संयुक्त राष्ट्र, 27 सितंबर । विश्व को ‘‘युद्ध नहीं बुद्ध’’के शांति संदेश देने के भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के खतरे के प्रति विश्व समुदाय को चेताया और इसके विरूद्ध वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को हिंदी में संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आतंक के नाम पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ। मैं समझता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना अनिवार्य है।’’
स्वामी विवेकानंद के 125 साल पहले शिकागो में धर्म संसद में दिए संदेश का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति और सौहार्द ही, एकमात्र संदेश है।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘ हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं, शांति का संदेश दिया है।’’ उन्होंने कहा कि संरा शांति सेना में भारत ने सबसे ज्यादा योगदान दिया है ।
मोदी ने आतंकवाद को लेकर कड़ा संदेश देते हुए कहा, ‘‘हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है, आक्रोश भी है। हम मानते हैं कि यह किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतयों में से एक है।’’
उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करना गौरव की बात है।
मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि सत्य और अहिंसा का संदेश पूरे विश्व के लिए आज भी प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में हम जल संरक्षण के साथ 15 करोड़ परिवारों को पाइप के जरिए पेयजल आपूर्ति से जोड़ने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि 2025 तक हम भारत को तपेदिक (टीबी) से मुक्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जन-भागीदारी से जन-कल्याण की दिशा में काम कर रहे हैं और यह केवल भारत ही नहीं ‘‘जग-कल्याण’’ के लिए है।
ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की दृष्टि से देखें तो वैश्विक तापमान को बढ़ाने में भारत का योगदान बहुत ही कम रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत में कहा कि पूरी दुनिया का आतंकवाद के खिलाफ एकमत और एकजुट होना अनिवार्य है क्योंकि आतंकवाद के नाम पर विभाजित विश्व संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को ठेस पहुंचा रहा है।
श्री मोदी ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुए विश्वशांति के लिए भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों में सर्वाधिक योगदान एवं बलिदान दिया है।
उन्होंने कहा, “हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिये हैं, शांति का संदेश दिया है। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी।”
आतंकवाद को दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया और मानवता के लिए खतरा है। उन्होंने कहा , “ आतंकवाद के नाम पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचा रही है जिनके आधार पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ है इसलिए मानवता की खातिर आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत और एकजुट होना अनिवार्य है।” भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए वह आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान के लिए विकसित देशों को कठघरे में खड़ा करते हुए आज संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है, लेकिन इसके समाधान के लिए काम करने में वह अग्रणी है।
श्री मोदी ने शुक्रवार को महासभा के 74 वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा “अगर इतिहास और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के नजरिये से देखें तो ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान बहुत ही कम रहा है। लेकिन इसके समाधान के लिए कदम उठाने वालों में भारत एक अग्रणी देश रहा है।”उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 450 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा है। उसने अंतर्राष्ट्रीय सौर एलायंस के गठन की पहल की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राकृतिक आपादाएँ अब पहले की तुलना में जल्दी-जल्दी आ रही हैं और उनकी भयावहता भी पहले से ज्यादा हो गयी है। नयी-नयी तरह की प्राकृतिक आपदाएँ भी सामने आ रही हैं। इन आपदाओं से नुकसान कम से कम हो इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें जो इन आपदाओं में भी सुरक्षित रह सकें। उन्होंने ‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर’ से जुड़ने के लिए दुनिया के देशों का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर आज मैंने पढ़ा-“नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक”।
मुझे सभा को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, उस वक्त हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं। ”
भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा ,“भारत हजारों वर्ष पुरानी एक महान संस्कृति है जिसकी जीवंत परंपरायें हैं और जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है। हमारे संस्कार , हमारी संस्कृति , जीव में शिव देखती है। ”