नयी दिल्ली, 26 जनवरी ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर साफा बांधने की अपनी परंपरा को बरकरार रखते हुए इस बार गणतंत्र दिवस पर केसरिया रंग का ‘बंधेज’ का साफा बांधा।पारंपरिक कुर्ता पजामा और जैकेट पहने प्रधानमंत्री ने इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति के बजाय यहां नव निर्मित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पहली बार शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के परिधान में खास तौर पर उनके साफे की काफी चर्चा होती है।पिछले साल प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से छठवीं बार स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया था और उस दौरान उन्होंने कई रंगों वाला साफा बांधा था।वहीं 2014 में मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार अपने भाषण के दौरान लाल रंग का बंधेज वाला साफा पहना था जिसकी पीछे की पट्टी का रंग हरा था।प्रधानमंत्री ने 2015 में धारीदार पट्टियों वाला साफा बांधा था जिनमें से कुछ का रंग लाल और गहरा हरा था। इसके बाद 2016 में लाल किले से भाषण के दौरान वह गुलाबी और पीले रंग वाले साफे में नजर आए थे। वहीं 2017 में उन्होंने चमकदार लाल और पीले रंग का साफा पहना था।मोदी ने पहली बार राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति के बजाय पहली बार यहां नव निर्मित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।इंडिया गेट परिसर में स्थित इस स्मारक का पिछले साल 25 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था।‘अमर जवान ज्योति’ पर एक झुकी हुई बंदूक के ऊपर जवान का हेलमेट रखा हुआ है तथा उसके नीचे निरन्तर ज्योति जलती रहती है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में इंडिया गेट के नीचे 1972 में इसका निर्माण किया गया था।तकरीबन 40 एकड़ क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में चार चक्र ‘अमर चक्र’, ‘वीरता चक्र’, ‘त्याग चक्र’ और ‘रक्षक चक्र’ हैं जिन पर ग्रेनाइट के पत्थरों पर स्वर्ण अक्षरों से 25,942 जवानों के नाम लिखे हैं।इसमें 15.5 मीटर ऊंचा एक स्मारक स्तंभ, निरंतर जल रही ज्योति और कांस्य के छह भित्ति चित्र हैं जो भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा लड़ी गई प्रसिद्ध लड़ाइयों को दर्शा रहे हैं।यह स्मारक 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1947,1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल के अभियानों और 1999 में कारगिल युद्ध तथा संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों के दौरान शहीद जवानों को समर्पित है।42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में मारे गए जवानों के सम्मान में ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल आर्च के रूप में ब्रिटिश राज के दौरान बना था।