नयी दिल्ली, 29 नवंबर।भारत और श्रीलंका ने आतंकवाद से मुकाबले और देश के आर्थिक विकास में मिलजुल कर काम करने का आज संकल्प व्यक्त किया और भारत ने इसके लिए श्रीलंका को 45 करोड़ डॉलर का आसान ऋण देने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने यहां हैदराबाद हाउस में करीब डेढ़ घंटे तक चली द्विपक्षीय बैठक में आतंकवाद, तमिल मुद्दे, जातीय मेलमिलाप, ढांचागत विकास, भारतीय मछुवारों की समस्या आदि मसलों पर सकारात्मक चर्चा की और दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प व्यक्त किया।
श्री मोदी ने बैठक के बाद अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों तथा परस्पर हित के अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बहुत अच्छी और लाभप्रद चर्चा हुई। हमने निर्णय लिया है कि दोनों देशों के बीच बहुमुखी साझेदारी और सहयोग को हम मिलकर और मज़बूत करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार “पड़ोसी प्रथम” नीति और ‘सागर सिद्धांत’के अनुरूप श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देती है। हमारे दोनों देशों की सुरक्षा और विकास अविभाज्य हैं। इसलिए यह स्वाभाविक है कि हम एक-दूसरे की सुरक्षा और संवेदनशीलताओं के प्रति सचेत रहें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने श्रीलंका के साथ विकास साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया है। यह सहयोग श्रीलंका के लोगों की प्राथमिकताओं के अनुसार होगा। 40 करोड़ डॉलर का एक नया ऋण श्रीलंका में आधारभूत ढांचे और आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि उनकी श्री राजपक्षे के साथ आपसी सुरक्षा के लिए और आतंकवाद के विरुद्ध आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर विस्तार से चर्चा हुई है। आतंकवाद से निपटने के लिए श्रीलंका को पांच करोड़ डॉलर के एक विशेष ऋण की घोषणा करते हुए उन्होंने खुशी व्यक्त की।
श्री मोदी ने कहा कि इसके अलावा मछुवारों की आजीविका को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी चर्चा की गयी। हमारे बीच सहमति है कि हम इस मामले में रचनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की समानता, न्याय, शांति और सम्मान की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, जातीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।”