधारित अर्थव्यवस्था में बदल रहे हैं। भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था जुड़ा है और अब लाल फीताशाही की बजाय लाल गलीचा बिछा कर निवेश का स्वागत कर रहा है।।
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