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नरेन्द्र मोदी ने भूमि पूजन कर किया नये संसद भवन का शिलान्यास;आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा यह भवन और स्वतंत्र भारत में बने इस भवन को देखकर आने वाली पीढ़ियाँ गर्व करेंगी attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। चार मंजिला नये संसद भवन का निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

नये संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है।

ज्ञात हो कि नये संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था।

नये संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

नये भवन को सभी आधुनिक दृश्य – श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये।

लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी।

नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा। देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे।

संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है।

नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा।

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा नया संसद भवन : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नये संसद भवन की आधारशिला रखते हुए कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का साक्षी बनेगा और स्वतंत्र भारत में बने इस नये संसद भवन को देखकर आने वाली पीढ़ियाँ गर्व करेंगी।

श्री मोदी ने यहाँ संसद भवन परिसर के पार्किंग क्षेत्र में बनने वाले संसद के नये त्रिभुजाकार भवन के निर्माण के लिए भूमिपूजन के बाद समारोह को संबाेधित किया।

अपराह्न करीब एक बजे श्री मोदी के पहुँचने पर दक्षिण भारतीय पुरोहितों ने वैदिक रीति से भूमिपूजन कार्यक्रम संपन्न कराया। नवग्रहों, क्षेत्रपाल, गणपति, अनंतशेष, भूदेवी, कूर्म एवं वराह रूपी विष्णु का पूजन किया गया। तत्पश्चात श्री मोदी ने नवरत्न, नवधान्य, पंचधातु के कलश, चाँदी की ईंट के रूप में आधारशिला रखी। तदुपरांत वहाँ उपस्थित जैन, ईसाई, पारसी, बौद्ध, इस्लामिक आदि विविध पंथों के धर्माचार्यों ने अपने-अपने धर्म के अनुसार प्रार्थनाएँ कीं।

प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के शिलान्यास को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर बताते हुए कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद देश को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नये भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी। जैसे आज इंडिया गेट से आगे राष्ट्रीय समर स्मारक ने नयी पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा। आने वाली पीढ़ियाँ नये संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है।

उन्होंने कहा कि कोई मंदिर बनता है तो जब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो, तब तक वह एक भवन या इमारत मात्र ही होती है। उन्होंने कहा कि संसद के नये भवन की लोकतंत्र के नये मंदिर के रूप में प्राण प्रतिष्ठा संसद में चुनकर आने वाले प्रतिनिधि करेंगे जिसकी कोई विधि निश्चित नहीं है।

उन्होंने कहा “भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहाँ निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नये संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।”

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