नयी दिल्ली 21 नवम्बर ।भारतीय अर्थव्यवस्था को 50 खरब डालर तक पहुंचाने में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग ) की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस संगठन को केवल आंकड़ों और प्रक्रिया तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि सुशासन के ‘माध्यम’ के रूप में आगे आना चाहिए।
श्री मोदी ने आज यहां महालेखाकारों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कैग की देश और समाज के आर्थिक आचरण को पवित्र रखने में अहम भूमिका है इसलिए उसकी जिम्मेदारी और उससे अपेक्षा दोनों बढ जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस संगठन को सिर्फ आंकड़ों और प्रक्रिया तक ही इस सीमित नहीं रहना है, बल्कि वास्तव में सुशासन के माध्यम के रूप में आगे आना है। उन्होंने कहा कि यह सराहना की बात है कि कैग को कैग प्लस बनाने के सुझाव पर संगठन गंभीरता से अमल कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ सालों में सरकारी विभागों में धोखाधड़ी से निपटने के लिए अनेक प्रयास हुए हैं।
अब कैग को ऐसे ‘टेक्निकल टूल्स’ विकसित करने होंगे ताकि संस्थानों में धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश न बचे। उन्होंने कहा , “ मुझे विश्वास है कि कैग देश की तमाम अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी और ‘नये भारत’ को ‘स्वच्छ भारत’ बनाने के लिए मजबूती प्रदान करेगी।
श्री मोदी ने कहा कि जब देश 50 खरब डॉलर की आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, उसमें भी आप सभी की भूमिका अहम है क्योंकि आप जो करेंगे उसका सीधा असर सरकार की दक्षता , निर्णय लेने और योजना बनाने पर पड़ेगा।
लेखा और लेखाकारों से अपेक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा ,“ आज जितने भी पक्षधारक हैं, उनको सटीक आडिट भी चाहिए, ताकि वो अपनी योजना को सही से लागू कर सके। वहीं वे ये भी नहीं चाहते कि ऑडिट की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा समय लगे”
उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रमाण आधारित नीति निर्माण को शासन का अभिन्न हिस्सा बनाने का लक्ष्य रखा है। ‘ऑडिट और अशोयरेंस सेक्टर’ में व्यापक बदलाव के लिए भी यह सही दौर है। इसलिए अब कैग को भी कैग 2.0 की तरफ बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि कैग को भी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके 2022 को ध्यान में रखकर अपने लक्ष्य तय करने चाहिए।