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स्वस्थ भारत के लिए चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है सरकार:नरेन्द्र मोदी ने याद दिलाया कि कुछ महीनों में ही देश ने 2500 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया और कुछ दर्जनभर जांचों की तुलना में जांच कार्य 21 करोड़ पहुंचा attacknews.in

नयी दिल्ली 23 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार स्वस्थ भारत बनाने की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है।

श्री मोदी ने मंगलवार को स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट प्रावधानों को प्रभावी तरीके से लागू करने के बारे में आयोजित वेबिनार को वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र का आवंटन अप्रत्याशित है और इससे प्रत्येक नागिरक को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का सरकार का संकल्प दिखता है।

उन्होंने कहा कि पिछला वर्ष महामारी के कारण काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण था। इस चुनौती पर काबू पाने और अनेक लोगों की जान बचाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसका श्रेय सरकार तथा निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों को दिया।

देश को स्वस्थ बनाने से संबंधित चौतरफ रणनीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पहली रणनीति बीमारी रोकथाम और आरोग्य संवर्धन है। स्वच्छ भारत अभियान, योग, गर्भवती महिलाओँ और बच्चों की समय से देखभाल और इलाज जैसे कदम इसके हिस्से हैं। दूसरी रणनीति गरीब से गरीब को सस्ता और कारगर इलाज प्रदान करना है। आयुष्मान भारत तथा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं इस दिशा में काम कर रही हैं। तीसरी रणनीति स्वास्थ्य संरचना तथा स्वास्थ्य सेवा पेशेवर लोगों की गुणवत्ता और संख्या बढ़ानी है। पिछले छह वर्षों में एम्स जैसे संस्थानों का विस्तार तथा पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास है।

उन्होंने कहा कि चौथी रणनीति बाधाओं को पार करने के लिए मिशन मोड में काम करना है। मिशन इंद्र धनुष का विस्तार जनजातीय तथा देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक किया गया है।

उन्होंने कहा कि देश ने तपेदिक उन्मूलन के 2030 लक्ष्य को पांच वर्ष घटाकर 2025 कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वारयस की रोकथाम में अपनाए गए प्रोटोकॉल टीबी रोकथाम में भी बनाए जा सकते हैं क्योंकि बीमारी संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट से फैलती है।

उन्होंने कहा कि मास्क पहनना और रोग की जल्द से जल्द जांच और इलाज टीबी की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है।

श्री मोदी ने याद दिलाया कि कुछ महीनों के अंदर ही देश ने 2500 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया और इस तरह कुछ दर्जनभर जांचों की तुलना में जांच कार्य 21 करोड़ पहुंच गया है।

उन्होंने कहा , “ कोरोना महामारी ने हमें यह सबक दी कि हमें न केवल महामारी से लड़ना है बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी रहना है।इसलिए स्वास्थ्य सेवा से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र को मजबूत बनाना समान रूप से आवश्यक है।”

उन्होंने कहा कि हमें मेडिकल उपकरण से लेकर दवाइओं, वेंटिलेटर से लेकर वैक्सीन, वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर निगरानी संरचना, डॉक्टरों से लेकर महामारी विज्ञानियों सब पर फोकस करना होगा ताकि भविष्य मेंदेश किसी स्वास्थ्य आपदा से निपटने में बेहतर रूप से तैयार हो। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत योजना के पीछे यह प्रेरणा है। इस योजना के अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है कि देश में ही अनुसंधान से लेकर जांच और इलाज तक एक आधुनिक ईकोसिस्टम विकसित किया जाएगा।यह योजना प्रत्येक क्षेत्र में हमारी क्षमताओं को बढ़ाएगी।

युवा इंजीनियर भविष्य की चुनौतियों के स्वदेशी समाधान तैयार करें : मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आह्वान किया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को स्वदेशी तकनीक एवं विज्ञान के शोध केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए जहां हमारे विद्यार्थी बदलते वक्त के अनुरूप भविष्य की चुनौतियों के लिए आज ही समाधान तैयार कर सकें।

श्री मोदी ने यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड्गपुर के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह आह्वान किया। इस मौके पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, आईआईटी खड़गपुर के अध्यक्ष संजीव गोयनका एवं निदेशक वी. के तिवारी उपस्थित थे।

श्री मोदी ने कहा, “इस संस्थान से देश को 21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत में बन रहे नए इकोसिस्टम के लिए नये नेतृत्व की भी उम्मीद है। नया इकोसिस्टम, हमारे स्टार्टअप्स की दुनिया में, नया इकोसिस्टम, हमारे इनोवेशन शोध की दुनिया में, नया इकोसिस्टम, हमारे कॉरपोरेट जगत में, और नया इकोसिस्टम, देश की प्रशासनिक व्यवस्था में, इस कैंपस से निकलकर आपको सिर्फ अपना नया जीवन ही स्टार्ट नहीं करना है, बल्कि आपको देश के करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले स्वयं में एक स्टार्ट अप भी बनना हैं।”

उन्होंने कहा, “इसलिए ये जो डिग्री और मेडल आपके हाथ में है, वो एक तरह से करोड़ों आशाओं का आकांक्षा पत्र है, जिन्हें आपको पूरा करना है। आप वर्तमान पर नजर रखते हुए भविष्य की भी कल्पना करें। हमारी आज की ज़रूरतें क्या हैं और 10 साल बाद क्या ज़रूरतें होने वाली हैं, उनके लिए आज काम करेंगे तो, कल के नवान्वेषण भारत आज करेगा।”

प्रधानमंत्री ने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि उनमें विषयों को ज्यादा विस्तार से देखने की, एक नए विज़न की एक अद्भुत क्षमता होती है। इसलिए आज हमारे आसपास सूचना का जो भंडार है उसमें से समस्याओं और उनके पैटर्न को वे बहुत बारीकी से देख पाते हैं। समस्याओं के पैटर्न की समझ हमें उनके दीर्घकालिक समाधान की तरफ ले जाती है। ये समझ भविष्य में नई खोज, नए आविष्कार का एक आधार बनती है। यह सोचिए, आप कितने जीवन में बदलाव ला सकते हैं, कितने जीवन बचा सकते हैं, देश के संसाधनों को बचा सकते हैं, अगर आप पैटर्न को समझें और उसे समझ कर समाधान निकालें। इससे संभव है कि भविष्य में यही समाधान आपको कारोबारी सफलता भी दें।

उन्होंने कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, या गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा। ऐसे बहुत से सवाल आपके दिल दिमाग को जकड़ लेंगे। ऐसी दशा में अपने सामर्थ्य को पहचानकर पूरे आत्मविश्वास और निःस्वार्थ भाव से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने सैकड़ों साल पहले की इन समस्याओं को आज काफी सरल कर दिया है। लेकिन ज्ञान विज्ञान के प्रयोग में धीरज बहुत जरूरी है। आप सभी, ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है। आप जिस प्रयोग पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना भी मिले। लेकिन उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे। आपको याद रखना है कि हर वैज्ञानिक और तकनीकी असफलता से एक नया रास्ता निकलता है। ये विफलता ही सफलता का रास्ता बना सकती है।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत की स्थिति के साथ साथ ज़रूरतें और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। अब आईआईटी को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से आगे, स्वदेशी प्रौद्योगिकी संस्थान के अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है। हमारी आईआईटी जितना ज्यादा भारत की चुनौतियों को दूर करने के लिए शोध करेंगी, भारत के लिए समाधान तैयार करेंगी, उतना ही वो वैश्विक आकांक्षाओं का भी माध्यम बनेंगी। हमारी इतनी बडी जनसंख्या के बीच जो प्रयोग सफल होकर निकलेगा, वो दुनिया में कहीं पर भी असफल नहीं होगा।

श्री मोदी ने विद्यार्थियों से सस्ती, अफोर्डेबल, इनवायर्नमेंट फ्रेंडली टेक्नोलॉजी, क्लीन कुकिंग के लिए सोलर के आधार पर घर में चूल्हा जलाने और सोलर के आधार पर ही घर के लिए आवश्यक एनर्जी स्टोरेज की बैटरी की व्यवस्था, डिजास्टर प्रूफ छोटे-बड़े घरों का निर्माण, हेल्थ टेक के फ्यूचरिस्टिक सोल्यूशंस, सस्ते एवं सटीक जानकारी देने वाले पर्सनल हेल्थकेयर उपकरणों के निर्माण की दिशा में योगदान देने का आग्रह किया और कहा, “आप सभी से सिर्फ आपके माता पिता और आपके शिक्षकों की ही उम्मीदें नहीं जुड़ीं हैं बल्कि 130 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं के भी आप प्रतिनिधि हैं। देश की आकांक्षाएं ही आज का आपका प्रमाणपत्र है। ये प्रमाणपत्र दीवार पर टिकाने के लिए या कैरियर के लिए सिर्फ भेजने के लिए नहीं है। ये जो आपको आज सर्टिफिकेट मिल रहा है। वो 130 करोड़ देश की आकांक्षाओं का एक प्रकार का मांग पत्र है, विश्वास पत्र है, आश्वासन पत्र है।…. बीते सालों में जो 75 बड़े इनोवेशन, बड़े समाधान आईआईटी खड़गपुर से निकले हैं, उनका संकलन करें। उनको देश और दुनिया तक पहुंचाएं। अतीत की इन प्रेरणाओं से आने वाले वर्षों के लिए, देश को नया प्रोत्साहन मिलेगा, नौजवानों को नया आत्मविश्वास मिलेगा।”

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