नयी दिल्ली, पांच जनवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ऊर्जा क्षेत्र को लेकर अपनी सरकार का खाका देश के समक्ष रखते हुये कहा कि ऊर्जा उपभोग में स्वच्छ प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को दोगुने से अधिक किया जायेगा और पूरे देश को एक गैस पाइपलाइन ग्रिड से जोड़ा जायेगा ताकि लोगों और उद्योगों को किफायती ईंधन मुहैया कराया जा सके।
प्रधानमंत्री ने 450 किलोमीटर लंबी कोच्चि-मंगलुरू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि उनकी सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये राजमार्ग, रेलवे, मेट्रो, विमानन, जल, डिजिटल और गैस संपर्क पर अभूतपूर्व काम कर रही है।
इस पाइपलाइन को तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है।
मोदी ने कहा कि एक तरफ पांच-छह साल में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के नेटवर्क को दोगुना कर करीब 32 हजार किलोमीटर का बनाया जा रहा है, दूसरी ओर गुजरात में सौर व पवन ऊर्जा को मिलाकर दुनिया के सबसे बड़े हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा संयंत्र पर काम चल रहा है।
इनके अलावा आवागमन के इलेक्ट्रिक साधनों के साथ ही जैव ईंधन के विनिर्माण पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ये उपाय देश को प्रदूषण फैलाने वाले कोयला तथा तरल ईंधनों पर उच्च निर्भरता कम करने में मदद करेंगे।
अभी देश की कुल ऊर्जा जरूरत में 58 प्रतिशत की पूर्ति कोयले से होती है, जबकि पेट्रोलियम व अन्य तरल ईंधन 26 प्रतिशत योगदान देते हैं। देश में उपयोग किये जाने वाले विभिन्न ऊर्जा संसाधनों में प्राकृतिक गैस की महज छह प्रतिशत और अक्ष्य ऊर्जा की दो प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा संसाधनों में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी अभी के 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। यह अपेक्षाकृत स्वच्छ विकल्प है और इसे पाइपलाइन से ढोया जा सकता है, जिससे वाहनों के माध्यम से होने वाली ढुलाई में खर्च होने वाले ईंधन की बचत में भी मदद मिलेगी।
इसके साथ ही 10 साल की अवधि में गन्ना व अन्य कृषि उत्पादों से तैयार इथेनॉल करीब 20 प्रतिशत पेट्रोल का स्थानापन्न कर देगा। यह ईंधन की जरूरतों की पूर्ति के लिये तेल के आयात पर देश की निर्भरता के साथ ही कार्बन का उत्सर्जन कम करेगा।
सौर व पवन ऊर्जा के उपलब्ध पर्याप्त स्रोतों का इस्तेमाल कर अक्षय ऊर्जा से बिजली के उत्पादन पर ध्यान देने तथा बैटरी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने से भारत को सीओपी-21 के कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार पूरे देश को एक पाइपलाइन ग्रिड से जोड़ने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है। यह स्वच्छ ईंधनों की उपलब्धता को बेहतर बनायेगा और साथ ही शहरी गैस परियोजनाओं में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि मंगलवार को राष्ट्र को समर्पित नया पाइपलाइन उसी योजना का हिस्सा है। यह पेट्रोरसायन संयंत्रों और ऊर्वरक जैसे उद्योगों तक ईंधन पहुंचाने में मदद करेगा। इसके साथ ही इस पाइपलाइन से रास्ते में पड़ने वाले शहरों में वाहनों को सीएनजी और रसोईघरों को पाइप से गैस की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
यह कोच्चि में स्थित पचास लाख टन सालाना द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात टर्मिनल को अपनी पूरी क्षमता हासिल करने में भी मदद करेगा। यह टर्मिनल पिछले कुछ साल से 10 प्रतिशत से भी कम क्षमता से काम कर रहा है, क्योंकि गैस को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिये पाइपलाइन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
उन्होंने कहा कि देश में वाहनों में सीएनजी का इस्तेमाल 1992 के आस-पास ही शुरू हो गया था, लेकिन 2014 तक देश में 900 सीएनजी स्टेशन ही लगाये जा सके थे। पिछले छह साल में सीएनजी स्टेशनों की संख्या बढ़कर 1,500 हो गयी है। अब इनकी संख्या बढ़ाकर 10 हजार करने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि 2014 तक 25 लाख घरों के पास रसोई गैस के लिये पाइप (प्राकृतिक गैस) कनेक्शन थे। अब ये बढ़कर 72 लाख घरों तक पहुंच गये हैं। उन्होंने कहा कि इस पाइपलाइन से केरल और कर्नाटक में 700 सीएनजी स्टेशन लगाने तथा 21 लाख घरों में पाइप से एलएनजी पहुंचाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम स्वच्छ, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराने पर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छह साल में एलपीजी के उपभोक्ताओं की संख्या को दो गुना से अधिक कर दिया है। इसके लिये 14 करोड़ कनेक्शन दिये गये हैं। यह इससे पहले के छह दशक में दिये गये कनेक्शनों के बराबर है।
उन्होंने कहा कि इनमें से आठ करोड़ कनेक्शन उज्ज्वला योजना के तहत गरीबों को दिये गये हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद के लिये 12 करोड़ एलपीजी सिलिंडर मुफ्त में भरे गये हैं।
मोदी ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में एलपीजी उपलब्ध होने से यह फायदा हुआ है कि अब राज्य किरोसीन कोटा बढ़ाने के लिये झगड़ने के बजाय खुद को किरोसीन मुक्त घोषित कर रहे हैं।