नयी दिल्ली, नौ नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया है अब देशवासियों को राष्ट्र निर्माण का संकल्प लेकर नये भारत के निर्माण में जुटना होगा।
मोदी ने नौ नवंबर को आये शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि आज ही के दिन बर्लिन की दीवार गिरी थी जिससे दो विपरीत विचारधाराओं के उस संकल्प की याद ताजा होती है जो सभी को मिलजुल कर आगे बढ़ने का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय के अयोध्या मामले में फैसला सुनाये जाने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज नौ नवंबर है। यह वही तारीख थी जब बर्लिन की दीवार गिरी थी। दो विपरीत धाराओं ने एकजुट होकर नया संकल्प लिया था। आज नौ नवंबर को करतारपुर साहिब कॉरिडोर की शुरुआत हुयी इसमें भारत और पाकिस्तान दोनों का सहयोग रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही नौ नवंबर की यह तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे रही है। आज के दिन का संदेश जुड़ने का, जोड़ने का और मिलकर जीने का है।’’
प्रधानमंत्री ने विभिन्न समुदायों के बीच किसी भी प्रकार की सामाजिक कटुता मिटाने का आह्वान करते हुये कहा, ‘‘कहीं भी, कभी भी, किसी के मन में, इन सारी बातों को लेकर यदि कोई कटुता रही हो तो उसे आज तिलांजलि देने का भी दिन है। नये भारत में भय, कटुता और नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं होना चाहिये।’’
मोदी ने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने इस फैसले से यह संदेश भी दिया है कि कठिन से कठिन मसले का हल संविधान और कानून के दायरे में ही आता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस फैसले से सीख लेनी चाहिये कि समाधान निकलने में भले ही कुछ समय लगे लेकिन फिर भी धैर्य बनाकर रखना ही सर्वोचित है।’’
उन्होंने हर परिस्थिति में देश के संविधान, न्याय प्रणाली की महान परंपरा पर अपने विश्वास को बरकरार रखने की अपील करते हुये कहा, ‘‘यह फैसला हमारे लिये नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद का भले ही कई पीढियों पर असर पडा़ हो लेकिन फैसले के बाद हमें संकल्प करना होगा कि अब नयी पीढ़ी नये सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी।’’
उन्होंने अपील की, ‘‘आईये एक नयी शुरआत करते हैं, अब एक नये भारत का निर्माण करते हैं।’’ मोदी ने कहा कि ‘‘हमें अपना विश्वास और विकास इस बात से तय करना है कि मेरे साथ चलने वाला कहीं पीछे तो नहीं छूट रहा है।’’
प्रधानमंत्री ने इस फैसले के बाद अब देश के हर नागरिक पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी बढ़ जाने का अहसास कराते हुये कहा, ‘‘राम मंदिर निर्माण का अदालत ने फैसला दे दिया है अब देश के हर नागरिक पर राष्ट्र निर्माण की जवाबदारी बढ़ गयी है। इसके साथ ही एक नागरिक के तौर पर हम सभी के लिये देश की न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने और कानून नियमों का पालन करने का दायित्व पहले से अधिक बढ़ बया है। ’’
उन्होंने देशवासियों से अपने दायित्वों के निर्वहन को प्राथमिकता देने की अपील करते हुये कहा, ‘‘हमारे बीच का सौहार्द और आपसी एकता शांति, सद्भाव और स्नेह देश के विकास के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।
भविष्य की चुनौतियों का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा, ‘‘भारत के सामने चुनौतियां, लक्ष्य, मंजिलें और भी हैं। हर भारतीय साथ मिलकर और साथ चलकर ही मंजिलों तक पहुंचेगा।’’
उन्होंने रविवार को ईद के पावन पर्व की देशवासियों को बधाई देते हुये कहा, ‘‘आज नौ नवंबर के महत्वपूर्ण दिन को याद कर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हुये मैं ईद सहित आने वाले अन्य त्योहारों की शुभकामनायें देता हूं।’’
इस दौरान प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका को इस ऐतिहासिक फैसले के लिये अभिनंदन का अधिकारी बताते हुये कहा कि पूरे देश की इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में प्रतिदिन सुनवाई हो और यह हुआ भी, जिसके आधार पर निर्णय आया है।
मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया यह तो मानती ही है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आज दुनिया ने यह भी जान लिया है कि भारत का लोकतंत्र कितना जीवंत है। फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग और हर समुदाय सहित पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, यह भारत की पुरातन संस्कृति और सद्भाव की भावना को प्रतिबंबित करता है।’’
उन्होंने कहा कि भाारत विविधता में एकता के लिये जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अदालत के फैसले के बाद यह मंत्र अपनी पूर्णता के साथ खिला हुआ नजर आता है। इस पर हमें गर्व होता है कि हजारों साल बाद अगर किसी को भी भारत के इस प्राणतत्व को समझना होगा तो वह आज के इस ऐतिहासिक दिन और इस घटना का जरूर उल्लेख करेगा।’’
उन्होंने देश के सामाजिक सौहार्द को बरकरार रखने का श्रेय देशवासियों को देते हुये कहा, ‘‘यह घटना इतिहास के पन्नों से नहीं उठाई गयी है बल्कि सवा सौ करोड़ लोग यह स्वर्णिम पृष्ठ इतिहास में जोड़ रहे हैं।’’
मोदी ने अदालत के सर्वसम्मति से दिये गये फैसले का स्वागत करते हुये कहा, ‘‘न्यायपालिका के इतिहास में भी यह स्वर्णिम अध्याय का दिन है। अदालत ने धैर्य से सबको सुना और पूरे देश के लिये यह खुशी की बात है कि यह फैसला सर्वसम्मति से आया है।’’
उन्होंने कहा कि एक नागरिक के नाते हम सब जानते हैं कि यह काम सरल नहीं था। अदालत ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति के दर्शन कराये हैं। इसलिये देश के न्यायाधीश, न्यायालय और न्यायिक प्रणाली आज विशेष रूप से अभिनंदन की अधिकारी है।