जनकपुर, 11 मई। दोनों देशों के पौराणिक संबंधों का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नेपाल को आश्वासन दिया कि भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में वह सबसे पहले आता है और उन्होंने पावन नगरी जनकपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये के अनुदान की भी घोषणा की।
यहां बारहबीघा के मैदान में अपने सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में मोदी ने थोड़ी देर के लिए नेपाली और मैथिली में बोला।
उन्होंने तीन बार ‘जय सिया राम’ बोलकर अपने भाषण की शुरुआत की।
अपने भाषण में पौराणिक उद्धरणों और प्रतीकों को उठाते हुए मोदी ने कहा कि वह बतौर प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि मुख्य तीर्थयात्री के तौर पर जनकपुर आये हैं।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद तीसरी बार नेपाल की यात्रा पर आये मोदी ने (दोनों देशों की मित्रता के संदर्भ में)रामचरितमानस की चौपाई ‘जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥ निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना’उद्धृत की।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी कोई समस्या हुई, भारत और नेपाल एक साथ रहे। हम सबसे कठिन दौर में भी एक दूसरे के लिए मुस्तैद रहे। ’’
मोदी ने नेपाल को आश्वासन दिया कि वह भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में सबसे पहले आता है। उन्होंने जनकपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की। यह राशि नेपाल की केंद्र सरकार और दूसरे प्रांत की सरकार आपसी सामंजस्य से विभिन्न विकास परियोजनाओं पर खर्च करेंगी।
जनकपुर भगवान राम की पत्नी देवी सीता की जन्मस्थली के रुप में जाना जाता है।
अपने नेपाली समकक्ष के पी शर्मा ओली के साथ मिलकर हिंदुओं की दो पावन स्थलियों–जनकपुर और अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा का उद्घाटन करने वाले मोदी ने कहा कि जनकपुर को रामायण सर्किट से जोड़कर खुशी हो रही है।
मोदी ने कहा, ‘‘यह सर्किट तीर्थाटन विकसित करेगा। यह दोनों देशों के बीच संपर्क मजबूत करेगा।’’
उन्होंने यह भी घोषणा की कि नेपाल और भारत में बौद्ध और जैन धर्म से जुड़े क्षेत्रों के संवर्धन के लिए दो अन्य सर्किट भी विकसित किये जाएंगे जो युवाओं के लिए रोजगान सृजन में अहम रहेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल फायदे में रहेंगे यदि दोनों परंपरा, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और परिवहन के क्षेत्रों में सहयोग करें और मिलकर काम करें। उन्होंने राजमार्ग, सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे, ट्रांसवे या इलेक्ट्रिक कनेक्टिविटी, जलमार्ग और विमान मार्ग के माध्यम से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
मोदी ने कहा, ‘‘हम नेपाल को जलमार्गों से जोड़ने की यथासंभव प्रयास कर रहे हैं ताकि नेपाल, नेपाली उत्पादों को विदेशों में निर्यात कर पाएं। यदि ऐसा हो जाता है तो नेपाल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से फायदा उठा पाएगा।’’
उन्होंने कहा कि देवी सीता की कृपा से जनकपुर की यात्रा का उनका सपना अब पूरा हो गया।
बीसवीं सदी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर में विशेष प्रार्थना करने वाले मोदी ने मिथिला के पौरााणिक राजा जनक और अयोध्या के पौराणिक राजा दशरथ का स्मरण किया और कहा कि उन्होंने न केवल जनकपुर और अयोध्या को जोड़ा बल्कि भारत और नेपाल को भी साथ लाए।
उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल और भारत के बीच संबंध त्रेतायुग में राजा जनक के राज के दौरान शुरु हुए और उस काल में सीता के द्वारा बनाया गया यह संबंध अब भी मजबूत है। यही वह संबंध है जो रामेश्वरम तक के लोगों को पशुपतिनाथ तक, लुंबिनी तक के लोगों को बोधगया तक आकर्षित करता है और मैं भी उसी संबंध से आकर्षित हुआ। ’’
उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत की बस सीमाएं ही नहीं मिलती, उनकी आकांक्षाएं, सपने और गंतव्य ही एक नहीं हैं बल्कि उनकी खुशी और चुनौतियां भी समान हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘नेपाल याज्ञवल्क्य, अष्टावक्र, गार्गी जैसे महान संतों और विदुषियों की भूमि है जिन्होंने राजा जनक के राजदरबार में धर्मशास्त्र एवं सामाजिक मुद्दों पर बहस की। ’’
उन्होंने कहा कि नेपाल अध्यात्म और दर्शन का केंद्र बन गया है।
मोदी ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क एवं सामान की ढुलाई को सुगम बनाने के लिए बिहार के रक्सौल और काठमांडो के बीच रेल लिंक का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने ओली को धन्यवाद दिया और कहा कि जनकपुर में उन्हें जो सम्मान मिला है वह भारत की सारी जनता के लिए है।
रक्षा मंत्री इश्वर पोखरेल ने अभिनंदन समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। मोदी ने प्रधानमंत्री ओली द्वारा प्रदत्त मैथिली कुर्ता पहन रखा था।
पोखरेल ने कहा, ‘‘नेपाल और भारत साझी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास से जुड़े हैं।’’
महापौर लाल किशोरो शाह ने मोदी के सम्मान में अभिनंदन पत्र पढ़ा। उन्होंने उन्हें जनकपुर की प्रतीकात्मक चाबी और जानकी मंदिर की एक तस्वीर भी सौंपी।
द्वितीय प्रांत के मुख्यमंत्री लालबाबू राउत ने इस मौके पर मोदी को 121 किलोग्राम की विशाल माला पहनाई। राउत ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा दोनों देशों के लोगों को आपस में जोड़ने में अहम रही है।attacknews.in