अमरोहा, 17 फरवरी । उत्तर प्रदेश के अमरोहा में बेमेल इश्क से परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले फांसी की सजायाफ्ता शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर देने से बावनखेड़ी का मनहूस फार्म हाउस फिर एक बार चर्चाओं में है जहां परिवार के मुखिया समेत एक लाईन में सात लोगों के नरसंहार की याद दिलाती सात कब्रें बनी हुई हैं।
अप्रैल, 2008 में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या मामले में फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं की गई है। शबनम को फांसी होती है तो यह आजाद भारत का पहला मामला होगा।
शबनम अली, वो महिला कैदी है जिसे आजाद भारत के इतिहास में पहली बार फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके लिए मथुरा जेल प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, शबनम अली ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर साल 2008 में अपने परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के बाद शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई थी। तो वहीं, सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है। ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है।
पहचानिये शबनम की क्रूरता आ:
शबनम अली, उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली है। शबनम के पिता शौकत अली शिक्षक थे। वो उनकी एकलौती बेटी थी और स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाती थी।
शबनम को पांचवी पास सलीम से प्यार हो गया था, लेकिन उसके परिवार को ये रिश्ता कतई मंजूर नहीं था। घरवालों की नामंजूरी की वजह से शबनम का अक्सर उनसे झगड़ा होता था। इस दौरान शबनम सलीम के बच्चे की मां बनने वाली थी। वह दो माह की गर्भवती थी और उसे लगा कि अगर परिवार को इस बारे में पता चलेगा तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे।
ऐसे रची कत्ल की खौफनाक साजिश :
ऐसे में उसने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिवार को रास्ते से हटाने का फैसला ले लिया और खौफनाक साजिश रच डाली। 14/15 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने खाने में कुछ मिलाया और जब सब बेहोशी की नींद सो गए तो प्रेम में अंधी बेटी ने माता-पिता और 10 माह के मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया।इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। शबनम और सलीम की बेमेल इश्क की खुनी दास्तां करीब 13 साल बाद फांसी के नजदीक पहुंचती दिख रही है।
राष्ट्रपति के यहां से भी खारिज हुई दया याचिका
पिछले साल शबनम ने फांसी पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इस पुनर्विचार याचिका को सलीम और शबनम के वकील आंनद ग्रौवर ने दायर किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की निचली अदालत ने फैसले को बरकरार रखा है। इसके बाद शबनम-सलीम ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी, लेकिन राष्ट्रपति भवन से उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी दी जाएगी। बता दें कि देश में सिर्फ मथुरा जेल का फांसी घर एकलौता जहां महिला को फांसी दी जा सकती है। फिलहाल शबनम बरेली तो सलीम आगरा जेल में बंद है।
बता दें कि महिला को फांसी देने के लिए मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था। लेकिन आजादी के बाद से अब तक यहां किसी महिला को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के मुताबिक, अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है। रस्सी के लिए ऑर्डर दे दिया गया है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम-सलीम को फांसी दे दी जाएगी। हालांकि सलीम को फांसी कहां दी जाएगी यह भी अभी तय नहीं है।
खून से लथपथ घर, सात लाशें और रोती हुई एक लड़की
करीब 13 साल पहले 14/15 अप्रैल 2008 की रात गांव के एक घर से अचानक लड़की के दहाड़े मार-मारकर रोने की आवाजें आती हैं। लड़की के रोने की आवाजें, चीखें सुनकर गांव के लोग घर पहुंचते हैं। घर के अंदर का नजारा देखकर ग्रामीणों के होश उड़ जाते हैं। घर में चारों तरफ खून, सात लोगों की खून से लथपथ लाशें और रोती-बिलखती 25 साल की शबनम। शबनम चीख-चीख कर बताती है घर में लुटेरे आए और उसके परिवार को बेरहमी से मार डाला।
पुलिस जांच में हुए खुलासे से सब हैरान
गांव में दहशत फैल जाती है। इसी बीच सूचना पाकर पुलिस मौके पहुंचती है और जांच शुरू होती है। जांच में पुलिस को पता चलता है कि लुटेरे नहीं, बल्कि शबनम ने ही अपने मां-बाप, दो भाई, एक भाभी, मौसी की बेटी और एक भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया। इस वारदात में उसके पांचवी पास प्रेमी सलीम ने साथ दिया था। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।