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राज्यसभा में नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस द्वारा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत पर सवाल उठाने को देश के मतदाताओं का अपमान बताया attacknews.in



नई दिल्ली, 26 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत पर सवाल उठाते हुए देश के मतदाताओं का अपमान करने का आरोप लगाया।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर  के  धन्यवाद  प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए श्री मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लोगों के जनादेश पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दल ने मतदाताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

मोदी ने कहा कि, इतने बड़े जनादेश के बाद आप कहते हैं कि आप (भाजपा) जीत गए हैं, लेकिन देश हार गया है। यदि कांग्रेस हारती है तो क्या देश हार जाता है। क्या कांग्रेस का मतलब देश और देश है कांग्रेस। अहंकार की एक सीमा है,”।


प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करके कांग्रेस ने देश के मतदाताओं को नुकसान पहुंचाया है।कांग्रेस पार्टी के तर्कों को मानते हुए उन्होंने सोचा कि क्या वायनाड और रायबरेली की सीटों पर भी कांग्रेस की जीत ‘देश की हार’ है।

उन्होंने कहा, “विचारों की संकीर्ण मानसिकता और विकृति के कारण, यदि कुछ लोग यह कहकर लोगों के जनादेश को स्वीकार नहीं करते हैं कि ‘आप चुनाव जीत सकते हैं लेकिन देश हार गया है’, तो इससे हमारे लोकतंत्र के लिए और अधिक अपमानजनक कुछ भी नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस 17 राज्यों में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पा रही है।

प्रधानमंत्री ने ईवीएम पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस पर भी निशाना साधा, जिसकी विश्व स्तर पर सराहना की गई है।



प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि देशवासियों ने राज्यसभा में उन दलों को सजा दी है जो सरकार के विकास संबंधी कामकाज में अड़ंगे लगाते हैं। उन्होंने कहा कि इतनी ‘‘नकारात्मकता’’ नहीं होनी चाहिए। 

मोदी ने कहा, ‘‘इन्हें (कांग्रेस) वह ‘ओल्ड इंडिया’ चाहिए, जहां कैबिनेट के निर्णय को पत्रकार वार्ता में फाड़ दिया जाए, जहां गैस कनेक्शन के लिए सांसद के घर के बाहर लाइन लगती हो, जहां टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन किया जाता हो और जहां इंस्पेक्टर राज हो। देश की जनता हिन्दुस्तान को पुराने दौर में ले जाने को कतई तैयार नहीं है। हमने नीति, रीति और प्रवृत्ति को बदला है। आप पांच साल में 25 लाख मकान बनाते थे हमने डेढ़ करोड़ मकान बनाये हैं।’’ 

उन्होंने अपनी सरकार के आगामी पांच वर्षों का खाका पेश करते हुए कहा कि यह पांच साल आवश्यकताओं से ज्यादा आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हैं। ‘‘ देश इस साल भाग्यवंत दौर में है। यह सौभाग्य का दौर है। इसमें लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने के प्रयास होंगे।’’ 

‘‘एक देश एक चुनाव’’ का कांग्रेस द्वारा विरोध करने की ओर संकेत करते हुए मोदी ने कहा 1952 से चुनाव सुधार लगातार हो रहे हैं और होते रहने चाहिए। ‘‘एक देश एक चुनाव’’ को सिरे से खारिज करना ठीक नहीं है। उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वह इस सुझाव पर विचार तो करें। उन्होंने कहा ‘‘एक देश, एक चुनाव’’ की अवधारणा को पार्टियां चर्चा किए बिना ही खारिज कर रही हैं ।’’ 

उल्लेखनीय है कि ‘एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार द्वारा हाल में बुलायी गयी सभी दलों के नेताओं की बैठक का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था।

उन्होंने सवाल किया कि जब हम नया भारत बना रहे हैं तो हम तकनीक से कहां तक भागेंगे ? उन्होंने जीएसटी, आधार, प्रौद्योगिकी, ईवीएम का विरोध करने के लिए भी कांग्रेस की आलोचना की। 



झारखंड में भीड़ द्वारा एक युवक की हत्या किए जाने को ‘‘दुखद एवं शर्मनाक’’ बताते हुए मोदी ने कहा कि दोषियों को कड़ी सजा मिले, यह हम मानते हैं। किंतु इसे लेकर पूरे राज्य को गलत बताना अनुचित है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी नागरिकों को कठघरे में खड़ा करके हम अपनी राजनीति तो कर सकते हैं लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हो सकता। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किसी भी राज्य में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून का ढांचा स्थिति से निपटने में सक्षम है।

बिहार में बच्चों की इन्सैफेलाइटिस के कारण मौत की घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए ‘दुख और शर्म’ की बात है। उन्होंने कहा कि आज भी बच्चों का बुखार से मरना देश की 70 साल की विफलताओं में से एक है और हम सभी को मिलकर इन विफलताओं से निबटने के समाधान खोजने होंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में वह राज्य सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।


मोदी ने कहा कि सबका साथ सबका विकास मन्त्र को लेकर हम लेकर चले थे। पांच साल में जनता जर्नादन ने इसमें एक अमृत जोड़ दिया..‘‘सबका विश्वास’’। उन्होंने विपक्ष को नसीहत दी कि ‘‘राजनीतिक चश्मे उतार कर देखिये। तब भविष्य, धुंधला नहीं बल्कि उज्जवल नजर आएगा।’’ 


उन्होंने विपक्ष का जिक्र करते हुए कहा, नकारात्मकता इतनी है कि योग, शौचालय, स्वच्छता सबका विरोध किया जा रहा है। कितना अहंकार है? जनता जनार्दन ने जो निर्णय किया है, क्या उसका गला घोंटने का प्रयास नहीं किया गया है ? 

प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘हम जानते हैं कि राज्यसभा में हमारा बहुमत नहीं है। ’’ 

मोदी ने कहा कि संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सहकारी संघीय ढांचे में राज्यसभा अलग नहीं बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का ‘‘एक पुर्जा’’ है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में राज्यसभा में कई ऐसे विधेयकों को, विरोध कर पारित नहीं होने दिया गया जो लोकसभा में पारित किये गये थे। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद यह विधेयक निष्प्रभावी हो गये। अब इन्हें लोकसभा में फिर घंटों चर्चा कर पारित करना पड़ेगा। इसमें काफी समय और करदाताओं का पैसा खर्च होगा।

उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की एक टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें कहा गया है, ‘‘बहुमत को शासन करने और अल्पमत वाले को विरोध करने का अधिकार होता है। किंतु व्यवधान डालने का किसी को अधिकार नहीं होता।’’ उच्च सदन में सत्तपक्ष के अल्पमत में होने का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि राज्यसभा को देश की विकास यात्रा में सहयोग देना चाहिए। 

प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिये बिना गालिब का यह शेर भी पढ़ा… ‘‘ता उम्र गालिब यह भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी आईना साफ़ करता रहा।’’ 

उन्होंने कहा कि लोग उन दिनों को नहीं भूले हैं जब दिल्ली की सड़कों पर सिखों को जिंदा जला दिया गया था। उन्होंने कांग्रेस से कहा ‘‘अगर यही आदर्श आपके थे तो आप अपने गिरेबां में झांकते। इन दंगों के आरोपी आपकी पार्टी में बड़े बड़े पदों पर हैं।’’ 

उन्होंने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा, ‘‘आप ही का पराक्रम था जो हम यहां पर आये।’’ 

राष्ट्रीय नागरिकता पंजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कांग्रेस से कहा, ‘‘ आप एनआरसी का क्रेडिट क्यों नहीं लेते ? राजीव गांधी ने असम समझौते को, एनआरसी को स्वीकार किया था। उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप किया था तब हमने एनआरसी को लिया था। आधा लीजिए आधा छोड़िए, यह नहीं चलेगा। हमारे लिए यह वोट की राजनीति नहीं है। यह देश के उज्ज्वल भविष्य से जुड़ा है।’’ 

उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के प्रथम प्रधानमंत्री होते तो जम्मू कश्मीर की समस्या नहीं होती। गांवों की समस्याएं नहीं होतीं ।’’ 

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के नेताओं को गुजरात जाकर विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा ‘‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ पर सरदार पटेल को श्रद्धासुमन अर्पित करने और वहां कांग्रेस कार्य समिति की बैठक करने की सलाह दी।

उन्होंने नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से कहा, ‘‘ आजाद जी, कुछ समय तो बिताइये गुजरात में।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘आज आयुष्मान भारत के कारण प्रधानमंत्री के पास उनके राहत कोष से बीमार आदमी की मदद के लिए राशि जारी करने की किसी सांसद की कोई चिट्ठी नहीं आती। आयुष्मान भारत के लिए हमने तो क्रेडिट ले लिया। चुनाव हो गया। अब मिलकर काम करिए। 2024 में हम किसी और चीज का क्रेडिट लेंगे।’’ 


कांग्रेस ने कहा: प्रधानमंत्री ने बुनियादी बातें नहीं कही:


राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य के बाद कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि मोदी ने लंबा भाषण दिया और व्यंग्य भी किया, लेकिन उन बुनियादी सवालों के जवाब नहीं दिए जो विपक्ष ने उठाए थे।

मोदी ने राष्ट्रपति अभिभाषण के राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में विपक्ष पर उच्च सदन में विधेयकों को पारित करने में व्यवधान डालने का आरोप लगाया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यह दावा किया कि प्रधानमंत्री का यह आरोप पूरी तरह गलत है कि राज्यसभा ने पिछले पांच वर्षों में कामकाज में रुकावट पैदा की।

उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि सरकार को 2004 से 2014 के बीच की संसद की कार्यवाही का ब्यौरा जारी करना चाहिए ताकि यह पता हो सके कि कार्यवाही में किस तरह से व्यवधान डाले गए थे।

शर्मा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में लंबा भाषण दिया और व्यंग्य भी किया, लेकिन उन बुनियादी सवालों के जवाब नहीं दिए जो हमने उठाए थे। किसानों के मुद्दों पर उन्होंने सदन को गुमराह किया। नेता प्रतिपक्ष की बात को उन्होंने गलत ढंग से पेश किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री चाहते हैं कि लोकसभा जिस विषय पर जैसे मुहर लगा दे और उसी तरह राज्यसभा भी पारित कर दे तो यह संभव नहीं है।’’ दरअसल, लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के लिए ईवीएम पर ‘‘ठीकरा’’ फोड़ने को लेकर कांग्रेस पर बरसते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को विपक्ष को ‘‘नकारात्मकता’’ त्यागने और देश की विकास यात्रा में सकारात्मक योगदान देने की नसीहत दी।

उन्होंने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब चुनाव स्वयं जनता लड़ती है। 2019 का चुनाव दलों से परे देश की जनता लड़ रही थी । ’’


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