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फलस्तीन में नरेन्द्र मोदी

भारत और फलस्तीन के बीच 5 करोड़ डॉलर के समझौते,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति महमूद अब्बास के बीच महत्वपूर्ण चर्चा Attack News

रामल्ला :पश्चिमी तट:, 10 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फलस्तीन की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महमूद अब्बास से आज मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति अब्बास ने दो राष्ट्र के समाधान के अनुरूप इस्राइल के साथ ‘‘उचित और अभिलाषित शांति’’ हासिल करने के लिये बहुदेशीय तंत्र स्थापित करने के लिये भारत से समर्थन मांगा।

राष्ट्रपति अब्बास ने रामल्ला स्थित राष्ट्रपति परिसर ‘मुकाता’ में एक आधिकारिक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का जोरदार स्वागत किया। रामल्ला से ही फलस्तीनी सरकार संचालित होती है।

मोदी फलस्तीन की आधिकारिक यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।

उन्होंने भारत-फलस्तीन संबंधों के विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इसके बाद दोनों पक्षों ने पांच करोड़ डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते में बीट साहूर में तीन करोड़ डॉलर की लागत से एक सुपर स्पेशिएल्टी अस्पताल की स्थापना और 50 लाख डॉलर की लागत से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये एक केंद्र का निर्माण करना शामिल है।
शिक्षा क्षेत्र में 50 लाख डॉलर के तीन समझौते और रामल्ला में नेशनल प्रिंटिंग प्रेस के लिये उपकरण और मशीन की खरीद के लिये भी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।

मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति अब्बास ने इस बात को स्वीकार किया कि भारतीय नेतृत्व हमेशा फलस्तीन में शांति के पक्ष में खड़ा रहा है।

अब्बास ने कहा कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ ‘फलदायी और रचनात्मक’ वार्ता हुई और उन्होंने भारतीय नेता को फलस्तीन और क्षेत्र में समूची स्थिति से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि फलस्तीन हमेशा से 1967 और अंतरराष्ट्रीय स्तर वैध प्रस्तावों के अनुरूप दो राष्ट्र के सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता हासिल करने के लिये बातचीत करने को तैयार है, ताकि फलस्तीन और इस्राइल का शांतिपूर्ण और सुरक्षित सह-अस्तित्व रहे। हालांकि, शर्त यह है कि पूर्वी यरूशलम फलस्तीनी राज्य की राजधानी रहनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि इस्राइल के साथ इस तरह की वार्ता के लिये सबसे आदर्श तरीका अंतरराष्ट्रीय शांति संधि के अनुसार बहुपक्षीय तंत्र बनाना है।

राष्ट्रपति अब्बास ने कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय आवाज के रूप में भारत की बड़ी प्रतिष्ठा और गुटनिरपेक्ष आंदोलन और सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी ऐतिहासिक भूमिका और रणनीतिक तथा आर्थिक स्तर पर उसकी बढ़ती शक्ति को देखते हुए भारत की भूमिका पर इस तरीके से भरोसा करते हैं जो हमारे क्षेत्र में उचित और जरूरी शांति के लिये उपयुक्त हो।’’

अब्बास ने कहा कि फलस्तीन स्वतंत्र देश का दर्जा पाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये बातचीत करने को हमेशा तैयार है।

उन्होंने भारत से अपील की कि वह इस्राइल के साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करे। दो राज्यों के समाधान के तहत स्वतंत्र इस्राइली और फलस्तीनी राज्यों का शांतिपूर्ण सह अस्तित्व रहेगा। फलस्तीनी पूर्वी यरूशलम को अपने भावी राजधानी के तौर पर देखते हैं।

वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति अब्बास को आश्वासन दिया कि भारत फलस्तीनी जनता के हितों के प्रति वचनबद्ध है।
उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति और स्थिरता लौटने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और फलस्तीन के बीच मैत्री समय की कसौटी पर खरी उतरी है। फलस्तीन के लोगों ने कई चुनौतियों का सामना करने में असाधारण साहस दिखाया है। भारत फलस्तीन की विकास यात्रा का हमेशा समर्थन करेगा।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत फलस्तीन के वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण वातावरण में शीघ्र संप्रभु और स्वतंत्र देश बनने की उम्मीद करता है।

मोदी ने कहा, ‘‘हम फलस्तीन में शांति और स्थिरता की उम्मीद करते हैं। हम मानते हैं कि वार्ता से स्थायी समाधान संभव है। सिर्फ कूटनीति और दूरदर्शिता से हिंसा और अतीत के बोझ से मुक्त हुआ जा सकता है। हम जानते हैं कि यह आसान नहीं है, लेकिन हमें प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि काफी कुछ दांव पर है।’’ यद्यपि भारत इस्राइल-फलस्तीन के बीच संघर्ष में पक्षकार बनने से दूर रहा है, लेकिन फलस्तीनी नेताओं ने कई मौके पर पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया में भारत की संभावित भूमिका पर जोर दिया है।

भारत दो राष्ट्र के समाधान का समर्थन करता रहा है। इसके तहत इस्राइल और भावी फलस्तीनी राज्य का शांतिपूर्ण तरीके से सह अस्तित्व रह सकता है।

मोदी की फलस्तीन यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव के बढ़ जाने के बीच हो रही है।

यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के एकतरफा फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में चुनौती दी गई थी। वहां भारत समेत 128 देशों ने इस कदम को अमान्य ठहराए जाने के पक्ष में मतदान किया था।

ट्रंप के यरूशलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के फैसले पर फलस्तीनियों ने नाराजगी जाहिर की थी। इसको लेकर पश्चिम एशिया में प्रदर्शन हुआ था और इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि इससे क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा हो सकती है।attacknews.in

इस्राइल की पिछले साल अपनी पहली यात्रा के दौरान मोदी रामल्ला नहीं गए थे। उनकी पहली इस्राइल यात्रा के बाद विश्लेषक भारत-फलस्तीन संबंधों के भविष्य को लेकर सवाल उठाने लगे थे।

इस बार मोदी इस्राइल नहीं जा रहे हैं। इसके जरिये उन्होंने साफ संदेश दिया कि भारत इस्राइल और फलस्तीन के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग रख रहा है।

भारत और फलस्तीन के बीच संबंधों को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फलस्तीन से सम्मानित किया।

ग्रैंड कॉलर विदेशी गणमान्य लोगों को दिया जाने वाला फलस्तीन का सर्वोच्च सम्मान है। यह सम्मान राजाओं, राज्य/सरकार प्रमुखों और उनके समान रैंक के अन्य लोगों को दिया जाता है।

सम्मानित किये जाने पर मोदी ने कहा कि उन्हें सम्मानित किया जाना भारत के लिये गौरव का क्षण है। यह भारत और फलस्तीन के बीच मैत्री को भी दर्शाता है। इससे पहले द्विपक्षीय वार्ता से पूर्व दोनों नेता गले मिले और दोनों देशों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े रहे। उन्हें सलामी गारद पेश किया गया।

कैथोलिक चर्च के आर्चबिशप पॉलोस मारकुज्जो और अल अक्सा मस्जिद के धार्मिक नेता मोदी का अभिभादन करने के लिये मुकाता पहुंचे।

मोदी जॉर्डन सेना के हेलीकॉप्टर पर सवार होकर अम्मान से सीधे रामल्ला पहुंचे जहां फलस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने उनका स्वागत किया।attacknews.in

प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की सुरक्षा में इस्राइली वायु सेना के हेलिकॉप्टर तैनात थे।

मोदी तीन देशों की यात्रा पर हैं।

फलस्तीन की धरती पर कदम रखने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक यात्रा है जो मजबूत द्विपक्षीय सहयोग की ओर ले जाएगी।’’

प्रधानमंत्री मोदी अपने समकक्ष हमदल्ला के साथ फलस्तीनी नेता यासर अराफात के मकबरे पर गये और पुष्पचक्र चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

मकबरे को 10 नवंबर, 2007 को जनता के लिए खोला गया था और यह फलस्तीन के राष्ट्रपति आवास परिसर के पास स्थित है।

अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद मोदी मकबरे के पास स्थित अराफात संग्रहालय में भी गये।

विदाई समारोह के बाद मोदी अम्मान के लिये रवाना हो गए।

अम्मान के बाद मोदी दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात :यूएई: जाएंगे।attacknews.in

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