रायसेन, 18 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास पिछले कुछ समय से जारी किसान आंदोलन के बीच आज देश के किसानों से आह्वान किया कि वे भ्रम फैलाने वालों से सतर्क रहें और यदि उन्हें किसी प्रकार की आशंका है, तो सरकार उनसे उस मुद्दे पर बातचीत के लिए सदैव तैयार है।
श्री मोदी ने वीडियाे कांफ्रेंसिंग के जरिए मध्यप्रदेश के लाखों किसानों से किसान महासम्मेलन के जरिए संवाद किया। किसान महासम्मेलन राज्य के रायसेन जिला मुख्यालय पर आयोजित किया गया। महासम्मेलन में श्री मोदी के अलावा मुख्यमंत्री का भाषण भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूरे प्रदेश में सुनाया गया।
श्री मोदी ने लगभग 50 मिनट के भाषण में नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में तथ्यों के साथ विस्तार से बताया और कहा कि तीनों कानून लगभग छह सात माह पहले लागू हो गए हैं और ये पूरी तरह किसानों तथा कृषि क्षेत्र में बेहतरी को लेकर हैं। लेकिन इनको लेकर राजनैतिक दल असत्य बोलकर भ्रम फैलाने की राजनीति कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि देश के लगभग सभी किसानों ने केंद्र सरकार के नए कृषि सुधारों को अपनाया है। ये किसान भ्रम फैलाने वालों को नकार रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके बावजूद वे फिर से किसानों से अनुरोध कर रहे हैं कि यदि उन्हें किसी भी मुद्दे पर भ्रम है तो सरकार उनसे चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि किसानों की चिंता का निराकरण करना सरकार की प्राथमिकता है। किसानों के हित भी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
श्री मोदी ने कहा कि दरअसल नए कृषि कानून लागू होने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलने, मंडियों के बंद होने और किसानों की जमीन के मालिकाना हक को लेकर भ्रम फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा न कभी हुआ है और न ही होगा। इसलिए किसान भ्रम फैलाने वालों को पहचानें और उनसे सतर्क रहें। उन्होंने दोहराया कि इसके बावजूद कोई आशंका है तो सरकार हाथ जोड़कर किसानों से चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जो लोग वर्तमान में भ्रम फैलाकर अपनी राजनैतिक जमीन तैयार कर रहे हैं, उन्होंने किसानों के साथ हमेशा धोखा दिया है और अपने हितों काे साधा है।
श्री मोदी ने कहा कि आज उन्होंने किसान महासम्मेलन के माध्यम से देश के समक्ष सच्चायी रखी है और वे आगामी 25 दिसंबर को एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर देश के किसानों के सामने अपनी बात रखेंगे। उस दिन किसान सम्मान निधि की धनराशि किसानों के खातों में भी पहुंचायी जाएगी।
उन्होंने अपने भाषण के अंत में किसान महासम्मेलन आयोजित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
किसानों को भ्रमित करने वालों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट दबाए रखी थी – मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने आज किसी का नाम लिए बगैर कहा कि आंदोलन के नाम पर विपक्षी दल किसानों को भ्रमित और बरगलाने का कार्य कर अपनी ‘राजनैतिक जमीन’ तैयार करने का कार्य कर रहे हैं और किसानों को ऐसे लोगों से सतर्क व सावधान रहना चाहिए।
श्री मोदी ने अपने लगभग 50 मिनट के भाषण में साफ तौर पर कहा कि तीनों नए कृषि कानूनों को लागू हुए छह सात माह हो गए हैं। इस दौरान न तो मंडियां बंद हुयीं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज की खरीदी भी बंद नहीं हुयी और न ही किसानों की जमीन को लेकर कोई संकट पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि ये कार्य भविष्य में भी बंद नहीं होंगे, लेकिन विपक्षी दल इन मुद्दों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज वे ऐसे लोगों का कच्चा चिट्ठा खोलना चाहते हैं। ऐसे लोग कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लगभग आठ वर्षों तक दबाए बैठे रहे। हमारी सरकार ने स्वामीनाथन आयाेग की रिपोर्ट को निकाला और कृषि क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रावधानों को लागू किया। इसी क्रम में कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन नए कानून देश में लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में ये कानून देश में आज से 25-30 वर्ष पहले लागू हो जाने चाहिए थे।
श्री मोदी ने कहा कि जाे सुधार उनकी सरकार ने लागू किए हैं, वे सब विपक्षी दल अपने घोषणापत्रों और भाषणों में दर्ज कराते आ रहे थे, लेकिन कदम किसी ने नहीं उठाए, क्योंकि उनकी नीयत ठीक नहीं थी। लेकिन हमारी सरकार ने इन सुधारों को लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि दरअसल विपक्षी दलों को नए सुधारों से तकलीफ नहीं है। उन्हें इस बात की तकलीफ है कि यह कार्य ‘मोदी’ ने क्यों कर दिया।
प्रधानमंत्री ने किसानों की बेहतरी को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता निरुपित करते हुए कहा कि हमने देश के किसानों की उन मांगों को भी पूरा किया है, जिन पर वर्षों से सिर्फ और सिर्फ मंथन चल रहा था। हमारे यहां के विकासवादी सोच वाले किसान भी कृषि सुधारों की मांग करते आए हैं। श्री मोदी ने दावा करते हुए कहा कि सभी दलों के घोषणापत्र और और चिट्ठियां देखी जाएं, तो जो आज कृषि सुधार लागू हुए हैं, वे उनसे अलग नहीं है।
श्री मोदी ने कहा कि वे किसानों को समृद्ध, खुशहाल और आधुनिक देखना चाहते हैं। लेकिन विपक्षी दल अब अचानक भ्रम के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं। वे किसानों के कंधों पर बंदूक रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और हमारे मंत्री बार बार पूछ रहे है कि किस प्रावधान से दिक्कत है, तो इनके पास कोई जवाब नहीं होता है।
‘किसानों की जमीन चली जाएगी’ का डर दिखाकर ये लोग अपनी राजनैतिक जमीन खोज रहे हैं। किसानों को यह भी जरुर ध्यान देना चाहिए कि ऐसे लोगों ने उस समय क्या किया जब वे सरकार में थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लोग वही हैं, जिन्होंने किसानों की कर्जमाफी के नाम पर किसानों और देश प्रदेश को गुमराह किया। इन लोगों ने मध्यप्रदेश में चुनाव के पहले कहा था कि दस दिन के भीतर किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा। सत्ता में आने पर तरह तरह के बहाने बनाए गए। राजस्थान के किसान भी कर्जमाफी का इंतजार करते हैं। इतना बड़ा धोखा करने वालों को किसानों के हितों की बात करते देखते हैं, तो आश्चर्य होता है।
उन्होंने कहा कि किसान कर्जमाफी को लेकर इनकी ओर से जितना दावा किया जाता है, उतना पैसा किसानों तक पहुंचता नहीं है और किसान कर्जमाफ के चक्कर में बैंक नोटिस और गिरफ्तारी वारंट का सामना करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। किसान कर्जमाफी का लाभ सिर्फ ऐसे लोगों के करीबियों और नाते रिश्तेदारों को मिलता था। कुछ बड़े किसानों का कर्ज माफ कर दिया गया और राजनैतिक रोटियां सेंक ली गयीं। फिर गरीब किसान को कौन पूछता है। देश अब ऐसे लोगों को जान गया है।
श्री मोदी ने केंद्र सरकार की किसानों के प्रति नीयत को गंगा और नर्मदा की तरह पवित्र निरुपित करते हुए अनेक आकड़े भी पेश किए। उन्होंने कहा कि ये लोग 50 हजार करोड़ रुपए दस साल में एक बार देते हैं और हम लोग किसानों को प्रति वर्ष 75 हजार करोड़ रुपए पहुंचा रहे हैं। इन लोगाें के जमाने में किसानों को यूरिया खाद के लिए जूझना पड़ता था। हमारी सरकार ने इसका भी समाधान निकाला और अब देश में यूरिया की किल्लत नहीं है। यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए देश में अनेक स्थानों पर फर्टिलाइजर कारखाने स्थापित किए जा रहे हैं। यूरिया की कालाबाजारी रोकी गयी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके कार्यकाल में देश में 100 से अधिक बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट वर्षों तक पूरे नहीं हुए। इस वजह से समय और पैसे की जमकर बर्बादी हुयी। हमारी सरकार ने इन योजनाओं को मिशन के रूप में पूरा किया, जिससे सिंचाई सुविधाएं बढ़ीं। अब मछली उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों से जुड़ी अन्य योजनाओं पर कार्य जारी है।
श्री मोदी ने दोहराते हुए कहा कि यदि सरकार को एमएसपी हटानी होती, तो वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू क्यों करती। कोरोना संकटकाल में भी देश में नए कानून लागू होने के बाद एमएसपी से उपज की खरीद मंडियों में ही हुयी।एमएसपी और मंडियां भविष्य में भी बंद नहीं होंगी।
उन्होंने कहा कि गेंहू की एमएसपी उनके समय में 1400 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो हमारे समय में 1975 हो गयी है। धान की एमएसपी 1310 से 1870 हुयी है। इसी तरह उन्होंने अन्य उपजों की एमएसपी के आंकड़े बताते हुए कहा कि ये सबूत है कि हमारी सरकार समय समय पर एमएसपी बढ़ाने को तवज्जो देती है। उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि इसी तरह एमएसपी पर पहले की तुलना में अनाज भी ज्यादा खरीदा गया है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘फार्मिंग एग्रीमेंट’ को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है। देश में वर्षों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है। कई राज्यों में यह चल रहा है। मौजूदा सरकार ने फार्मिंग एग्रीमेंट में भी किसानों के हितों का ध्यान रखा है। उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव भी दिया कि वे इन कानूनों से जुड़े प्रावधान सरल भाषा में तैयार कराएं और किसानों के बीच पहुंचाएं।
नरेंद्र मोदी देश के सबसे बड़े किसान हितैषी – शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और किसानों से संबंधित तीनों नए केंद्रीय कानूनों को पूरी तरह किसानों के हित में बताते हुए आज कहा कि देश में वर्तमान में सबसे बड़े किसान हितैषी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं।
श्री चौहान ने रायसेना जिला मुख्यालय पर किसान महासम्मेलन को संबोधित किया। ये भाषण वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश में जगह जगह दिखाया गया और इसे कुछ देर बाद श्री मोदी ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।
श्री चौहान ने कहा कि श्री मोदी किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना लागू की। श्री मोदी ने ही किसान कल्याण निधि के तहत देश के प्रत्येक किसान को छह हजार रुपए प्रति वर्ष देने संबंधी योजना लागू की। अन्य कदम भी किसानों के हित में लगातार उठा रहे हैं।
श्री चौहान ने दूसरी ओर इन कानूनों का विरोध कर रहे लोगों को भी जमकर आड़े हाथों लिया और कहा कि वास्तव में कांग्रेस और देश तोड़ने वाले लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं। वे किसानों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। आंदोलन में ऐसे लोग प्रवेश कर गए हैं, जिनका कृषि से काेई संबंध नहीं है। उन्होंने तीनों कानूनाें को लागू करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि राज्य के पूरे किसान श्री मोदी के साथ हैं।