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भारत-चीन हिंसक झड़प पर नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को भरोसा दिलाया: ” हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा, इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए ” attacknews.in

नयी दिल्ली 17 जून । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन का नाम लिये बिना आज कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाने पर वह हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम है और वह लोगों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जायेगा।साथ ही उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि देश के वीर शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा।

श्री मोदी ने आज यहां 15 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ देश में कोरोना महामारी की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलायी गयी दूसरे चरण की बैठक से पहले चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए यह बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा , “ भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाने पर वह हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम है। हमारे वीर शहीद जवानों पर देश को गर्व रहेगा कि वे मारते-मारते मरे हैं। ”

उन्होंने कहा कि वह देश को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमारे शहीद सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा।

शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए श्री मोदी ने कहा , “ भारत माता के वीर सपूतों ने गलवान वैली में हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हुये सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं देश की सेवा में उनके इस महान बलिदान के लिए उन्हें नमन करता हूं, उन्हें कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ। दुःख की इस कठिन घड़ी में हमारे इन शहीदों के परिजनों के प्रति मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ। आज पूरा देश आपके साथ है, देश की भावनाएं आपके साथ हैं। हमारे इन शहीदों का ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। चाहे स्थिति कुछ भी हो, परिस्थिति कुछ भी हो, भारत पूरी दृढ़ता से देश की एक एक इंच जमीन की, देश के स्वाभिमान की रक्षा करेगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सांस्कृतिक रूप से शांति प्रिय देश है। हमारा इतिहास शांति का रहा है। भारत का वैचारिक मंत्र ही रहा है- लोकाः समस्ताः सुखिनों भवन्तु। भारत ने पूरी मानवता के कल्याण की कामना की है।साथ ही हमने अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग और मैत्रीपूर्ण तरीके से मिलकर काम किया है। हमेशा उनके विकास और कल्याण की कामना की है।

उन्होंने कहा कि भारत की हमेशा यही कोशिश रही है कि मतभेद कभी भी विवाद न बनें। उन्होंने कहा , “ हम कभी किसी को भी उकसाते नहीं हैं, लेकिन हम अपने देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता भी नहीं करते हैं।जब भी समय आया है, हमने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, अपनी क्षमताओं को साबित किया है। त्याग और तितिक्षा हमारे राष्ट्रीय चरित्र का हिस्सा हैं, लेकिन साथ ही विक्रम और वीरता भी उतना ही हमारे देश के चरित्र का हिस्सा हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा , “ मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूँ, हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगा।
हमारे लिए भारत की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है, और इसकी रक्षा करने से हमें कोई भी रोक सकता।
इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए।”

बाद में प्रधानमंत्री , गृह मंत्री और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तथा प्रशासकों ने शहीदों के सम्मान में दो मिनट का मौन भी रखा।

उल्लेखनीय है कि सोमवार की रात पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में सेना के 20 सैनिक शहीद हो गये थे। इस घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली प्रतिक्रिया है।

लद्दाख झड़प: मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी है।

सोमवार रात को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में हुई झड़प में सेना के 20 सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें एक कमांडिंग आफिसर भी शामिल है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने टि्वट कर कहा है, “ भारत-चीन सीमा से लगते क्षेत्रों में स्थिति पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 जून को शाम पांच बजे सर्वदलीय बैठक बुलायी है। इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के अध्यक्ष हिस्सा लेंगे। ”

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करीब 40 दिन से भी अधिक समय से सैन्य गतिरोध जारी है। दोनों सेनाओं के बीच इस हिंसक झड़प के बाद स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार से ही रक्षा मंत्री , गृह मंत्री और विदेश मंत्री के साथ इस मुद्दे पर लगातार संपर्क में है। उन्होंने कई बैठकें भी की हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस घटना को लेकर तरह तरह के बयान दिये हैं और उन्होंने सरकार से इस मामले से जुड़े तथ्य देश के साथ साझा करने को कहा है। कुछ दलों ने सैनिकों की शहादत का बदला लेने और चीन को अपनी जमीन से पीछे खदेड़ने की भी मांग की है।

पिछले करीब पांच दशकों में यह पहला मौका है जब चीन सीमा पर दोनों पक्षों के सैनिकों में इस तरह की झड़प हुई है। इससे पहले 1967 में नाथू ला में दोनों सेनाओं के बीच हुए टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 सैनिकों की जान गयी थी।

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