नयी दिल्ली 27 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश के खिलौना उद्योग में बहुत बड़ी ताकत छिपी हुई है और इसे बढाकर अपनी पहचान बनाने तथा आत्मनिर्भर अभियान में बड़ा योगदान देना जरूरी है।
श्री मोदी ने शनिवार को पहले खिलौना मेला का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। कोरोना महामारी के कारण देश में पहली बार आयोजित यह मेला भी पूरी तरह से वर्चुअल है।
प्रधानमंत्री ने कहा , “ आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना, आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है। ”
उन्होंने कहा कि यह खिलौना मेला केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है यह देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है। मेले में कारीगरों और स्कूलों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनिययों के साथ साथ 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1,000 से अधिक लोग अपनी प्रदर्शनी लगा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा , “ आप सभी के लिए ये एक ऐसा मंच होने जा रहा है जहां आप खिलौनों के डिजायन, नवाचार, प्रौद्योगिकी से लेकर मार्केटिंग पैकेजिंग तक चर्चा परिचर्चा भी करेंगे, और अपने अनुभव साझा भी करेंगे। टॉय फेयर 2021 में आपके पास भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और ई-स्पोर्ट उद्योग के ईको सिस्टम के बारे में जानने का अवसर होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ खिलौनों के क्षेत्र में भारत में परंपरा भी है और प्रौद्योगिकी भी है, भारत के पास कंसेप्ट भी हैं, और कंपीन्टेंस भी है। हम दुनिया को इको फ्रेन्डली खिलौना की ओर वापस लेकर जा सकते हैं, हमारे साफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर गेम्स के जरिए भारत की कहानियों को, भारत के जो मूलभूत मूल्य हैं उन कथाओं को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं। लेकिन इस सबके बावजूद, 100 बिलियन डॉलर के वैश्विक खिलौना बाजार में आज हमारी हिस्सेदारी बहुत ही कम है। देश में 85 प्रतिशत खिलौने बाहर से आते हैं, विदेशों से मंगाए जाते हैं।”
खिलौने बच्चों की जिंदगी के लिए जरूरी : मोदी
वाराणसी,से खबर है कि,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि खिलौने बच्चे के जीवन का अटूट हिस्सा है जिसके साथ समय बिता कर वह काफी कुछ सीखते हैं।
वर्चुअल ‘द इंडिया टॉय फेयर-2021’ के उद्धाटन अवसर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर के कई लोगों से संवाद के दौरान श्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस उद्योग से जुड़े लोगों से भी बातचीत की।
उन्होंने कश्मीरी गंज खोजवा निवासी रामेश्वर सिंह से बातचीत के दौरान लकड़ी के खिलौने बनाने पर विशेष जोर दिया तथा कहा कि बच्चे और खिलौने एक दूसरे को देखते हैं। बच्चे खिलौनों का नकल करते हैं। इस तरह से खिलौने बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं।
गौरतलब है कि यह मेला 27 फरवरी से दो मार्च तक चलेगा। वर्चुअल प्रदर्शनी में 30 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किये जाने की योजना है। मेले में परंपरागत भारतीय खिलौनों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक खिलौने भी प्रदर्शित किये जाएंगे।
मोदी के उदबोधन ने दी ‘कठपुतली’ को दी संजीवनी
भदोही से खबर है कि,इतिहास के पन्नो में लगभग समा चुकी ‘कठपुतली’ कला और इससे जुड़े कलाकारों को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उदबोधन ने आक्सीजन दे दी है।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलौना मेला के सजीव उदबोधन को सुन भदोही के कठपुतली कलाकार चहक उठे हैं और दशकों से मकान के बड़ेरी पर धूल मिट्टी से सने पड़े कठपुतलियों के खिलौनों को एक बार फिर साफ-सुथरा करने में जुट गये हैं।
भदोही शहर के मखदूमपुर नट एवं सपेरों की बस्ती में आज सुबह एक मड़हे में जमे लगभग 12 से नट परिवार प्रधानमंत्री का लाइव भाषण दूरदर्शन पर देख रहें थे।
भीड़ देख उत्सुकतावश संवाददाता के कदम मड़हे के पास रूक गये। पूछने पर नट परिवार के लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खिलौने मेले का उद्घाटन किया है। साथ ही कठपुतली कला के उत्थान को लेकर भी बताया है। श्री मोदी की पहल की सराहना करते हुए शराफत अली बताते हैं कि उसके पिता कई दशक पहले चैत्र माह में जब गेहूं कटने का समय होता था तो गांव में पहुंचकर कठपुतली नचाते थे।बदले में उन्हे अनाज और सम्मान मिलता था लेकिन वक्त के साथ ही साथ कठपुतली कला भी विलुप्त हो गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को सुनकर ऐसा लगता है कि हमारे पूर्वजों की कठपुतली कला एक बार फिर जीवित हो जायेगी। शराफत अली बात करते हुए खपरैल के मकान के बड़ेरी पर रखी दो जोड़ी कठपुतली खिलौना ले आये और पोछते हुए उसके आंखो से आंसू निकल पड़े।
शराफत नट बताता है कि महमूदपुर के इस बस्ती में कठपुतली नचाने वाले लगभग तीन दर्जन परिवार रहते थे। लेकिन अब तो न कठपुतली देखने वाले हैं और न ही इस कला को सजोने वाले जिससे अब धीरे-धीरे यह परिवार सपेरों के बस्ती के रूप में बदल गया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से सपेरों के बस्ती के लोगों को अब उम्मीद है कि कठपुतली कला की पुरानी परंपरा अब एक बार फिर जिवित हो जायेगी।