इस्लामाबाद, 27 नवंबर ।पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल विस्तार से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिये स्थगति कर दी।
इस मामले में पाक शीर्ष न्यायालय का फैसला बाजवा को और तीन साल इस पद पर रहने से रोक सकता है।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने 19 अगस्त को एक आधिकारिक अधिसूचना के जरिये जनरल बाजवा को तीन साल का कार्यकाल विस्तार दिया था। इसके पीछे उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल का हवाला दिया था।
बाजवा का मूल कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होने वाला है।
पाक सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने मंगलवार को कहा, ‘‘अब भी वक्त है। सरकार को अपने कदम वापस लेने चाहिए और यह सोचना चाहिए कि वह क्या कर रही है। वह एक उच्च पदस्थ अधिकारी के साथ कुछ इस तरह की चीज नहीं कर सकती। ’’
बहरहाल, न्ययालय ने मामले की कार्यवाही बृहस्पतिवार तक के लिये स्थगित कर दी।
न्यायालय ने एक अप्रत्याशित कदम के तहत कानूनी खामियों का हवाला देते हुए सरकार के आदेश को निलंबित कर दिया था। बाजवा के कार्यकाल विस्तार के खिलाफ याचिका रियाज राही नाम के एक व्यक्ति ने दायर की है।
शीर्ष न्यायालय के मंगलवार के आदेश के बाद कैबिनेट ने सेना नियम एवं नियमन की धारा 255 में संशोधन किया और नियम में कानूनी खामी को दूर करने के लिये ‘‘कार्यकाल में विस्तार’’ शब्द शामिल किया।
जियो न्यूज ने बताया कि खबरों के मुताबिक कैबिनेट ने दो बैठकों में कार्यकाल विस्तार का एक नया प्रारूप तैयार किया और इसे राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के पास मंजूरी के लिये भेजा।
खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने नयी अधिसूचना को मंजूरी दे दी है।
पाक सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई की। पीठ में प्रधान न्यायाधीश खोसा, न्यायमूर्ति मियां अजहर आलम खान मियांखेल और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह शामिल हैं।
बाजवा की पैरवी फारूग नसीम कर रहे हैं जिन्होंने इसके लिये कल कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
खबर में प्रधान न्यायाधीश के हवाले से कहा गया है, ‘‘सेना प्रमुख के कार्यकाल का विषय बहुत अहम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अतीत में, पांच या छह जनरलों ने खुद ही अपने कार्यकाल में विस्तार कर लिया। हम मामले पर करीब रूप से गौर करेंगे ताकि भविष्य में यह नहीं हो। यह अत्यधिक अहम विषय है और संविधान इस बारे में खामोश है।’’
गौरतलब है कि पाकिस्तान सेना ने देश के 70 साल से अधिक के इतिहास में इसकी आधी से भी अधिक अवधि तक शासन की बागडोर संभाली है।