Home / आर्थिक / प्रधानमंत्री का देशवासियों से स्वप्रेरणा से आगे आकर कर भुगतान का आग्रह, करदाता चार्टर जारी किया, नरेन्द्र मोदी ने कहा:एक अरब 30 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल डेढ़ करोड़ आयकर दाता हैं, जोकि काफी कम है attacknews.in

प्रधानमंत्री का देशवासियों से स्वप्रेरणा से आगे आकर कर भुगतान का आग्रह, करदाता चार्टर जारी किया, नरेन्द्र मोदी ने कहा:एक अरब 30 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल डेढ़ करोड़ आयकर दाता हैं, जोकि काफी कम है attacknews.in

नयी दिल्ली, 13 अगस्त ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर व्यवस्था में सुधारों को आगे बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को ‘पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ मंच की शुरूआत की और इसके साथ ही देशवासियों से स्वप्रेरणा से आगे आकर कर भुगतान का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि करदाता के लिये कर देना या सरकार के लिये कर लेना, ये कोई हक का अधिकार का विषय नहीं है, बल्कि ये दोनों का दायित्व है।

वीडियो कांफ्रेंन्सिंग के जरिये ‘पारदर्शी कराधान- ईमानदार का सम्मान’ मंच की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते 6-7 साल में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी भी बहुत कम है। इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही इन्‍कम टैक्स जमा करते हैं। इस पर देश को आत्मचिंतन करना होगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मचिंतन जरूरी है। और ये जिम्मेदारी सिर्फ कर विभाग की नहीं है, हर भारतीय की है। जो कर देने में सक्षम हैं, लेकिन अभी वो कर नेट में नहीं है, वो देशवासी स्वप्रेरणा से आगे आएं, ये मेरा आग्रह है और उम्मीद भी।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर तथा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते छह साल में देश में कर प्रशासन में संचालन का एक नया मॉडल विकसित होते देखा है। ‘‘देशवासियों पर भरोसा, इस सोच का प्रभाव कैसे जमीन पर नजर आता है, ये समझना भी बहुत जरूरी है। वर्ष 2012-13 में जितने रिटर्न दाखिल होते थे, उसमें से 0.94 प्रतिशत की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 प्रतिशत पर आ गया है। यानि कर मामलों की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है। कर रिटर्न की स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं न्यूनतम सरकार, कारगर शासन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है, ये देशवासियों के जीवन में सरकार के दखल को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। देश में चल रहा संरचनात्मक सुधारों का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है। पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ 21वीं सदी की कर प्रणाली की एक नई व्यवस्था है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस मंच में करदाताओं और अधिकारियो के बीच बिना आमना सामना (फेसलेस) आकलन, अपील करने और करदाता चार्टर जैसे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाया गया है। फेसलेस आकलन और करदाता चार्टर आज से लागू हो गये हैं जबकि फेसलेस अपील की सुविधा 25 दिसंबर यानी दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।’’

ईमानदार करदाताओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश का ईमानदार करदाता राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार करदाता का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है।’’

कर सुधारों के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जहां जटिलता होती है, वहां अनुपालन भी मुश्किल होता है। कम-से- कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हों तो करदाता भी खुश रहता है और देश भी। हम पिछले कुछ समय से इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘अब उच्च न्यायालय में मामलों को ले जाने के लिये 1 करोड़ रुपए तक के और उच्चतम न्यायालय में 2 करोड़ रुपए तक की सीमा तय की गई है। ‘विवाद से विश्वास’ जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में कर की दर भी कम की गयी है। 5 लाख रुपए की आय पर अब कर शून्य है। बाकी स्लैब में भी कर कम हुआ है। कंपनी कर के मामले में हम दुनिया में सबसे कम कर लेने वाले देशों में से एक हैं।’’

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष कंपनी कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत तथा नई विनिर्माण इकाइयों के लिए इसे 15 प्रतिशत किया गया। साथ ही कंपनियों को लाभांश वितरण कर से मुक्त कर दिया गया।

करदाता चार्टर की घोषणा करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ करदाता को अब उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानी आयकर विभाग को अब करदाता के मान-सम्मान का संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा।

ईमानदार करदाता की राष्ट्रनिर्माण में महती भूमिका: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ईमानदार करदाता की राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है और जब ईमानदार करदाता का जीवन आसान बनता है, वह आगे बढ़ता है तो देश विकास करता है तथा आगे भी बढ़ता है।

श्री मोदी ने कहा कि देश में चल रहा ढांचागत सुधार का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है।

उन्होंने कहा, “एक दौर था जब हमारे यहां सुधारों की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और पहुंच दोनों बदल गई है।”

उन्होंने कहा कि अब करदाता को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानि आयकर विभाग को अब करदाताओं के गौरव का उसकी संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। अब करदाता की बात पर विश्वास करना होगा और विभाग उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता।

“प्रधानमंत्री ने कहा, “अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें। सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रक्रिया और अधिकार केंद्रित पहुंच से बाहर निकालकर उसको जन केंद्रित और जन मित्र बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं।”

उन्होंने कहा किआज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, ,नई सुविधाएं, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

उन्होंने कहा आज से देश में करदाता चार्टर लागू हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा,” ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार करदाता राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।”

श्री मोदी ने कहा कि बीते छह वर्षों में हमारा जोर गैर बैकिंग को बैंकिंग, असुरक्षित को सुरक्षित और पैसा न मिलने वाले को धन मुहैया कराना रहा है। उन्होंने कहा कि आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है।

पारदर्शी कराधान – ईमानदार का सम्मान’ के लिए प्‍लेटफॉर्म लॉन्च करने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

देश में चल रहा Structural Reforms का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है। Transparent Taxation – Honouring The Honest, 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की इस नई व्यवस्था का आज लोकार्पण किया गया है।

इस प्लेटफॉर्म में Faceless Assessment, Faceless Appeal और Taxpayers Charter जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं। Faceless Assessment और Taxpayers Charter आज से लागू हो गए हैं। जबकि Faceless appeal की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। अब टैक्स सिस्टम भले ही Faceless हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये Fairness और Fearlessness का विश्वास देने वाला है।

मैं सभी टैक्सपेयर्स को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं और इन्‍कम टैक्स विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

साथियों,

बीते 6 वर्षों में हमारा फोकस रहा है, Banking the Unbanked Securing the Unsecured और, Funding the Unfunded. आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है। Honoring the Honest- ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है।

साथियों,

आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, Minimum Government, Maximum Governance के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

साथियों, आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को Process और Power Centric अप्रोच से बाहर निकालकर उसको People Centric और Public Friendly बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं। आज हर किसी को ये एहसास हुआ है कि शॉर्ट-कट्स ठीक नहीं है, गलत तौर-तरीके अपनाना सही नहीं है।वो दौर अब पीछे चला गया है। अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें।

सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके चार बड़े कारण हैं।

पहला, पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस। जब पॉलिसी स्पष्ट होती है तो Grey Areas Minimum हो जाते हैं और इस कारण व्यापार में, बिजनेस में डिस्क्रीशन की गुंजाशन कम हो जाती है।

दूसरा:प्रधानमंत्री का देशवासियों से स्वप्रेरणा से आगे आकर कर भुगतान का आग्रह, करदाता चार्टर जारी किया, नरेन्द्र मोदी ने कहा:एक अरब 30 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल डेढ़ करोड़ आयकर दाता हैं, जोकि काफी कम है सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास।

तीसरा, सरकारी सिस्टम में ह्यूमेन इंटरफेस को सीमित करके टेक्नॉलॉजी का

बड़े स्तर पर उपयोग। आज सरकारी खरीद हो, सरकारी टेंडर हो या सरकारी सेवाओं की डिलिवरी, सब जगह Technological Interface सर्विस दे रहे हैं।

और चौथा, हमारी जो सरकारी मशीनरी है, जो ब्यूरोक्रेसी है, उसमें efficiency, Integrity और Sensitivity के गुणों को Reward किया जा रहा है, पुरस्कृत किया जा रहा है।

साथियों,

एक दौर था जब हमारे यहां Reforms की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले ले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें Reform कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है।

हमारे लिए Reform का मतलब है, Reform नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, Holistic हो और एक Reform, दूसरे Reform का आधार बने, नए Reform का मार्ग बनाए। और ऐसा भी नहीं है कि एक बार Reform करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है। बीते कुछ वर्षो में देश में डेढ़ हजार ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है।

Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत आज से कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था। आज भारत की रैंकिंग 63 है। रैंकिंग में इतने बड़े बदलाव के पीछे अनेकों Reforms हैं, अनेकों नियमों-कानूनों में बड़े परिवर्तन हैं। Reforms के प्रति भारत की इसी प्रतिबद्धता को देखकर, विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के इस संकट के समय भी भारत में रिकॉर्ड FDI का आना, इसी का उदाहरण है।

साथियों,

भारत के टैक्स सिस्टम में Fundamental और Structural Reforms की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे Evolve हुआ। आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन Largely सिस्टम का Character वही रहा।

परिणाम ये हुआ कि जो टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण का एक मज़बूत पिलर है, जो देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए योगदान दे रहा है, उसको कठघरे में खड़ा किया जाने लगा। इन्‍कम टैक्स का नोटिस फरमान की तरह बन गया। देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुज़रना पड़ा। कहां तो टैक्स देने वालों की संख्या में गर्व के साथ विस्तार होना चाहिए था और कहां गठजोड़ की, सांठगांठ की व्यवस्था बन गई।

इस विसंगति के बीच ब्लैक और व्हाइट का उद्योग भी फलता-फूलता गया। इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार-कारोबार करने वालों को, रोज़गार देने वालों को और देश की युवा शक्ति की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित करने के बजाय कुचलने का काम किया।

साथियों,

जहां Complexity होती है, वहां Compliance भी मुश्किल होता है। कम से कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हो तो टैक्सपेयर भी खुश रहता है और देश भी। बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है। अब जैसे, दर्जनों taxes की जगह GST आ गया। रिटर्न से लेकर रिफंड की व्यवस्था को पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया।

जो नया स्लैब सिस्टम आया है, उससे बेवजह के कागज़ों और दस्तावेज़ों को जुटाने की मजबूरी से मुक्ति मिल गई है। यही नहीं, पहले 10 लाख रुपए से ऊपर के विवादों को लेकर सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती थी। अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है। विवाद से विश्वास जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं। इसी का नतीजा है कि बहुत कम समय में ही करीब 3 लाख मामलों को सुलझाया जा चुका है।

साथियों,

प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में Tax भी कम किया गया है। 5 लाख रुपए की आय पर अब टैक्स जीरो है। बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है। Corporate tax के मामले में हम दुनिया में सबसे कम tax लेने वाले देशों में से एक हैं।

साथियों,

कोशिश ये है कि हमारी टैक्स प्रणाली Seamless हो, Painless हो, Faceless हो। Seamless यानि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन, हर टैक्सपेयर को उलझाने के बजाय समस्या को सुलझाने के लिए काम करे। Painless यानि टेक्नॉलॉजी से लेकर Rules तक सबकुछ Simple हो। Faceless यानि Taxpayer कौन है और Tax Officer कौन है, इससे मतलब होना ही नहीं चाहिए। आज से लागू होने वाले ये रिफॉर्म्स इसी सोच को आगे बढ़ाने वाले हैं।

साथियों,

अभी तक होता ये है कि जिस शहर में हम रहते हैं, उसी शहर का टैक्स डिपार्टमेंट हमारी टैक्स से जुड़ी सभी बातों को हैंडल करता है। स्क्रूटनी हो, नोटिस हो, सर्वे हो या फिर ज़ब्ती हो, इसमें उसी शहर के इन्‍कम टैक्स डिपार्टमेंट की, आयकर अधिकारी की मुख्य भूमिका रहती है। अब ये भूमिका एक प्रकार से खत्म हो गई है, अब इसको टेक्नोलॉजी की मदद से बदल दिया गया है।

अब स्क्रूटनी के मामलों को देश के किसी भी क्षेत्र में किसी भी अधिकारी के पास रैंडम तरीके से आवंटित किया जाएगा। अब जैसे मुंबई के किसी टैक्सपेयर का Return से जुड़ा कोई मामला सामने आता है, तो अब इसकी छानबीन का जिम्मा मुंबई के अधिकारी के पास नहीं जाएगा, बल्कि संभव है वो चेन्नई की फेसलेस टीम के पास जा सकता है। और वहां से भी जो आदेश निकलेगा उसका review किसी दूसरे शहर, जैसे जयपुर या बेंगलुरु की टीम करेगी। अब फेसलेस टीम कौन सी होगी, इसमें कौन-कौन होगा ये भी randomly किया जाएगा। इसमें हर साल बदलाव भी होता रहेगा।

साथियों,

इस सिस्टम से करदाता और इन्‍कम टैक्स दफ्तर को जान-पहचान बनाने का, प्रभाव और दबाव का मौका ही नहीं मिलेगा। सब अपने-अपने दायित्वों के हिसाब से काम करेंगे। डिपार्टमेंट को इससे लाभ ये होगा कि अनावश्यक मुकदमेबाज़ी नहीं होगी। दूसरा ट्रांस्फर-पोस्टिंग में लगने वाली गैरज़रूरी ऊर्जा से भी अब राहत मिलेगी। इसी तरह, टैक्स से जुड़े मामलों की जांच के साथ-साथ अपील भी अब फेसलेस होगी।

साथियों,

टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है। भारत के इतिहास में पहली बार करदाताओं के अधिकारों और कर्तव्यों को कोडीफाई किया गया है, उनको मान्यता दी गई है। टैक्सपेयर्स को इस स्तर का सम्मान और सुरक्षा देने वाले गिने चुने देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है।

अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है। यानि आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की Dignity का, संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा। अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा, डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता। अगर किसी प्रकार का संदेह है भी, तो टैक्सपेयर को अब अपील और समीक्षा की अधिकार दिया गया है।

साथियों,

अधिकार हमेशा दायित्वों के साथ आते हैं, कर्तव्यों के साथ आते हैं। इस चार्टर में भी टैक्सपेयर्स से कुछ अपेक्षाएं की गई हैं। टैक्सपेयर के लिए टैक्स देना या सरकार के लिए टैक्स लेना, ये कोई हक का अधिकार का विषय नहीं है, बल्कि ये दोनों का दायित्व है। टैक्सपेयर को टैक्स इसलिए देना है क्योंकि उसी से सिस्टम चलता है, देश की एक बड़ी आबादी के प्रति देश अपना फर्ज़ निभा सकता है।

इसी टैक्स से खुद टैक्सपेयर को भी तरक्की के लिए, प्रगति के लिए, बेहतर सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर मिल पाता है। वहीं सरकार का ये दायित्व है कि टैक्सपेयर की पाई-पाई का सदुपयोग करे। ऐसे में आज जब करदाताओं को सुविधा और सुरक्षा मिल रही है, तो देश भी हर टैक्सपेयर से अपने दायित्वों के प्रति ज्यादा जागरूक रहने की अपेक्षा करता है।

साथियों,

देशवासियों पर भरोसा, इस सोच का प्रभाव कैसे जमीन पर नजर आता है, ये समझना भी बहुत जरूरी है। वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी। वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है। यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है। स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है।

साथियों,

बीते 6 वर्षों में भारत ने tax administration में governance का एक नया मॉडल विकसित होते देखा है।

We Have, Decreased complexity, Decreased taxes, Decreased litigation, Increased transparency, Increased tax compliance, Increased trust on the tax payer.

साथियों,

इन सारे प्रयासों के बीच बीते 6-7 साल में इन्कम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है। ये वृद्धि तो बहुत बड़ी है लेकिन इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते हैं कि इसके बावजूद भी 130 करोड़ के देश में ये बहुत कम है। इतने बड़े देश में 130 करोड़ में से डेढ़ करोड़ साथी ही इन्कम टैक्स जमा करते हैं। मैं आज देशवासियों से भी आग्रह करूंगा जो सक्षम हैं उनको भी आग्रह करूंगा, भिन्‍न-भिन्‍न करके व्‍यापार उद्योग के संगठन चलाते हैं, उनको भी आग्रह करूंगा। इस पर हम सबको चिंतन करने की जरूरत है, देश को आत्मचिंतन करना होगा। और ये हमारा आत्‍मचिंतन ही आत्मनिर्भर भारत के लिए आवश्यक है, अनिवार्य है। और ये जिम्मेदारी सिर्फ टैक्स डिपार्टमेंट की नहीं है, ये जिम्‍मेदारी हर हिन्‍दुस्‍तानी की है, हर भारतीय की है। जो टैक्स देने में सक्षम हैं, लेकिन अभी वो टैक्स नेट में नहीं है, वो स्वप्रेरणा से अपनी आत्‍मा को पूछें, आगे आएं, और अभी दो दिन के बाद 15 अगस्‍त है, आजादी के लिए मर-मिटने वालों को जरा याद कीजिए; आपको लगेगा हां, मुझे भी कुछ न कुछ देना ही चाहिए।

आइए, विश्वास के, अधिकारों के, दायित्वों के, इस महत्‍वपूर्ण भावना का सम्‍मान करते हुए, इस प्लेटफॉर्म का सम्मान करते हुए, नए भारत, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करें। एक बार फिर देश के वर्तमान और भावी ईमानदार टैक्सपेयर्स को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं और ये पहल बहुत बड़ा फैसला किया गया है। इन्‍कम टैक्‍स के अधिकारियों को भी जितनी बधाई दें उतनी कम है। हर टैक्‍सपेयर को इन्‍कम टैक्‍स अधिकारियों को भी बधाई देनी चाहिए क्‍योंकि एक प्रकार से उन्‍होंने अपने-आप पर बंधन डाले हैं। अपनी खुद की ताकत को, अपने अधिकारों को उन्‍होंने खुद ने काटा है। अगर इन्‍कम टैक्‍स डिपार्टमेंट के अधिकारी इस प्रकार से आगे आते हैं तो किसको गर्व नहीं होगा। हर देशवासी को गर्व होना चाहिए। और पहले के जमाने में शायद टैक्‍स के कारण कुछ समय से उन्‍हीं लोगों ने टैक्‍स देने के रास्‍ते पर जाना पसंद नहीं किया होगा। अब जो रास्‍ता बना है, वो टैक्‍स देने की तरफ जाने का आकर्षक रास्‍ता बना है। और इसलिए आइए, भव्‍य भारत के निर्माण के लिए इस व्‍यवस्‍था का लाभ भी उठाएं इस व्‍यवस्‍था से जुड़ने के लिए आगे भी आएं। मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। निर्मला जी और उनकी पूरी टीम को भी मैं बहुत धन्‍यवाद करता हूं कि एक के बाद एक देश के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए लंबे अर्से तक प्रभाव पैदा करने वाले अनेक सकारात्‍मक निर्णयों का नेतृत्‍व कर रहे हैं। मैं फिर एक बार सबको बधाई देता हूं, सबका धन्‍यवाद करता हूं !!

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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